डॉ. कामिनी त्रिपाठी
शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बैकुंठपुर में आयोजित त्रिदिवसीय ‘वीरेन डंगवाल जन्म दिन समारोह’ का समापन 8 अगस्त को छात्राओं द्वारा वीरेन दा की कविताओं का पोस्टर बनाते हुए सम्पन्न हुआ |
कार्यक्रम के पहले दिन लगभग 30 छात्राओं ने ‘नवारुण’ द्वारा प्रकाशित वीरेन दा की संपूर्ण कविताओं के संग्रह ‘कविता वीरेन’ से अपनी पसंद की कविताओं का चयन कर अपने अंदाज़ में उनका पाठ किया | छात्राओं द्वारा चयनित कविताओं को देखने से एक बात बहुत आसानी से समझी जा सकती है कि वीरेन दा की कविताएं समकाल के गहरे सरोकार से तो जुड़ी ही हुईं हैं, वे नई पीढ़ी को बड़ी आत्मीयता से दुलारती और समझाती हुई उसके अन्तर से जुड़ जाती हैं | वीरेन दा की कविताओं से पहली बार परिचित हुई इन छात्राओं से जब पूछा गया कि इन कविताओं को पढ़ कर कैसा लगा ? तो उनका उत्तर था-“हमने इस तरह की कविता तो कभी पढ़ी ही नहीं .”
उनके उत्तर बहुत अनगढ़ थे जिसमें वे अटक अटक कर बोल रही थीं पर कविता से जुड़ जाने की खुशी उनकी आँखों में चमक रही थी. जब बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा सामिया परवीन ने ‘मसला’ नामक कविता पढ़ी और उसके बाद अध्यापिका ने मुजफ्फरपुर कांड के आरोपी की हँसती हुई तस्वीर का बस जिक्र भर किया तो पूरे हॉल में सन्नाटा पसर गया, लगा कविता ने उन्हें कहीं बहुत गहरे बेध दिया है |
पढ़ी गई कुछ अन्य कविताएं थीं – इतने भले नहीं बन जाना साथी, प्रेम कविता, समय, दुख, हम औरतें, मसला, घुटनों घुटनों भात हो मालिक, एन जी ओ शब्द, कमीज, सैनिक अनुपस्थिति में छवानी, हमारा समाज, घोड़ों का बिल्ली अभिशाप, माँ की याद, इस बार बसंत, समय-2 आदि |
कार्यक्रम का दूसरा दिन था तो कविता पोस्टर बनाने के लिए लेकिन पूरे दिन छात्राएँ कविता पढ़ने और पोस्टर के लिए कवितांश चुनने में ही व्यस्त रहीं जिसकी परिणति तीसरे दिन उनके द्वारा बनाए गए पोस्टरों और उसकी प्रदर्शनी के रूप में हुई |
छात्राओं द्वारा बनाए गए पोस्टरों को देखते हुए बार-बार यही लग रहा था कि कला और अभिरुचि तो इनके पास खूब है लेकिन उसे तराशने वाले की भी बड़ी जरूरत है | कार्यक्रम का आयोजन कोरस की साथी और बैकुंठपुर कॉलेज में सहायक प्राध्यापिका कामिनी द्वारा किया गया | आगे की कहानी चित्रों में देखिए-
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