समकालीन जनमत

Tag : Contemporary Hindi Poetry

कविता

वसुंधरा यादव की कविताएँ मनुष्य-जीवन के संगीत के प्रति सघन आस्था से लबरेज़ हैं

तनुज कुमार कविता की दुनिया में रचनात्मक कदम-ताल की इतिश्री के कई रास्ते हैं. यहाँ अभिजात्य और कुरूप के बीच द्वंद्व भी है और साम्य...
कविता

सुप्रिया मिश्रा की कविताएँ प्रेम में सहारे की नहीं साथीपन की तलाश हैं

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नाज़िश अंसारी अनुभव सिन्हा निर्देशित “तुम बिन” फिल्म की ग़ज़ल “कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे” में बहुत पहले ही हीरो ने हीरोइन...
कविता

शिवांगी गोयल की कविताएँ और स्त्री अस्तित्व का आधुनिक स्वर

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माया मिश्र आज जब हम इक्कीसवीं सदी का एक चौथाई हिस्सा जी चुके हैं तब यह प्रश्न अपने समूचेपन में हमारे सामने बार बार खड़ा...
कविता

हेमन्त कुमार की कविताएँ सभ्यता-विकास को प्रश्नांकित करती हैं

कौशल किशोर डॉ. हेमन्त कुमार की कविता में ‘कटघरे के भीतर’  जीवन की पड़ताल हेमंत कुमार की कविताओं में प्रकृति, पर्यावरण, चिड़िया, गौरैया, जंगल, पहाड़,...
कविताजनमत

निदा रहमान की कविताएँ स्त्री जीवन के जद्दोजहद की निर्भीक अभिव्यक्ति हैं

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विपिन चौधरी स्त्री-चेतना को तर्कसंगत दृष्टिकोण देने के साथ-साथ निर्भीक अभिव्यक्ति को अपनाए जाने की समझ प्रदान करने वाली विधा कविता में स्त्री रचनाकार एक...
कविता

अमरेन्‍द्र कुमार की कविताओं में काव्‍य परंपरा का बोध अभिव्यक्त होता है

समकालीन जनमत
कुमार मुकुल   अमरेन्‍द्र कुमार की कविताएँ पढ़ते लगता है कि अरसा बाद कोई सचमुच का कवि मिला है, अपनी सच्‍ची जिद, उमंग, उल्‍लास और...
कविता

अपराजिता अनामिका की कविताएँ पुरुष प्रधान समाज से प्रतिवाद करती स्त्री अस्मिता की पक्षधर हैं

समकालीन जनमत
गुंजन विधान किसी कवि के शुरुआती दौर में जो आवेग और मौजूदा सामाजिक ढांचे के साथ ऐतिहासिक समझ होनी चाहिए वह अपराजिता अनामिका में मौजूद...
कविता

एकता वर्मा की कविताएँ स्त्री मन की पीड़ा और अमानवीय होते समय की कविताएँ हैं

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श्रीधर करुणानिधि कविताएँ सिर्फ़ सूचना नहीं देतीं भावपूर्ण स्थितियों के माध्यम से खुद की अभिव्यक्ति पर पहुँच कर थम जाती हैं और बाकी का काम...
कवितास्मृति

तरुण भारतीय की कविताएँ हिंदी कविता का उत्तरपूर्वी अंग हैं

समकालीन जनमत
असद ज़ैदी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय का 25 जनवरी की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। ‘समकालीन...
कविता

लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविताएँ देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों की शिनाख़्त करती हैं।

समकालीन जनमत
अरुण आदित्य लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविता देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों के प्रतिरोध की कविता है। यहाँ हाशिए के लोग हैं, उनका श्रम...
कविता

मनीषा मिश्रा की कविताएँ समाज के प्रति अपनी जागरूक भूमिका को निभाने का प्रयास हैं

समकालीन जनमत
सोनी पाण्डेय बाँस की कोपलों सी बढ़ती है लड़कियाँ…. विमर्श और स्त्री मुक्ति के नारों के बीच आज की कस्बाई औरतों के संघर्षों का यदि...
कविता

रणेन्द्र की कविताएँ युगबोध और प्रतिबद्धता की बानगी हैं।

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता “रणेन्द्र युगबोध के कवि हैं। रणेन्द्र का कवि मन अपनी विविध प्रतिबद्धताओं,सरोकारों के बीच रागारुण संवेदना के साथ उपस्थित है।” ‘ग्लोबल गाँव के...
कविता

माया मिश्रा की कविताओं में कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का एक शिखर है

समकालीन जनमत
गुंजन श्रीवास्तव माया मिश्रा जी की कविताओं को पढ़कर एक बात तो साफ़ कही जा सकती है कि यह एक कवि के परिपक्व अनुभव से...
कविता

हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ तनी हुई मुट्ठी की तरह ऊपर उठती हैं।

समकालीन जनमत
चित्रा पंवार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता के विषय में कहते हैं– ‘कविता अगर मेरी धमनियों में जलती है पर शब्दों में नहीं ढल पाती मुझे...
कविता

दुनिया में ताक़त के खेल को समझने की कोशिश है अरुणाभ सौरभ की कविताएँ

समकालीन जनमत
बीते शनिवार को प्रभाकर प्रकाशन में अरुणाभ सौरभ के काव्य-संग्रह ‘मेरी दुनिया के ईश्वर’ के तीसरे संस्करण का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक परिचर्चा...
कविता

रचित की कविताएँ यथास्थिति को बदलने के लिए बेचैन हैं

समकालीन जनमत
जावेद आलम ख़ान रचित की कविताओं में गुस्सैल प्रेमी रहता है ऐसा नायक जो यथार्थ को नंगा नहीं करता, बड़े सलीके से परोसता है जिसकी...
कविता

ग्रेस कुजूर की कविताओं में नष्ट होती प्रकृति का दर्द झलकता है।

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता प्रकृति का सानिध्य किसे प्रिय नहीं। प्रकृति के सानिध्य में ही मनुष्य ने मनुष्यता सीखी; प्रकृति एवं जीवन के प्रश्नों ने ही मनुष्य...
कविता

हूबनाथ पांडेय ने अपनी कविताओं में व्यवस्था की निर्लज्जता को बेनक़ाब किया है

उमा राग
मेहजबीं हूबनाथ पांडेय जी जनसरोकार से जुड़े हुए कवि हैं। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में व्यवस्था का शोषण तंत्र है, प्रशासन द्वारा परोसा जा रहा...
साहित्य-संस्कृति

वीरेनियत-6: कला और साहित्य का अद्भुत संगम

समकालीन जनमत
नई दिल्ली। दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर हॉल में जन संस्कृति मंच द्वारा 15 नवम्बर को कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में आयोजित ...
कविता

पूजा कुमारी की कविताओं में हाशिये की तमाम आवाज़ें जगह पाती हैं।

समकालीन जनमत
बबली गुज्जर जिंदगी में जब लगता है कि सब खत्म हो गया है, तो असल में वह कुछ नया होने की शुरुआत होती है। चुप्पियाँ...
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