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सामाजिक न्याय विरोधी फैसले ले रहा है उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग

त्रिस्तरीय आरक्षण के खिलाफ दाखिल एक याचिका के जवाब में लोक सेवा आयोग ने 08 फ़रवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में बताया है कि आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थी को अंतिम रूप से चयन के दौरान उसी वर्ग में चयनित किया जाएगा, जिसमें उसने आरक्षण लिया है। यानि आयोग ने प्रदेश की प्रशासनिक सेवाओं सहित अन्य भर्तियों में अंतिम चयन परिणाम में अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग की ओवरलैपिंग खत्म करने का फैसला किया है।

अनारक्षित के बराबर या अधिक कटऑफ नंबर होने के बावजूद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की अनारक्षित वर्ग में ओवरलैपिंग नहीं कराई जाएगी। आसान शब्दों में समझें तो इस व्यवस्था के तहत आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ तो मिलेगा लेकिन अब अंतिम चयन में ओवरलैपिंग नहीं होगी।

पुराने नियम के मुताबिक पहले एससी/एसटी श्रेणी का कोई कैंडिडेट अगर जनरल कैटिगरी के कटऑफ के बराबर नंबर लाता था तो उसका चयन जनरल कैटिगरी में हो सकता था लेकिन अब इस व्यवस्था समाप्त कर दिया गया है।

अगर आरक्षित वर्ग का कोई कैंडिडेट किसी भी स्तर पर आरक्षण का लाभ नहीं लेता है और प्री, मेंस, इंटरव्यू, स्क्रीनिंग में शुरू से उसका कटऑफ नंबर अनारक्षित वर्ग के बराबर या अधिक होता है और अंतिम चयन परिणाम में भी यही स्थिति बनी रहती है तो उसे पूर्व की भांति ही अनारक्षित वर्ग में चयनित माना जाएगा।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की बैठक में निर्णय लिया गया है कि किसी भी परीक्षा, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, साक्षात्कार और स्क्रीनिंग परीक्षाएं शामिल हैं, वहां किसी भी स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ लेने की स्थिति में संबंधित कैंडिडेट को उसी की श्रेणी में चयनित किया जाएगा, भले ही अंतिम चयन परिणाम में उसका कटऑफ अनारक्षित वर्ग के बराबर या अधिक हों। नई व्यवस्था में स्क्रीनिंग परीक्षा को भी शामिल किया गया है, जिससे आयोग का नया फैसला सीधी भर्ती पर भी लागू होगा.

आयोग द्वारा लागू किए गए सामाजिक न्याय विरोधी फैसलों का असर पीसीएस 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में देखने को मिला रहा है जिसमें 557 अभ्यर्थी भी योग्य नहीं मिल पा रहे हैं.

सामाजिक न्याय के खिलाफ आरक्षण की गलत व्याख्या कर वंचित तबकों से आने वाले छात्रों को बाहर निकालने की साजिश की जा रही है ताकि लेटरल एंट्री के माध्यम से अपने लोगों को नौकरशाही में भरा जा सके.
इसके ख़िलाफ़ प्रतियोगी छात्रों ने 12 फ़रवरी को बैठक कर 13 फ़रवरी को लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन सौंपा था जिसमें मांग की गई थी कि आरक्षण खत्म करने का फैसला वापस लिया जाए , तीनों स्टार पर समुचित आरक्षण लागू किया जाए, एसटी -एससी का कट ऑफ 2018 में 30% से 2019 में 35% करने के निर्णय को वापस लिया जाए, मेंस में 18गुना से कम करके 13गुना व इंटरव्यू में तीन गुना से कम करके दोगुना करने के फैसले को वापस लिया जाए.

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