समकालीन जनमत
ख़बरज़ेर-ए-बहस

यह सच बोलने के लिए चुकाई गयी कीमत है: सुशांत सिंह

अशोक पान्डे


सुशांत और मेरी स्कूली पढ़ाई नैनीताल के एक ही स्कूल से हुई. बिड़ला विद्यामंदिर में वे मेरे जूनियर रहे और मेरे पास आउट करने के बाद वहां आये.

डेढ़ सौ बरस पुराने इस स्कूल के सालाना एडमीशन विज्ञापनों में वहां से पढ़ कर निकले चुनिन्दा डिस्टिंग्विश्ड ओल्ड बॉयज की लिस्ट में उनका और मेरा नाम साथ आता है.

इस लिस्ट में मैं क्यों शामिल हूँ अब तक समझ नहीं आया अलबत्ता व्यक्तिगत रूप से सुशांत को तब से जानता हूँ जब वे दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ते थे. उनका परिवार उन दिनों नैनीताल के नजदीक भवाली नाम की छोटी सी बसासत में रहा करता था. कोई बीस-पच्चीस साल पहले उनका पहले थियेटर और उसके बाद फिल्मों में जाना और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लेना मैंने लगातार देखा है.

फिल्मों में काम करने के लिए सुशांत जब पहली बार मुम्बई जा रहे थे वे मेरे घर आकर झोला भर कविता की किताबें ले कर गए थे. एक भावुक सी गहराती शाम को उन्हें काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर विदा करने जाने की बहुत ठोस स्मृति है. उसके बाद की उनकी अभिनय-यात्रा को मैंने बहुत करीब से और किंचित गौरव के साथ लगातार फॉलो किया है.

बीच-बीच में उनसे बात होती रहती है. सुशांत समाज की गहरी परख रखने वाले, समझदार और जिम्मेदार आदमी की तरह पेश आये हैं – हमेशा. ऐसे समय में जब देश में छोटे-बड़े सितारे बन चुके तमाम अभिनेता-खिलाड़ी देश के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं, सुशांत की हिम्मती और जिम्मेदार मरदाना आवाज आश्वस्त करती रही है.

खबर मिल रही है कि सुशांत को टीवी शो ‘सावधान इंडिया’ से बाहर निकाल दिया गया है. इस से उनका जुड़ाव पिछले आठ-नौ बरसों से था. इसके पीछे इकलौता कारण यह बताया जाता है कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों से सरकार द्वारा पारित किये गए नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में न सिर्फ हिस्सा लिया, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में छात्रों के साथ किये जा रहे पुलिसिया दमन की निंदा भी की.

सुशांत ने अपने ट्विटर हैंडल लिखा है “यह सच बोलने के लिए चुकाई गयी कीमत है.” जब उनके एक फॉलोअर ने उनसे यह पूछा कि कीमत कुछ ज्यादा ही बड़ी नहीं हो गयी तो उन्होंने जवाब में लिखा “यह बहुत छोटी कीमत है मेरे दोस्त! वरना हम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सामना कैसे कर सकेंगे?”

मुझे नहीं मालूम आज के दौर में हमारे पास एक भी ऐसा कलाकार है जो इतनी सादगी से इतनी बड़ी बात कह सकने का माद्दा रखता हो. बताना चाहूंगा कि सुशांत ने साल 2002 में राजकुमार संतोषी की बनाई फिल्म ‘द लेजेंड ऑफ़ भगत सिंह’ में सुखदेव का रोल निभाया था. अजय देवगन भगतसिंह बने थे.

आज से छः बरस पहले अपने ब्लॉग कबाड़खाना में उनके लिए अपने पसंदीदा गायक लेनर्ड कोहेन का एक गीत पोस्ट किया था जिसके बोल थे :

“Ah, you loved me as a loser
But now you’re worried that I just might win
You know the way to stop me, but you don’t have the discipline
How many nights I prayed for this, to let my work begin”

हम सब के काम पर जुट जाने का समय शुरू हो गया है प्यारे सुशांत!

मेरे दोस्त तुम्हें सैल्यूट!

(पोस्ट और तस्वीर अशोक पान्डे की फेसबुक वाल से साभार ।)

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion