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ब्लॉक परिसर में जब स्कूल लगा तब स्कूल भवन बनाने के लिए एक महीने में फंड देने का हुआ ऐलान

सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक ब्लाक परिसर में चला स्कूल, छात्र-छात्राएं, अभिभावक और ग्रामीण आन्दोलन में शामिल हुए 

आरा. शिक्षा के सवाल पर धर्म – सम्प्रदाय, जाति और पार्टी की दीवार तोड़ते हुए भोजपुर के गड़हनी ब्लॉक परिसर में स्कूल लगा. भोजपुर ज़िले के गावँ बड़ौरा में उर्दू और कन्या मध्य विद्यालय के वर्ग भवन , शिक्षक और बेहतर पढ़ाई के सवाल पर छात्र-छात्राओं , महिलाओं और अभिभावकों ने आइसा ,इनौस और भगत सिंह युवा ब्रिगेड के नेतृत्व में शिक्षा अधिकार आंदोलन के तहत ब्लॉक परिषर में स्कूल लगाया.

स्कूल विधिवत रूप से 11 बजे शुरू हुआ.घंटी बजी और स्कूल की छात्राएं नर्गिस प्रवीण, शबा प्रवीण, नगमा , पूजा कुमारी, नासरीन प्रवीण, तब्बसुम सहित कई छात्राओं ने प्रार्थना गीत प्रस्तुत किया. इसके बाद घंटी आधारित शिक्षक ने अपने विषय का पाठ किया जिसमें मैथ, हिन्दी, सांस्कृतिक क्लास भी चला. इस दौरान ‘ कहम त लाग जाई धक से, बडे बडे लोगन के लइकवन के प्राइबेट स्कूल बा, हमन गरीबन के ढहलो स्कूल दुलाम बा….’ इत्यादि गीत गाये गए.

विदित हो कि उर्दू प्राथमिक विद्यालय का स्थापना 1947 में हुआ था. इस स्कूल में गावँ – सुअरी , शिवपुर , सिकटी और बड़ौरा के बच्चे पढ़ने आते थे. अपने समय का बड़ा चर्चित स्कूल था. इस स्कूल में पढ़े हुए शिक्षा से लेकर सिविल सर्विस और सीमा पर भी योगदान दिया है. इस विद्यालय को बनाने में मुस्लिम समाज ने कब्रिस्तान की जमीन देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. सभी समाज के लिए यह स्कूल पसंदीदा बन गया. आज से 10 साल पहले यह विद्यालय जर्जर हो गया और स्कूल बंद हो गया. ग्रामीणों ने नया भवन बनवाने के लिए प्रखंड से लेकर जिला के शिक्षा अधिकारियों बीडीओ,बीइओ,  डी इओ के साथ – साथ अगिआंव विधानसभा के वर्तमान जेडीयू विधायक प्रभुनाथ राम से मिले पर वर्ग भवन बनवाने के लिए केवल आश्वासन ही मिला.

इस साल लोकसभा चुनाव में वोट मांगने आये बीजेपी उम्मीदवार और सांसद आर के सिंह ने भी भरोसा दिलाया था कि इस बार वोट दीजिए आपका स्कूल बनवा देंगे .पर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय बड़ौरा में क्लास रूम के नाम पर मात्र दो छोटे-छोटे कमरे है जिसमें एक कमरा में एक से क्लास 5 तक के बच्चे बैठेते हैं. दूसरे कमरे में क्लास 6 से 8 तक के बच्चे बैठेते हैं. छात्रों की संख्या 263 है। इस विद्यालय में 5 पदस्थापित शिक्षक में से 2 ही आए थे .इन स्कूलों के बच्चों का स्टैण्डर्ड देखा जाए तो छठा क्लास से आठवां क्लास तक के कोई स्टूडेंट साधारण भागा और बट्टा पर का जोड़-घटाव भी नहीं बना सकते .कोई स्टूडेंट इंग्लिश के किताब का रीडिंग नहीं दे सकता .आधे से ज़्यादा बच्चे हिंदी पढ़ने में सक्षम नहीं है. उर्दू विषय तो है पर उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं.

स्कूल में बच्चों और अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंज़िल ने कहा कि उर्दू प्राथमिक विद्यालय और कन्या मध्य विद्यालय के वर्ग भवन ,शिक्षक और बेहतर पढ़ाई के सवाल को हम मंत्री – संतरी, सांसद – विधायक – अधिकारी के बूते नही छोड़ेंगे. इस स्कूल में पढने वाले बच्चे परीक्षा और कम्पिटिशन में उन बच्चों का मुकाबला कैसे करेंगे जो महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं .हमारे देश में समान स्कूल प्रणाली किसके हित में नहीं लागू किया जा रहा है  ? अमीर और ग़रीब का बच्चा एक ही स्टैण्डर्ड के स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सकते ?

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सरकारी स्कूल को मृत्यु शय्या पर भेज दिया है. सरकारी स्कूल की बर्बादी ग़रीब-मज़लूम ,मज़दूर -किसान ,मेहनतकश और उत्पीड़ित जनगण ,सदियों से हासिये पर धकेल दिए गए लोगों के बच्चों की भविष्य की बर्बादी है। क्या यही आपका न्याय के साथ विकास का वादा था ? जब दलितों ,आदिवासियों , अति पिछड़ों और पिछड़ों के बच्चे स्कूली शिक्षा में ही पिछड़ जाएंगे तो उच्चत्तर शिक्षा का दरवाज़ा उनके लिए बंद हो जाएगा और आरक्षण से भी वंचित नहीं हो जाएंगे. शोषितों के और कई पीढ़ी को शिक्षा और ज्ञान से वंचित रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार अगर समान स्कूल प्रणाली लागू नही करती है और सरकारी विद्यालयों की शिक्षा और बुनयादी सुविधा नही सुधारती है तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन पूरे जिले में फैलेगा और जरूरत पड़ा तो मुख्यमंत्री के सामने स्कूल लगाया जाएगा.

स्कूल आन्दोलन में आये खंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी , ब्लॉक् शिक्षा पदाधिकारी और आंदोलनकारियों के बीच वार्ता विफल हो गयी क्योंकि ये अधिकारी मुदों पर टाल -मटोल जवाब दे रहे थे. तब आंदोलनकारी नेताओं और बच्चे और उनके अभिभावकों ने सरकार के उच्च अधिकारियों को यह संदेश भेजा कि जब तक हमारी मांगों को पूरा नही किया जाएगा तब तक हम यहां से नही जाएंगे और अधिकारियों को भी नही जाने देंगे. चाहे आप जिले के सभी थानों को यहां बुला ले.  या तो स्कूल बनेगा या हम जेल जायेगे. आन्दोलन में शामिल लोगों ने रात में भी स्कूल चलाने की तैयारी शुरू कर दी.

आंदोनकरियों के आक्रोश और जज्बे को देख भोजपुर शिक्षा विभाग के उच्च पपदाधिकारी और जिले के एसडीएम दल-बल के साथ रात 9 बजे पहुंचे.

आंदोलनकारियों ने अधिकारीयों के व्यवहार की कड़ी निंदा की. काफी बातचीत के बाद यह तय हुआ कि आज से दो दिन बाद उर्दू विद्यालय के लिए पूरे मुसलिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान की जमीन को स्कूल के लिए देंगे. उसकी नपाई और मुस्लिम समाज से अनापति प्रमाण पत्र लेने शिक्षा विभाग के अधिकारी और अमीन जायेगे और कन्या विद्यालय के लिए जमीन का सर्वे करेंगे. एक महीने के अंदर विद्यालय भवन के लिए फण्ड दिया जायेगा और बच्चों के पाठ्यपुस्तक का पैसा 25 अक्टूबर तक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इन तमाम मुद्दों पर लिखित आश्वासन मिलने पर स्कूल की घंटी बजा कर आंदोलन का समाप्ति की गयी.

इस आंदोलन में आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार, जिला सचिव रंजन कुमार, इनौस जिला संयोजक शिवप्रकाश रंजन, इनौस चरपोखरी संयोजक सन्नी कुमार, आइसा नेता संदीप कुमार, सुधीर कुमार, उज्ज्वल भारती, जेपी कुमार, सोनू कुमार, भाकपा – माले राज्य कमेटी सदस्य संजय जी, गड़हनी प्रखंड सचिव नवीन इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, फिदा हुसैन, सेविका संघ अध्यक्ष सीमा तिवारी, स्वराज अली, आयूब अंसारी, प्रतीक आनंद, गोलू राय ने सक्रिय रोप से भाग लिया.

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