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‘ जन संस्कृति के नायक राजबली यादव ‘ पुस्तक का लोकार्पण

लखनऊ/फैजाबाद। अंबेडकर नगर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जन संस्कृति के नायक राजबली यादव के स्मृति दिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव अरई में 9 अगस्त 2022 (मंगलवार) को स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी व सोशलिस्ट चिंतक श्री फूलचंद यादव ने की और संचालन अरुण कुमार ने किया। कामरेड राजबली यादव के समाधि स्थल और उनके चित्र पर माल्यार्पण से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। मुख्य आकर्षण ‘जन संस्कृति के नायक राजबली यादव’ पुस्तक का लोकार्पण था। यह उनके जीवन और कर्म पर आधारित है। इसका संपादन जाने माने कम्युनिस्ट लेखक और अनुवादक अवधेश कुमार सिंह ने किया है।

लखनऊ से आए भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने राजबली जी के साथ अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में साझा किए पलों को याद किया। उनका कहना था कि राजबली जी अपने नाटक, गीतों व सांस्कृतिक कर्म के द्वारा लोगों में अप्रत्याशित जोश भर देते थे। वे जनसंघर्षों से गहरे रूप से जुड़े थे। वे सच्चे मायने में महान सांस्कृतिक लोकधर्मी कलाकार और एक कम्युनिस्ट थे। उन्होंने अपने नाटक व गीतों  के जरिए व्यापक जन चेतना जगाने और जन संघर्षों को गति प्रदान करने का बेमिसाल कार्य किया। उनका व्यक्तित्व हमारे लिए अनुकरणीय है। वे हम सभी के लिए प्रेरक हैं।

राजबली जी पर पुस्तक को अवधेश कुमार सिंह ने अथक परिश्रम से तैयार किया है। उन्होंने उनके जीवन और सृजनात्मक कार्य से संबंधित सामग्री को जुटाने व सामने लाने का दुर्लभ कार्य को अंजाम दिया है। इस मौक पर उन्होंने राजबली जी के कार्यों को याद करते हुए कहा कि हमें दोस्त और दुश्मन को पहचानने की जरूरत है। सत्ताधारी दो मुंहे लोगों को समय आने पर समुचित जवाब देना होगा। वे एक तरफ गांधी को माला चढ़ाते हैं, दूसरी तरफ गांधीजी के हत्यारे गोडसे की पूजा करते हैं। जिन्होंने 50 साल तिरंगे को अछूत माना आज वे हमें देशभक्ति सिखा रहे हैं। जनता की गाढ़ी कमाई से बनी सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने वाले जनता को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा ध्यान रहे अंतिम लड़ाई कम्युनिस्टों और पूंजी के रक्षकों के बीच ही होगी। कामरेड राजबली ने अंतिम समय तक एक कम्युनिस्ट योद्धा का जीवन जी कर हमें पूंजी के खिलाफ संघर्ष का संदेश दिया है।

जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद कवि-लेखक भगवान स्वरूप कटियार ने जननायक राजबली जी को जसम की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होंने ‘सदी का आदमी’ कविता सुनाई। वे कहते हैं : गुजरे समय का गवाह/और वर्तमान का/वह पहलू हूं/जिसने देखे हैं/दुनिया के/ तमाम उलट फेर……’। जन संस्कृति मंच के बृजेश यादव ने राजबली यादव जी का एक गीत प्रस्तुत किया। राजबली यादव जी की नाटक टीम के पात्र रहे श्रीराम और कामरेड अशर्फीलाल ने भी राजबली जी का के गीत सुनाये। श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से बार-बार गायकों का उत्साहवर्धन किया।

जलालपुर विधायक (सपा ) राकेश पांडे ने राजबली जी के जीवन संघर्षों की चर्चा की। उनके घर को अंग्रेजों द्वारा जमीन्दोज करने व उनकी मां की पीड़ादायक मृत्यु की चर्चा करते हुए राजबली जी को आजादी के असली प्रेरणादाई नायक कहा। सभी उपस्थित लोगों से राजबली के जीवन व व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने और उस पर चलने का आह्वान किया। जनाब त्रिभुवन दत्त (सपा विधायक आलापुर) ने राजबली जी को स्मरण करते हुए वर्तमान सरकार के कारनामों का भंडाफोड़ किया और स्वतंत्रता सेनानी राजबली जी जैसे संघर्षशील व्यक्ति से प्रेरणा लेते हुए सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करने का संकल्प दोहराया और देशवासियों से भ्रष्ट भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर पूर्व एमएलसी हीरालाल यादव, धर्मेंद्र यादव, आलोक सिंह, संदीप वर्मा, फूलचंद जी, बस्ती से आए भाकपा ( माले ) के सचिव राम लौट, डॉक्टर शकूर आलम, डॉक्टर जावेद और नंदलाल जी, लखनऊ से आए सोशल एक्टिविस्ट व कलाकार दीपक कबीर , पूर्व चेयरमैन अबुल बशर अंसारी, नसीर अंसारी, केदारनाथ यादव, सीताराम मास्टर, पृथ्वी पाल, अभिषेक सिंह, धर्मराज गौतम, डॉ राजेंद्र यादव, संदीप वर्मा, विजय यादव, शोभाराम, मुकेश यादव सहित सैकड़ों लोग इस पुस्तक लोकार्पण व स्मृति समारोह के साक्षी बने।

सपा के स्थानीय प्रमुख संगठनकर्ता जंग बहादुर ने राजबली यादव जी की मूर्ति स्थापना के लिए चल रहे कार्यक्रम में सहयोग देने वाले व संपूर्ण कार्यक्रम के महत्वपूर्ण आयोजक सहित तमाम लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष श्री फूलचंद जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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