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विश्व पुस्तक दिवस: किताबों से रिश्ता कमज़ोर न पड़े!

अभिषेक मिश्र


‘किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से,
बड़ी हसरत से तकती हैं,
महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं,
जो शामें इनकी सोहबत में कटा करती थीं, अब अक्सर
गुज़र जाती है कंप्यूटर के पर्दो पर…
….
वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी
मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और
महके हुए रुकए
किताबें माँगने गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे
उन का क्या होगा
वो शायद अब नहीं होंगे!

गुलज़ार साहब की ये पंक्तियाँ किताबों की हमारे जीवन में कई नजरियों से अहमियत को दर्शाती हैं। पुस्तकों का हमारे जीवन में अहम महत्व है।

तकनीक के बढ़ते प्रयोग के कारण ज्ञान के वैकल्पिक माध्यम भी मिले हैं, जिससे किताबों और पाठकों के रिश्ते में भी थोड़ी दूरी आई है; खासकर नई पीढ़ी के दृष्टिकोण से भी।

किताबों के महत्व को स्वीकारते और इस दूरी को पाटने के उद्देश्य से ही आज के दिन को ‘विश्व पुस्तक तथा प्रकाशनाधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

इस दिवस के लिए इस तिथि को ही यूँ ही नहीं चुन लिया गया है, इसके पीछे संजोगों की भी एक खास भूमिका है।

इसे 23 अप्रैल को मनाने का विचार स्पेन की एक परंपरा से आया। स्पेन में हर साल 23 अप्रैल को ‘रोज डे’ मनाया जाता है। इस दिन लोग प्यार के इज़हार के तौर पर एक-दूसरे को फूल देते थे।

1616 में जब प्रसिद्ध लेखक मिगेल डे सरवांटिस का निधन हुआ (22 अप्रैल को मृत्यु और 23 अप्रैल को दफनाए गये); तो उस साल स्पेन के लोगों ने अपने इस महान लेखक की स्मृति में फूलों की जगह किताबें बांटीं। स्पेन में यह परंपरा जारी रही जिसने विश्व पुस्तक दिवस मनाने का आधार रखा।

1923 में विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं ने इसे एक और व्यवस्थित रूप दिया। यूनेस्को द्वारा 1995 में पहली बार विश्व पुस्तक दिवस की अवधारणा को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया।

23 अप्रैल की तिथि को ही इसे स्वीकारने के पीछे एक मुख्य कारण इस तिथि का कई अन्य लेखकों से भी जुड़ा होना था।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार प्रसिद्ध साहित्यकार विलियम शेक्सपियर की पूयण्यतिथि भी 23 अप्रैल ही है। इनके अलावा व्लादिमीर नबोकोव, मैमुएल सेजिया वैलेजो, जोसेफ प्ला, इंका गारसीलासो डी ला वेगा, मैनुअल वैलेजो, मॉरिस द्रुओन और हॉलडोर लैक्सनेस आदि लेखकों के जन्म अथवा मृत्यु की तिथि भी 23 अप्रैल से ही जुड़ी है।

भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
यूके और आयरलैंड अपवाद स्वरूप हैं क्योंकि यहाँ 23 अप्रैल को सेंट जॉर्ज दिवस होता है। इस वजह से वहां मार्च के पहले गुरुवार को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है।
पुस्तक पठन के उद्देश्य और लक्ष्य को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचने के लिए हर वर्ष इसकी एक थीम भी होती है। यूनेस्को ने वर्ष 2019 को ‘स्वदेशी भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ के रूप में निरूपित किया है। पुस्तक दिवस की थीम भी इसी से जुड़ी हुई है।

यूनेस्‍को के डायरेक्‍टर जनरल ऑड्रे अजॉउले के इन शब्‍दों के जरिए विश्व पुस्तक दिवस 2019 की थीम को समझा जा सकता है- “किताबें सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक रूप हैं जो चुनी गई (किताब लिखने के लिए) भाषा में और उसके जरिए जीती है।

हर प्रकाशन एक भाषा विशेष में होता है और उस भाषा विशेष के पाठक के लिए होता है। एक किताब किसी भाषाई और सांस्कृतिक परिवेश में लिखी, बनाई गई, बदली गई, प्रयोग की गई होती है और उसकी तारीफ भी उसी परिवेश में होती है।

इस साल हम इस महत्वपूर्ण पहलू पर जोर दे रहे हैं क्योंकि यूनेस्को के जरिए 2019 को स्थानीय भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय वर्ष भी घोषित किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लोगों की स्थानीय संस्कृति, ज्ञान और अधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता को पुख्ता किया जा सके।”

इस अवसर पर यूनेस्को और इसके दूसरे सहयोगी संगठन अगले एक साल के लिए एक ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ का चयन भी करते हैं ताकि वहां वर्ष भर पुस्तकों से जुड़े कार्यक्रम आयोजित हो सकें। वर्ष 2019 के लिए वर्ल्ड बुक कैपिटल संयुक्त अरब अमीरात का शहर शारजाह है। वर्ष 2020 में मलेशिया का कुआलालंपुर शहर वर्ल्ड बुक कैपिटल बनेगा।

इस आयोजन के माध्यम से यूनेस्को का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के बीच साक्षरता को बढ़ावा देना और सभी तक शैक्षणिक संसाधनों की पहुंच सुनिश्चित करना होता है, जिसमें पुस्तकों के हर पक्ष से जुड़े लोगों की सहभागिता होती है।

पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं। आइये हम इनसे जुड़ें मगर यह भी ध्यान रखें कि ये किताबें इतिहास के आलोक में भविष्य की दृष्टि देने वाली हों, वाकई वैसी हों जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर ले जाने वाली हों…..

(अभिषेक कुमार मिश्र भूवैज्ञानिक और विज्ञान लेखक हैं. साहित्य, कला-संस्कृति, फ़िल्म, विरासत आदि में भी रुचि. विरासत पर आधारित ब्लॉग ‘ धरोहर ’ और गांधी जी के विचारों पर केंद्रित ब्लॉग ‘ गांधीजी ’  का संचालन. मुख्य रूप से हिंदी विज्ञान लेख, विज्ञान कथाएं और हमारी विरासत के बारे में लेखन)

Email: abhi.dhr@gmail.com , ब्लॉग का पता -ourdharohar.blogspot.com

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