समकालीन जनमत
ख़बर

समता समागम में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए एकताबद्ध होकर संघर्ष तेज करने का आह्वान

इलाहाबाद में समाजवादी चिंतक सुरेंद्र मोहन की स्मृति में लोहिया विचार मंच द्वारा नागरिक समाज के सहयोग से दो दिवसीय समता समागम का आयोजन किया गया जिसमें  ‘संविधान और लोकतांत्रिक ढांचे पर मंडराते खतरे और चुनौतियां ‘ पर परिचर्चा व संवाद हुआ।

प्रथम सत्र की शुरुआत में सुरेंद्र मोहन पर निकाली गई स्मारिका का अनावरण हुआ। इसके बाद कार्यक्रम के स्वागतध्यक्ष श्याम कृष्ण पांडेय ने कहा कि संसद और लोकतंत्र का अपहरण हो गया है। हमें इस बात की आवश्यकता है कि इस लड़ाई को दूसरी आजादी के रूप में देखा जाए। आने वाला 4 से 6 महीना हिंदुस्तान के लोकतंत्र की भविष्य को तय करेगा।

कामरेड कुमुदिनी पति ने कहा कि कुश्ती पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती को अलविदा कर दिया। इस घटना ने यह आशंका पैदा कर दिया है कि आने वाला समय महिलाओं के लिए कैसा होगा। महिलाओं को पुनः घरों की चारदीवारी के भीतर कैद कर दिया जाएगा। देश के अल्पसंख्यक, दलित महिलाओं व पिछड़े वर्ग पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। हमें एक सेकुलर नजरिए को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना होगा।

मोहम्मद सलीम ने कहा कि आज के अमृत काल के साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया शिकार हो गए हैं। आज सेकुलर होना गाली हो गया है। कॉर्पोरेट व कम्यूनल काल में फासीवादी मानसिकता में लगातार बढ़ोतरी हो गई है। गुजरात के 2002 की प्रयोगशाला वाली फासीवादी मानसिकता ने 2014 में दिल्ली की गद्दी पर बैठाने का काम किया है। आज संविधान के जरिए ही इस संविधानके को खत्म किया जा रहा है। लोकतंत्र इंसानी जिंदगी का मिजाज है। इस मिजाज को बदला जा रहा है। लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म किया जा रहा है। आज तानाशाह को सवाल करना पसंद नहीं है। 150 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। भारत में फासीवाद का मॉडल हिटलर और मुसोलिनी का है।

 

महाजिर आलम ने कहा कि विश्वविद्यालय का छात्र राजनीतिक सवाल उठाने का काम करता था। यौन शोषण का खतरा तीसरा सबसे बड़ा खतरा है। आज हमारी लड़कियों और महिलाओं का बेइज्जत करने का काम हो रहा है और सरकार बेइज्जत करने वालों के पीछे खड़ी है।

किसान नेता डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि लोहिया ने निराशा के कर्तव्य की बात की थी। देश में तमाम जन-आंदोलन चल रहे हैं। यदि इन संघर्षों को हम ऊर्जा देने का काम करें तो बहुत कुछ हो सकता है। हमें उन्हें समय देने की जरूरत है। आज की परिस्थितियों के बारे में जनता से अपील करना चाहिए। मणिपुर न्यू इंडिया का चेहरा बनता जा रहा है। हमें इसके बारे में सोचना चाहिए। किसान आंदोलन की जीत जन-आंदोलन की जीत है। वामपंथी और समाजवादी लोकतंत्र की एक व्यापक एकजुटता ही देश से फासीवाद हटाने का उपाय है। इंडिया गठबंधन देश की जरूरत है। हमें इसका समर्थन करना चाहिए।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए कामरेड हरिश्चंद्र द्विवेदी ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में तीन तरह की विचारधाराए काम कर रही थी। उन्होंने इन विचारधाराओं को विस्तार से समझाया।

इस सत्र का संचालन लोहिया विचार मंच के संयोजक श्री विनय कुमार सिन्हा ने किया।

दूसरे सत्र के शुरुआत में ‘विधानसभा में बद्री विशाल’ नामक पुस्तक का विमोचन हुआ। इसके बाद सत्र को आगे बढ़ते हुए उदयपुर से आए वरिष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ ने कहा कि संविधान केवल एक पुस्तक बनकर रह गई है। देश पर खतरा बहुत बड़ा है, लेकिन हमारा संविधान इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहा है। धारा 370 को जिस तरह से हटाया गया और उच्चतम न्यायालय ने उसे सही ठहराया, यह बहुत सोचनीय है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल ने कहा कि संविधान सभा में समाजवादी, साम्यवादी और आरएसएस यह तीन वैचारिक धाराएं थी। आरएसएस ने संविधान को नहीं माना था। आज खतरा इसी से है। उन्होंने कहा कि जब व्यवस्था दमनकारी हो जाए तो प्रतिरोध को फैशन बनाया जाना चाहिए। राजनीति करना बहुत ही गंभीर काम है। अगर सारे रास्ते अडानी की ओर जा रहे हैं तो हमें समाजवादी एजेंडे को आगे लाना होगा।

चर्चित पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने कहां कि भारतीय संविधान पर खतरा उन लोगों से है जिन पर यह टिका है। इसमें ‘जनता का खंभा ‘ सबसे महत्वपूर्ण है। पिछले 5 वर्षों से लोकसभा में उपाध्यक्ष नहीं है। संसद के सत्र सीमित होते जा रहे हैं। राज्य के तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपना काम नहीं कर रही है। पत्रकारिता जन समस्याओं व महिला समस्या चर्चा नहीं करता। हिंदू राष्ट्र में महिला, दलित व पिछड़े वर्ग की स्थिति क्या होगी, यह सवाल सामने है। यदि देश लोकतंत्र व संविधान बचाना है तो हमें हर हाल में फासीवादी मानसिकता के खिलाफ लड़ना ही होगा।

इस सत्र की अध्यक्षता शाहनवाज कादरी ने की। पहले दिन का संचालन के एम अग्रवाल ने किया।

दूसरे दिन के प्रथम सत्र में भारतीय किसान मजदूर सभा के डॉक्टर आशीष मित्तल ने कहा कि भारत की वर्तमान सरकार पूरे देश को फासीवादी रास्ते पर ले जा रही है। भारत एक बहुभाषी,बहुजातीय तथा बहुराष्ट्रीय देश है। आरएसएस के पीछे और पीठ पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां है। स्मार्ट सिटी योजना तथा इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में बदलाव कॉर्पोरेट के इशारे पर कॉर्पोरेट के लिए किया जा रहे हैं।

समाजवादी नेता रीवा के अजय खरे ने कहा कि आज का उत्पीड़न इमरजेंसी के दौर से अधिक हो रहा है। आज पहले की अपेक्षा ज्यादा घुटन है। इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई और चुनाव कराकर उसे बहाल भी किया। धर्मनिरपेक्षता शब्द संविधान में जोड़ा। आज धर्मनिरपेक्षता को खत्म किया जा रहा है। फिर से लड़ाई लड़ने की तैयारी करनी होगी।

गांधीवादी विचारक राम धीरज जी ने कहा कि जन संघर्षों को चलाने वालों में गंभीर मतभेद रहे हैं। आज की जरूरत सभी संघर्षों में एक केंद्रीय एकता स्थापित करने की है। तभी हम देश को और खुद को बचा पाएंगे।

बिहार से आए पूर्व विधायक सूर्य देव त्यागी ने कहा कि समाज में बदलाव के लिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा। हमें समाज विरोधी लोगों तथा जनता को बांटने वालों के खिलाफ सड़क पर आना होगा।

चर्चित पत्रकार सुनील शुक्ला ने कहा कि सुरेंद्र मोहन के जीवन में पढ़ना या लिखना ही मुख्य उद्देश्य था। आंदोलनकारी संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन आपस में छोटे-छोटे कारणों से आपसी एकता नहीं बन पा रहे हैं। ऐसे में लोगों की एकता कैसे बने, यह सोचने वाली बात है।

पूर्व सांसद धर्मराज पटेल ने कहा कि आज लोकतांत्रिक संस्थाएं, विश्वविद्यालय मजदूर संघ, कर्मचारी संघ सभी की आवाज मोदी सरकार ने बंद कर दिया। सभी आंदोलन को कुचला जा रहा है। बीजेपी हिंदू धर्म की कुरीतियों, जातिवाद व भेदभाव को खत्म करने के लिए काम नहीं कर रही है। आरएसएस न्यायपालिका, नौकरशाही और विश्वविद्यालय जैसे जगहों पर अपने लोगों को बैठा रही है। जब ऐसे लोगों का वर्चस्व कायम हो जाएगा तो आरएसएस की नीतियों को लागू आसानी से किया जा सकेगा और जन अधिकारों को समाप्त किया जाएगा।

कर्नाटक से आए पूर्व न्यायाधीश टी गोपाल सिंह ने कहा कि हमें नौजवानों को आकर्षित करने के लिए काम करना तथा सोचना चाहिए। सड़क पर जब तक आंदोलन को नहीं ले जाएंगे, हम आज की स्थिति से नहीं लड़ पाएंगे।

बनारस सर्व सेवा संघ से जागृति राही ने कहा कि गांव में कोई भी इस सरकार से खुश नहीं है। ऐसे में चार राज्यों के चुनाव में तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी कैसे जीत गई ? हम एक नागरिकता के निर्माण में असफल हुए हैं। हमें नए तरीके से सोच कर निर्णय लेना होगा। धार्मिक ध्रुवीकरण की काट हमें ढूंढना होगा। जमीनी स्तर पर तथा जिला स्तर पर इंडिया एलाइंस का कोई कोऑर्डिनेशन नहीं दिखाई दे रहा है। इस समस्या को जल्द से जल्द दूर करनी होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजकुमार जैन में विस्तार से सुरेंद्र मोहन से जुड़े अनेक प्रेरक प्रसंग साझा किया और उनकी सादगी और संगठन क्षमता को उजागर किया। सरकार की जन विरोधी नीति को विस्तार से बताने के बाद उन्होंने कहा कि हमें बुजदिली से बाहर निकलना होगा।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए लोहिया विचार मंच के प्रमुख साथी नरेश सहगल ने कहा कि संविधान को अपने ढंग से व्याख्या कर सरकार न्यायपालिका को भी अपने पक्ष में जोड़ने का काम भविष्य में और तेजी से करेगी।

नागरिक समाज के वरिष्ठ साथी श्री सुरेंद्र राही ने समारोह के अंत में लिखित प्रस्ताव पढ़ा। प्रस्ताव में कहा गया है कि ” यह समागम सभी वक्ताओं और धाराओ के प्रतिनिधियों के विचार सुनने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आज की आर एस एस संचालित भाजपा सरकार संविधान-विरोधी और लोकतांत्रिक व्यवस्था विरोधी है तथा कारपोरेट और विदेशी कंपनियों की पक्षधर नीतियों को लागू करने के लिए लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक अधिकारों का दमन कर रही है और फासीवादी शासन देश में लागू करने की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है। यह समागम सभी लेकतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों, जन‌पक्षधर संघर्षरत शक्तियों , संगठनों, व्यक्तियों का आह्वान करती है कि वे एकताबद्ध तरीके से सड़क पर उत्तर कर संघर्ष तेज करें। लोकतंत्र को बचाने की मुहिम से जुड़े। यह समागम आज की जनविरोधी सरकार के खिलाफ बनी विपक्षी एकता का स्वागत करता है। “

आभार व्यक्त करते हुए कामरेड आनंद मालवीय ने आने वाली लड़ाई को करो या मरो के रूप में देखकर आगे बढ़ाने को कहा।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता के के राय तथा दूसरे सत्र का संचालन महिला आंदोलनकारी तथा नागरिक समाज वर्किंग कमेटी की सदस्य डॉक्टर पद्मा सिंह ने किया।

दो दिवसीय समता समता समारोह में अपनी बात रखने वालों में विनोद कुमार तिवारी, कामरेड गायत्री गांगुली, डॉक्टर आर पी सिंह, के के पांडेय, सतपाल जी, ऋश्वेश्वर उपाध्याय, राजवेंद्र सिंह, शईद सिद्दीकी, राजीव कुमार , सुनील मौर्या, मनीष कुमार, औरंगजेब अहमद, सत्येंद्र सिंह, मयंक श्रीवास्तव, देशराज जायसवाल, आरती चिराग, संदीप पांडेय, राजनारायण सिंह, कमल उसरी, भानु , प्रदीप, ओबामा, दिनेश यादव, मनीष सिन्हा, सी वी चतुर्वेदी, डॉक्टर सुधांशु मालवीय, अविनाश मिश्रा, डॉक्टर सूर्य नारायण, हिमांशु रंजन, राजवेंद्र सिंह, शईद सिद्दीकी, राजीव कुमार, रचना मालवीय, झरना मालवीय, संध्या नवोदिता, औरंगजेब अहमद, सूबेदार सिंह,  अजय खरे, सुनील गुप्ता, अंकित पाठक, राज नारायण सिंह, पुतुल, सहित देश भर के आए अन्य सैकड़ों साथी उपस्थित थे।

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion