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बीआरडी मेडिकल कालेज में छह महीनों में 1049 बच्चों की मौत

गोरखपुर, 7 जुलाई. बीआरडी मेडिकल कालेज में छह महीनों में 1049 बच्चों की मौत हो गई है। इनमें इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त 73 बच्चे भी शामिल हैं। इस अवधि में सबसे अधिक एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में 681 बच्चों की मौत हुई। ये बच्चे संक्रमण, सांस सम्बन्धी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे।

बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं को एनआईसीयू और बड़े बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती किया जाता है। पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।

  वर्ष 2018 (आंकड़े 30 जून तक के हैं )

Month NICU PICU Total
January 89 40 129
February 85 55 140
March 155 80 235
April 118 68 186
May 120 62 182
june 114 63 177
Total 681 368 1049

मेडिकल कालेज में इस वर्ष 30 जून तक एनआईसीयू में 681 बच्चों की मौत हो गई जबकि पीआईसीयू में 368 बच्चों की मृत्यु हुई है। पीआईसीयू में इस अवधि में मृत बच्चों में 73 इंसेफेलाइटिस रोगी थे।

वर्ष 2017 में छह महीनों (180 दिन)-जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई और जून में 1201 बच्चों की मौत हुई थी। इसमें 767 एनआईसीयू में और 434 पीआईसीयू में भर्ती थे।

दोनों वर्ष के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि नियोनेटल डेथ में कमी आई है जबकि इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत बढ़ गई है.

वर्ष 2017 (आंकड़े 30 जून तक के हैं )

Month NICU PICU Total
January 143 67 210
February 117 63 180
March 141 86 227
April 114 72 186
May 127 63 190
june 125 83 208
Total 767 434 1201

 यह जानकारी गोरखपुर न्यूज लाइन को मेडिकल कालेज से विश्वसनीय सूत्रों से मिली है. बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन 10 अगस्त 2017 के आक्सीजन कांड के बाद से बच्चों की मौत के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दे रहा है. इस कारण मीडिया को सूत्रों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

इंसेफेलाइटिस (एईएस)से मौतें

Month 2017 2018
January 9 6
February 5 9
March 16 18
April 9 7
May 12 18
june 12 15
Total 63 73

यहां उल्लेखनीय है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों-गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया, देवीपाटन आदि जिलों के अलावा पश्चिमी बिहार से गोपालगंज, सीवान, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों के बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं.

 

(गोरखपुर न्यूज़ लाइन से साभार )

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