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इंसाफ के लिए लड़ने वालों को धमकी दे रही है यूपी पुलिस

पूर्व पुलिस अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप 

लखनऊ, 8 जुलाई . रिहाई मंच ने 7 जुलाई को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में प्रेस वार्ता कर कहा है कि फर्जी मुठभेड़ के नाम पर हो रही हत्याओं पर सर्वोच्च न्यायलय के नोटिस पर उत्तर प्रदेश पुलिस आपराधिक रवैया अपनाकर इंसाफ के लिए लड़ने वालों को धमकी दे रही है. मंच ने कहा कि पूरे सूबे में पुलिसिया उत्पीड़न चरम पर है प्रदेश के तमाम जिलों में पुलिस अराजकता फैलाकर लोगों को न सिर्फ अपमानित कर रही है बल्कि उनके लिए असुरक्षा और भय का माहौल बना रही है.

मंच ने मांग करते हुए कहा कि आजमगढ़ कन्धरापुर थाना प्रभारी अरविन्द यादव की जिले में हुए मुठभेड़ में संदिग्ध भूमिका रही है और जिसपर मानवाधिकार आयोग जाँच भी कर रहा है ऐसे में उनका जिले में रहना न सिर्फ जाँच को प्रभावित करेगा बल्कि पीड़ित परिवार के लिए भी खतरा है. मंच ने मांग की कि जिन मामलों की जाँच हो रही है उसमें शामिल पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाये, इसके बिना निष्पक्ष जाँच संभव नही है.

प्रेस वार्ता को मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुएब, पूर्व पुलिस महानिदेशक आरएस दारापुरी, अरुंधती ध्रुव, वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान, जस्टिस एससी वर्मा, सेवानिवृत्त डीआईजी सैयद वसीम अहमद और महासचिव राजीव यादव आदि ने संबोधित किया. प्रेसवार्ता में आजमगढ़ कन्धरापुर थाना प्रभारी अरविन्द यादव की धमकी देने वाली कॉल रिकार्डिंग भी जारी की गयी और पीड़ित परिवारों के प्रार्थना पत्रों और उनसे बातचीत का आडियो भी जारी किया गया जिसमें अरविन्द यादव पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं.

फर्जी मुठभेड़ों का सवाल उठाने पर पुलिस द्वारा दी गयी धमकी पर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि 5 जुलाई को करीब रात 10 बजे आजमगढ़ के कन्धरापुर थाने से अपने सीयूजी नम्बर 9454402912 से फोन किया. फर्जी मुठभेड़ों का सवाल न उठाने की धमकी देते हुए अरविन्द यादव ने मेरी माँ को गाली देते हुए फर्जी मुकदमा लादने की धमकी दी. कल 6 जुलाई को रिहाई मंच प्रतिनिधि मंडल ने उत्तर प्रदेश पुलिस महानिरीक्षक लोक शिकायत मोहित अग्रवाल से मुलाकात कर कहा कि अरविन्द यूपी पुलिस के अधिकारी है ऐसे में उनपर तत्काल कार्रवाई की जाये. राजीव यादव ने कहा कि उनकी जान को पुलिस से खतरा है कुछ भी होने पर इसकी जिम्मेवारी प्रदेश पुलिस की होगी.

उन्होंने बताया कि मुज़फ्फरनगर फुरकान फर्जी मुठभेड़ मामला जब हाई कोर्ट गया तो पीड़ित परिवार को धमका कर उनके वकील फरमान नकवी को बिना बताये केस वापस करवा दिया गया. वहीँ उतरौला में थानेदार ने एक अधिवक्ता को दौड़ा- दौड़ा कर पीटा . पिछले दिनों आजमगढ़ के सरायमीर में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने पर जब मुस्लिम समुदाय के लोग अमित साहू पर रासुका लगाने की मांग की तो सरायमीर थाना प्रभारी रामनरेश यादव ने पूरे मामले को सांप्रदायिक बनाकर रासुका की मांग करने वालों पर ही रासुका लगा दिया. ऐसे हालात में आजमगढ़ में हुए तमाम मुठभेड़ों में शामिल पुलिसकर्मियों  जिले में ही तैनाती जाँच को प्रभावित करेगी. इन्साफ के लिए जरुरी है कि इस तरह के पुलिसकर्मियों को तत्काल हटाया जाये.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि कुछ पुलिस अधिकारी अपराध नही रोक पा रहे है जबकि सच्चाई तो यह है की खुद पुलिस ही अपराध में संलिप्त है. प्रदेश में तमाम पुलिसकर्मी सिंघम, चुलबुल पांडे बनकर कानून का मजाक बना रहे हैं और सम्मानित नागरिकों का जीना दूभर किये हुए हैं. प्रेसवार्ता में उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रार्थना पत्रों और आडिओ क्लिप के हवाले से बताया की इसमें स्पष्ट तौर पर अरविन्द यादव का नाम और करतूत दर्ज है. इसको उचित माध्यम से सर्वोच्च न्यायलय को भेजा जायेगा ताकि उनको पीड़ितों को इंसाफ मिल सके.

पूर्व पुलिस महानिदेशक एसआर दारापुरी ने कहा कि पूरे देश में सामाजिक- मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का एक रणनीति के तहत उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ गरीब आदिवासी के लिए लड़ने वाली सुधा भारद्वाज और दलित-आदिवासी कार्यकर्ताओं को नक्सली करार दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ रिहाई मंच नेता राजीव यादव को धमकी दी जा रही है. प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर इस तरह के प्रशासनिक हमले लोकतंत्र पर हमला है, राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के उत्पीड़नों का प्रतिवाद किया जायेगा.

लोकतान्त्रिक अधिकारों पर लम्बे समय से संघर्षरत अरुंधती ध्रुव ने कहा कि राजीव यादव को धमकाते हुए उनको माँ को आजमगढ़ कन्धरापुर थाना प्रभारी अरविन्द यादव गाली दे रहे हैं वो प्रदेश पुलिस की मानसिकता को बताता है. ऐसे पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्यवाही की जाये. प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद महिला हिंसा बढ़ी है. पिछले सात महीनों में लगभग चार हज़ार बलात्कार की घटना सामने आयी है.

वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा कि प्रदेश पुलिस लगातार अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरा बनी हुई है. प्रदेश पुलिस अपने खिलाफ उठाने वाली हर आवाज़ को कुचलने के लिए आमादा है, इसको बर्दाश्त नही किया जायेगा.

सेवानिवृत्त डीआईजी सैयद वसीम अहमद ने कहा क यह धमकी तो सिर्फ एक नमूना है सोचने की बात तो यह है कि वो पीड़ित परिवार कितने पुलिसिया खौफ में होंगे.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मंच लम्बे समय से इन्साफ के सवाल पर लड़ रहा है और फर्जी मुठभेड़ों के सवाल को मजबूती से लड़ा जायेगा. .प्रदेश पुलिस बेलगाम हो गयी है हालात तो यह है की लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति व सामाजिक कार्यकर्ता रुपरेखा वर्मा पर फर्जी मुकदमे दर्ज किये जा रहे है.

उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में रिहाई मंच रुपरेखा वर्मा के साथ खड़ा है. रिहाई मंच महासचिव को आजमगढ़ कन्धरापुर प्रभारी द्वारा धमकी दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक से हम मांग करते हैं कि कन्धरापुर थाना प्रभारी को तत्काल बर्खाश्त किया जाये और महासचिव राजीव यादव की सुरक्षा की गारंटी किया जाये भविष्य में उनके और उनके परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना हुई तो इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन जिम्मेदार होगा. उन्होंने कहा कि फर्जी मुठभेड़ों के पीछे एक राजनीति है और एक अर्थव्यवस्था भी काम कर रही है. उन्होंने ने मांग की कि उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच आयोग से पूरे मामले की जाँच हो और मुठभेड़ों में शामिल पुलिसकर्मियों के संपत्तियों की भी जाँच हो सच सामने आ जायेगा.

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