पुस्तक कोमिंटर्न की वैश्विकतागोपाल प्रधानJuly 18, 2023July 18, 2023 by गोपाल प्रधानJuly 18, 2023July 18, 2023049 2023 में वर्सो से ब्रिजिट स्टूडेर की 2020 में छपी जर्मन किताब का अंग्रेजी अनुवाद ‘ट्रावेलर्स आफ़ द वर्ल्ड रेवोल्यूशन: ए ग्लोबल हिस्ट्री आफ़ द...
पुस्तक कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र की कहानीगोपाल प्रधानJuly 7, 2022July 12, 2022 by गोपाल प्रधानJuly 7, 2022July 12, 2022031 2022 में हेड आफ़ जीयस से चाइना मेविल की किताब ‘ए स्पेक्टर, हांटिंग: चाइना मेविल आन द कम्युनिस्ट मेनिफ़ेस्टो’ का प्रकाशन हुआ। उन्नीसवीं सदी के...
सिनेमा आदिवासियों के स्वाभिमान की लड़ाई और सौंदर्य विधान की स्थापना का कलात्मक प्रयास है ‘जय भीम’समकालीन जनमतNovember 17, 2021November 17, 2021 by समकालीन जनमतNovember 17, 2021November 17, 2021058 महेश कुमार तमिल फिल्म ‘जय भीम’ जस्टिस चंद्रू के 1993 के एक केस पर आधारित है. यह फ़िल्म अपनी वैचारिक पृष्ठभूमि, यथार्थपरक प्रस्तुति और अस्मितावादी...
जनमत ऐतिहासिक भौतिकवाद क्या है ?: प्रो. गोपाल प्रधानगोपाल प्रधानJuly 4, 2020July 5, 2020 by गोपाल प्रधानJuly 4, 2020July 5, 202003546 सोवियत संघ के पतन के बाद वैश्वीकरणकरण ही एकमात्र सच नहीं है। पूंजी के हमलावर होने के साथ उसके प्रतिरोधों का सिलसिला चल पड़ा। इस...
साहित्य-संस्कृति अंतःकरण और मुक्तिबोध के बहानेरामजी रायNovember 13, 2018December 2, 2018 by रामजी रायNovember 13, 2018December 2, 20185 4847 (मुक्तिबोध के जन्मदिन पर समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय का आलेख) 2017 में मुक्तिबोध की जन्मशताब्दी गुज़री है और 2018 मार्क्स के जन्म...
इतिहास क्यों डरती रही हैं भारत की सरकारें 1857 सेसमकालीन जनमतMay 11, 2018May 11, 2018 by समकालीन जनमतMay 11, 2018May 11, 201803645 1857 ने जिस राष्ट्रवाद का आगाज किया था, उसकी विरोधी शक्तियां आजाद भारत में सत्ता के शिखर पर पहुंच चुकी हैं. यानी पहली जंग-ए-आजादी ने...
जनमतदुनियाशख्सियतस्मृति कार्ल मार्क्स : एक जीवन परिचयगोपाल प्रधानMay 5, 2018May 5, 2018 by गोपाल प्रधानMay 5, 2018May 5, 201805245 दुनिया के मजदूरों के, सिद्धांत और कर्म दोनों मामलों में, सबसे बड़े नेता कार्ल मार्क्स (1818-1883) का जन्म 5 मई को त्रिएर नगर में हुआ...
दुनियाशख्सियतस्मृति मार्क्स ने खुद के दर्शन को निर्मम और सतत आलोचना के रूप में विकसित किया : दीपंकर भट्टाचार्यविष्णु प्रभाकरMay 4, 2018May 4, 2018 by विष्णु प्रभाकरMay 4, 2018May 4, 201802878 मार्क्स के दबे हुए लोग और अंबेडकर के बहिष्कृत लोग एक ही हैं। इसी तरह मार्क्स ने भारत में जिसे जड़ समाज कहा, अंबेडकर ने...