कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति समय के जटिल मुहावरे को बाँचती घनश्याम कुमार देवांश की कविताएँउमा रागSeptember 2, 2018September 2, 2018 by उमा रागSeptember 2, 2018September 2, 201813454 आज के युवा बेहद जटिल समय में साँस ले रहा है. पूर्ववर्ती पीढ़ी में मौजूद कई नायाब और सौंधे सुख उसकी पीढ़ी तक पहुँचने से...
जनमत पूनम वासम की कविताएँ सजग ऐंद्रिय बोध और वस्तु-पर्यवेक्षण की कविताएँ हैंउमा रागAugust 26, 2018August 26, 2018 by उमा रागAugust 26, 2018August 26, 20187 2419 हिन्दी कविता में आदिवासी जमीन से आने वाली पहली कवयित्री सुशीला सामद हैं। उनका संग्रह “प्रलाप” नाम से 1935 में, सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी...
शख्सियतसाहित्य-संस्कृति वीरेन दा की याद: ‘नदी’ कविता के बहाने सेसमकालीन जनमतAugust 5, 2018August 5, 2018 by समकालीन जनमतAugust 5, 2018August 5, 201801908 शिव प्रकाश त्रिपाठी “ लंबे और सुरीले नहीं थे मेरे गान मेरी सांसे छोटी थी पर जब भी गाए मैंने बसंत के ही गान गाए...
कविताजनभाषा अमरेंद्र की अवधी कविताएँ: लोकभाषा में संभव राजनीतिक और समसामयिक अभिव्यक्तियाँउमा रागJuly 29, 2018July 29, 2018 by उमा रागJuly 29, 2018July 29, 201803302 ( कवि-कथन : अवधी में कविता क्यों ? मुझसे मुखातिब शायद यही, किसी का भी, पहला सवाल हो। जवाब में कई बातें हैं लेकिन पहला...
जनमत सभ्यता का परदा हटातीं हैं आर. चेतन क्रांति की कवितायेँउमा रागJuly 22, 2018July 22, 2018 by उमा रागJuly 22, 2018July 22, 201803561 2004 में आए अपने पहले कविता संग्रह ‘शोकनाच’ के साथ आर चेतन क्रांति ने इक्कीसवीं सदी की दुनिया के पेच शायद सबसे करीने से पकड़े।...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति संजीव कौशल की कविताएँ : प्रतिगामी विचारों का विश्वसनीय प्रतिपक्षउमा रागJuly 1, 2018October 13, 2019 by उमा रागJuly 1, 2018October 13, 201903541 जागृत राजनीतिक चेतना, समय और समाज की विडम्बनाओं की गहरी समझ और भाषा की कलात्मक पारदर्शिता के कारण संजीव कौशल की कवितायेँ नयी सदी की युवा...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति सहज काव्यकथाओं सी हैं अदनान की कविताएँसमकालीन जनमतJune 17, 2018June 17, 2018 by समकालीन जनमतJune 17, 2018June 17, 201801996 अदनान की कविताओं से गुजरना अपने समय के लोक से गुज़रना और उसकी त्रासदियों को जानते हुए उसकी लाचारी को अपनी लाचारी में बदलते देखना...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति कुमार मुकुल की कविताएँ : लोकतंत्र के भगवाकरण की समीक्षासमकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 2018 by समकालीन जनमतJune 10, 2018June 10, 20187 3306 30 वर्षों से रचनारत कुमार मुकुल के कविता परिदृश्य का रेंज विशाल और वैविध्य से भरा है , प्रस्तुत कविताओं में आज के समय को...
कविताजनमतसाहित्य-संस्कृति विहाग वैभव की कविताएँ : लोक जीवन के मार्मिक संवेदनात्मक ज्ञान की कविताएँ हैं- मंगलेश डबरालसमकालीन जनमतJune 3, 2018June 3, 2018 by समकालीन जनमतJune 3, 2018June 3, 20182 3585 युवा कवि विहाग वैभव की कविताओं में क्रांति, विद्रोह, विरोध, निषेध के तीखे स्वर हैं और वह प्रेम भी है जिसे संभव करने के...
कवितासाहित्य-संस्कृति अच्युतानंद मिश्र की कविताएँ : अपने जीवनानुभवों के साथ ईमानदार बर्ताव की कविताएँ हैंसमकालीन जनमतMay 20, 2018May 20, 2018 by समकालीन जनमतMay 20, 2018May 20, 201801730 विष्णु नागर अच्युतानंद मिश्र की छवि एक अच्छे कवि, गंभीर अध्येता और एक आलोचक की बनी है। इधर हमारी कविता में अनकहे की अनुपस्थिति बढ़ती...
कवितासाहित्य-संस्कृति प्रदीप कुमार सिंह की कविताएँ : विह्वल करने से ज़्यादा विचार-विकल करती हैंउमा रागMay 13, 2018May 13, 2018 by उमा रागMay 13, 2018May 13, 201812652 नदी समुद्र में जाकर गिरती है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन यह सच्चाई तो प्रदीप की कविता को पता है कि नदी अपना दुःख...