कवितास्मृति तरुण भारतीय की कविताएँ हिंदी कविता का उत्तरपूर्वी अंग हैंसमकालीन जनमतJanuary 26, 2025January 26, 2025 by समकालीन जनमतJanuary 26, 2025January 26, 20250220 असद ज़ैदी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय का 25 जनवरी की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। ‘समकालीन...
कविता लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविताएँ देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों की शिनाख़्त करती हैं।समकालीन जनमतJanuary 19, 2025January 19, 2025 by समकालीन जनमतJanuary 19, 2025January 19, 20250179 अरुण आदित्य लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता की कविता देशकाल की पड़ताल और प्रतिगामी शक्तियों के प्रतिरोध की कविता है। यहाँ हाशिए के लोग हैं, उनका श्रम...
कविता मनीषा मिश्रा की कविताएँ समाज के प्रति अपनी जागरूक भूमिका को निभाने का प्रयास हैंसमकालीन जनमतJanuary 12, 2025January 12, 2025 by समकालीन जनमतJanuary 12, 2025January 12, 2025058 सोनी पाण्डेय बाँस की कोपलों सी बढ़ती है लड़कियाँ…. विमर्श और स्त्री मुक्ति के नारों के बीच आज की कस्बाई औरतों के संघर्षों का यदि...
कविता रणेन्द्र की कविताएँ युगबोध और प्रतिबद्धता की बानगी हैं।समकालीन जनमतJanuary 5, 2025January 5, 2025 by समकालीन जनमतJanuary 5, 2025January 5, 20250164 प्रज्ञा गुप्ता “रणेन्द्र युगबोध के कवि हैं। रणेन्द्र का कवि मन अपनी विविध प्रतिबद्धताओं,सरोकारों के बीच रागारुण संवेदना के साथ उपस्थित है।” ‘ग्लोबल गाँव के...
कविता माया मिश्रा की कविताओं में कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का एक शिखर हैसमकालीन जनमतDecember 29, 2024December 29, 2024 by समकालीन जनमतDecember 29, 2024December 29, 20240132 गुंजन श्रीवास्तव माया मिश्रा जी की कविताओं को पढ़कर एक बात तो साफ़ कही जा सकती है कि यह एक कवि के परिपक्व अनुभव से...
कविता हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ तनी हुई मुट्ठी की तरह ऊपर उठती हैं।समकालीन जनमतDecember 22, 2024December 22, 2024 by समकालीन जनमतDecember 22, 2024December 22, 20240212 चित्रा पंवार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता के विषय में कहते हैं– ‘कविता अगर मेरी धमनियों में जलती है पर शब्दों में नहीं ढल पाती मुझे...
कविता दुनिया में ताक़त के खेल को समझने की कोशिश है अरुणाभ सौरभ की कविताएँसमकालीन जनमतDecember 16, 2024December 19, 2024 by समकालीन जनमतDecember 16, 2024December 19, 2024020 बीते शनिवार को प्रभाकर प्रकाशन में अरुणाभ सौरभ के काव्य-संग्रह ‘मेरी दुनिया के ईश्वर’ के तीसरे संस्करण का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक परिचर्चा...
कविता रचित की कविताएँ यथास्थिति को बदलने के लिए बेचैन हैंसमकालीन जनमतDecember 15, 2024December 15, 2024 by समकालीन जनमतDecember 15, 2024December 15, 20240101 जावेद आलम ख़ान रचित की कविताओं में गुस्सैल प्रेमी रहता है ऐसा नायक जो यथार्थ को नंगा नहीं करता, बड़े सलीके से परोसता है जिसकी...
कविता ग्रेस कुजूर की कविताओं में नष्ट होती प्रकृति का दर्द झलकता है।समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 8, 2024 by समकालीन जनमतDecember 8, 2024December 8, 20240135 प्रज्ञा गुप्ता प्रकृति का सानिध्य किसे प्रिय नहीं। प्रकृति के सानिध्य में ही मनुष्य ने मनुष्यता सीखी; प्रकृति एवं जीवन के प्रश्नों ने ही मनुष्य...
कविता हूबनाथ पांडेय ने अपनी कविताओं में व्यवस्था की निर्लज्जता को बेनक़ाब किया हैउमा रागDecember 1, 2024 by उमा रागDecember 1, 20240216 मेहजबीं हूबनाथ पांडेय जी जनसरोकार से जुड़े हुए कवि हैं। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में व्यवस्था का शोषण तंत्र है, प्रशासन द्वारा परोसा जा रहा...
साहित्य-संस्कृति वीरेनियत-6: कला और साहित्य का अद्भुत संगमसमकालीन जनमतDecember 1, 2024December 2, 2024 by समकालीन जनमतDecember 1, 2024December 2, 20240112 नई दिल्ली। दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर हॉल में जन संस्कृति मंच द्वारा 15 नवम्बर को कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में आयोजित ...
कविता पूजा कुमारी की कविताओं में हाशिये की तमाम आवाज़ें जगह पाती हैं।समकालीन जनमतNovember 24, 2024November 24, 2024 by समकालीन जनमतNovember 24, 2024November 24, 20240232 बबली गुज्जर जिंदगी में जब लगता है कि सब खत्म हो गया है, तो असल में वह कुछ नया होने की शुरुआत होती है। चुप्पियाँ...
कविता माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो अपने परिवेश के प्रति जागरुक और संवेदनशील है।समकालीन जनमतNovember 17, 2024December 8, 2024 by समकालीन जनमतNovember 17, 2024December 8, 20240223 प्रज्ञा गुप्ता डॉ माया प्रसाद की कविताएँ उस व्यक्ति-मन की प्रतिक्रियाएँ हैं जो बहुत संवेदनशील है और अपने पूरे परिवेश के प्रति जागरुक है। उनकी...
कविता मंजुल भारद्वाज की कविताएँ दमनात्मक व्यवस्था की त्रासदी को उजागर करती हैंउमा रागNovember 10, 2024November 10, 2024 by उमा रागNovember 10, 2024November 10, 20240216 मेहजबीं मंजुल भारद्वाज एक मंझे हुए रंगकर्मी हैं और एक ज़िम्मेदार कवि भी। उनकी अभिव्यक्ति के केन्द्र में लोकतंत्र संविधान और देश की जनता है।...
कविता कुछ न होगा के विरुद्ध हैं चंद्रभूषण की कविताएँसमकालीन जनमतNovember 3, 2024November 3, 2024 by समकालीन जनमतNovember 3, 2024November 3, 20240126 प्रियम अंकित चंद्रभूषण की कविताएँ निरंतर जटिल होते समय में जनता के सहज सरोकारों के पक्ष में खड़ी होने वाली कविताएँ हैं। आज जब एक...
कविता संजय कुंदन की कविताएँ स्थगित प्रश्नकाल में ख़तरनाक सवाल की उपस्थिति हैं।उमा रागOctober 27, 2024October 27, 2024 by उमा रागOctober 27, 2024October 27, 20240186 अरुण आदित्य संजय कुंदन की कविताओं में गूंजती विविध आवाजों को सुनें तो लगता है कि शास्त्रीयता के बोझ से मुक्त यह कविता दरअसल कविता...
कविता अनुराग यादव की कविताएँ अपने समय और समाज को देखने का विवेक हैं।समकालीन जनमतOctober 20, 2024October 20, 2024 by समकालीन जनमतOctober 20, 2024October 20, 20240253 शंकरानंद कविता की दुनिया में अभी कई पीढ़ियाँ एक साथ सक्रिय हैं और इसी बीच नए लोग भी आ रहे हैं जिनकी उपस्थिति चकित करती...
कविता आशीष तिवारी की कविताएँ सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान करती हैं।समकालीन जनमतOctober 13, 2024October 13, 2024 by समकालीन जनमतOctober 13, 2024October 13, 20240192 विपिन चौधरी जहाँ हिन्दी साहित्य में कई युवा रचनाकारों ने अपनी आमद से आश्वस्त किया है ऐसे ही एक युवा कवियों की फ़ेहरिस्त में एक...
कविता श्रुति कुशवाहा की कविताओं में स्त्री विमर्श एक आक्रामक तेवर के साथ उपस्थित है।समकालीन जनमतOctober 6, 2024October 6, 2024 by समकालीन जनमतOctober 6, 2024October 6, 20240183 निरंजन श्रोत्रिय स्त्री विमर्श जब ठंडा-सा हो तो वह स्त्री के पक्ष में खड़ा ज़रूर नज़र आता है लेकिन उसकी निर्णायक भूमिका संदिग्ध ही होती...
कविता केतन की कविताएँ वैचारिकी और परिपक्व होते कवित्त का सुंदर समायोजन हैंसमकालीन जनमतSeptember 29, 2024December 16, 2024 by समकालीन जनमतSeptember 29, 2024December 16, 20240396 अणु शक्ति सिंह कविताओं से गुजरते हुए एक ख़याल जो अक्सर कौंधता है वह कवि की निर्मिति से जुड़ा होता है। वह क्या है जिससे...