समकालीन जनमत

Tag : व्यवस्था

जनमत

कुम्भ मेला : संगम आस्था और त्रासदी का

दिनेश अस्थाना
29 जनवरी लगने ही वाली थी। प्रयागराज के महाकुम्भ मेले में संगम नोज़ पर अचानक भीड़ उमड़ पड़ी, भगदड़ मच गयी। घटना के लगभग 10...
ग्राउन्ड रिपोर्ट

महाकुंभ : कॉरपोरेट व सांप्रदायिकता

के के पांडेय
इलाहाबाद के प्रसिद्ध कवि दिवंगत कैलाश गौतम की कविता ‘ अमवसा क मेला’ की पंक्तियां याद करें- अमवसा नहाए चलल गांव देखा। एहू हाथे झोरा...
जनमत

भारत की फिलिस्तीन नीति में निरंतर परिवर्तन

समकालीन जनमत
स्टैनली जॉनी भारत ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी हितों का प्रबल समर्थक रहा है। और पिछले तीन दशकों में, जब इज़राइल के साथ भारत के संबंध...
शख्सियत

अन्याय को खत्म करने के सपनों का कवि

गोपाल प्रधान
गोरख पांडे की कविता किसी जादू के जोर से प्रत्येक समय में प्रासंगिक हो उठती है । उनकी इस ताकत का रहस्य समय के यथार्थ...
कवितासाहित्य-संस्कृति

मरे हुए तालाब में लाशें नहीं विचारधाराएं तैर रही हैं

आशुतोष कुमार
“जंगल केवल जंगल नहीं है नहीं है वह केवल दृश्य वह तो एक दर्शन है पक्षधर है वह सहजीविता का दुनिया भर की सत्ताओं का...
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