जनमतशख्सियतस्मृति उजले दिनों की उम्मीद का कवि वीरेन डंगवालसमकालीन जनमतAugust 5, 2019August 5, 2019 by समकालीन जनमतAugust 5, 2019August 5, 201913556 मंगलेश डबराल ‘इन्हीं सड़कों से चल कर आते हैं आततायी/ इन्हीं सड़कों से चल कर आयेंगे अपने भी जन.’ वीरेन डंगवाल ‘अपने जन’ के, इस...
जनमतशख्सियत सत्यजित रे का वैज्ञानिक स्वरुपसमकालीन जनमतMay 2, 2019May 2, 2019 by समकालीन जनमतMay 2, 2019May 2, 20197 2741 अभिषेक मिश्र साहित्य और सिनेमा की अविस्मरणीय विभूति सत्यजित रे (2 मई 1921–23 अप्रैल 1992 ) का आज 98 वाँ जन्मदिन है. इस मौके पर उन्हें याद...
जनमतशख्सियत पहली महिला कुली, दलित महिला आंदोलन नेत्री जाई बाई चौधरीसमकालीन जनमतMay 2, 2019May 2, 2019 by समकालीन जनमतMay 2, 2019May 2, 201903645 अनिता भारती दलित समाज की एक महान समाज-सुधारिका व लेखिका ‘जाईबाई चौधरी’ का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा। उनका जन्म ‘महार’ जाति में...
जनमतशख्सियत मार्कण्डेय की कहानियों में बनते हुए राष्ट्र की तस्वीरदुर्गा सिंहMay 2, 2019May 3, 2025 by दुर्गा सिंहMay 2, 2019May 3, 202504568 मार्कण्डेय (2 मई 1930 – 18 मार्च 2010) हिंदी के जाने-माने कहानीकार थे। आज उनके जन्मदिवस पर अपने एक लेख के माध्यम से उन्हें याद कर रहे हैं...
कविताजनमतशख्सियतस्मृति वत्सल उम्मीद की ठुमक के साथ मैं तो सतत रहूँगा तुम्हारे भीतर नमी बनकर: वीरेन डंगवालउमा रागAugust 5, 2018August 5, 2018 by उमा रागAugust 5, 2018August 5, 201803763 करीब 16 बरस पहले वीरेन डंगवाल के संग्रह ‘दुश्चक्र में स्रष्टा’ पर लिखते हुए मैंने उल्लास, प्रेम और सौंदर्य को उनकी कविता के केंद्रीय तत्वों...