शख्सियत ‘क्यों कर न हो मुशब्बक शीशे सा दिल हमारा’ -शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की यादमृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 2020 by मृत्युंजयDecember 28, 2020December 28, 202002253 फ़ारूक़ी साहब नहीं रहे। यह इलाहाबाद ही नहीं, समूचे हिन्दी-उर्दू दोआब के लिए बेहद अफसोसनाक खबर है। वे उर्दू के जबरदस्त नक्काद [आलोचक] थे, बेहतरीन...
जनमतपुस्तक ‘बैठकर काशी में अपना भूला काशाना’ : मिर्ज़ा ग़ालिबसमकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 2019 by समकालीन जनमतJuly 16, 2019July 16, 20194 1749 कुमार मुकुल ‘चिराग़-ए-दैर (मंदिर का दीया)’ मिर्ज़ा ग़ालिब की बनारस पर केंद्रित कविताओं का संकलन है जिसका मूल फारसी से सादिक ने अनुवाद किया है। चिराग़-ए-दैर की...
साहित्य-संस्कृति पूछते हैं वो कि गालिब कौन है !रवि भूषणFebruary 15, 2019February 15, 2019 by रवि भूषणFebruary 15, 2019February 15, 201902264 आज गालिब (27.12.1797-15.02.1869 ) की डेढ़ सौ वीं पुण्यतिथि है और वे बार-बार याद आ रहे हैं – ‘वह हर इक बात पर कहना कि...
साहित्य-संस्कृति मीर, ग़ालिब, नज़ीर के बग़ैर भारतीय साहित्य की संकल्पना पूरी नहीं -असद ज़ैदीसमकालीन जनमतDecember 30, 2018December 30, 2018 by समकालीन जनमतDecember 30, 2018December 30, 201802683 आगरा. दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के कला संकाय की ओर से आयोजित ‘गालिब जयंती’ समारोह के मुख्य अतिथि के बतौर बोलते हुए प्रसिद्ध कवि असद ज़ैदी...
ख़बरसाहित्य-संस्कृति ताशकंद में किया गया गालिब को यादसमकालीन जनमतDecember 29, 2018December 29, 2018 by समकालीन जनमतDecember 29, 2018December 29, 201802906 संजीव कौशल ताशकंद स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में जहाँ हिंदी और उर्दू का अध्यन एवं अध्यापन कई वर्षों से किया जा रहा है...