समकालीन जनमत

Tag : फ़ैज अहमद फैज

स्मृति

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी   ( उर्दू के महान हास्य-व्यंग्य लेखक मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी द्वारा लिखित यह लेख (संस्मरण) उनकी अंतिम किताब “शाम-ए-शेर-ए-याराँ (1914) से लिया...
साहित्य-संस्कृति

यलगार का कोरस

बीते रविवार कोरस के फेसबुक लाइव में यलगार सांस्कृतिक मंच के साथियों सिद्धार्थ प्रतिभावंत, स्वाती उथले और धम्मरक्षित ने युवाओं, महिलाओं, मजदूरों, शोषित एवं दलित...
साहित्य-संस्कृति

आज के नाम और आज के ग़म के नाम

समकालीन जनमत के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में रंगनायक, बेगूसराय, हिरावल पटना के डी. पी. सोनी के बाद हिरावल पटना के संतोष झा ने अपने गीतों...
ख़बरज़ेर-ए-बहस

वाह फ़ैज़ प्यारे , थरथरा रहे हैं हुक्मरां सुन कर गीत तुम्हारे !

इन्द्रेश मैखुरी
वाह फ़ैज़ साहब,क्या कहने आपके. आपकी शायरी,आपकी नज़्में क्या तूफान मचाये हुए हैं. उत्तर प्रदेश में एक ऐसे बुजुर्ग को शांति भंग का नोटिस दिया...
ख़बरजनमत

फै़ज़ को क्यों और कैसे पढे़ ?

प्रणय कृष्ण
उर्दू काव्यशास्त्र में मज़मून (कंटेंट) और मानी (मीनिंग) में फर्क किया गया है। इसे समझने के लिए हमें ‘गुबारे- अय्याम’ में संकलित ‘तराना-2’ (1982) सुनना/पढ़ना...
शख्सियतसिनेमा

अभिव्यक्ति के प्रति ईमानदार एक रचनाकार की त्रासदी ‘मंटो’

अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ‘मंटो’ बायोपिक फिल्म की बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा था। समय-समय पर आने वाले ट्रेलर या वीडियो के टुकड़े इंतिजार को...
जनमत

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को क्या स्वतंत्र चेतना से डर लगने लगा है

समकालीन जनमत
यह मसला सिर्फ एक व्यक्ति के अपमान का नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को क्या स्वतंत्र चेतना...
जनमत

फ़ैज़ की शायरी में शोकाकुल राष्ट्रवाद के स्वर : प्रणय कृष्ण

समकालीन जनमत
  जन संस्कृति मंच का आगरा और दरभंगा में फ़ैज़ अहमद फैज़ की जयंती पर ‘जश्न-ए-फ़ैज़ ’ का आयोजन    इंकलाबी शायर फ़ैज़ अहमद फैज़...
जनमत

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की जयंती पर प्रेम और क्रान्ति के गीत गाए

समकालीन जनमत
  फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की जयंती पर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में  ‘चन्द रोज़ और मेरी जान : सेलिब्रेटिंग लव ‘ का आयोजन विश्वविद्यालयों को...
Fearlessly expressing peoples opinion