लखनऊ। शैक्षिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों में बढती प्रशासनिक तानाशाही व शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ अभिभावक मंच ने 13 जुलाई को परिवर्तन चौक के पास आचार्य नरेन्द्र देव की समाधि स्थल पर धरना व प्रतिरोध सभा का आयोजन किया.
इस अवसर पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता केके शुक्ला ने कहा लखनऊ समेत देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का माहौल निरंकुश होता जा रहा है. प्रशासनिक मनमानापन ब़ढ़ता जा रहा है और बेकसूर छात्र-छात्राएं प्रताड़ित हो रहे हैं.
प्रो0 रमेश दीक्षित ने कहा कि योजनाव़द्ध तरीके से उच्च शिक्षा का नष्ट किया जा रहा है. निजी विश्वविद्यालयों का कारोबार बढ़ाने के लिए देशी संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है. सरकार उच्च शिक्षा के निजीकरण की राह पर चल रही है. लखनऊ विश्वविद्यालय में जब छात्र-छात्राएं अपनी जायज मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे तो प्रशासन ने उन छात्रों से बात करने के बजाए उनका दमन किया जो कि बेहद निन्दनीय है. हम आन्दोलन को आगे ले जायेगे.
वीरेन्द्र त्रिपाठी ने जियो विश्वविद्यालय, जो अभी बना भी नहीं है, उसे श्रेष्ठ संस्थान का दर्जा दिये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार अब अंबानी, अदानी को शिक्षा क्षेत्र में कब्जा दिला रही है. यह जन आकांक्षाओं के साथ धोखाधड़ी है.
ओ.पी.सिन्हा ने कहा कि सरकार की उच्च शिक्षा नीति की सबसे अधिक मार अभिभावकों पर पड़ी है. बेहिसाब बढती फीसें और हर कदम पर प्रवेश परीक्षाओं से अभिभावक तबाह हो रहे हैं. किसी तरह उनके बच्चों को यदि उच्च शिक्षा में प्रवेश मिल भी जाता है तो रोजगार के नाम पर सिर्फ संविदा शिक्षक-प्रोफेसर ही बनते हैं। उनके डिग्रियों की कोई कीमत नहीं है.
धरने में राम किशोर, भगवान स्वरूप कटियार, ज्योति राय, हरिशंकर मौर्य, यादवेन्द्र पाल, महेश देवा, मो0 मसूद, उदय सिंह, सी0एम0 शुक्ला आदि रहे. धरने की अध्यक्षता वन्दना मिश्रा ने किया.
धरने के समापन पर सर्वसम्मति से उच्च शिक्षा व्यवस्था पर एक सम्मेलन करने और इसे नष्ट किये जाने और कारोबार बनाने के खिलाफ जन आन्दोलन करने का निर्णय लिया गया. यह भी तय हुआ कि लखनऊ विश्वविद्यालय में हुए छात्रों के साथ अन्याय के सम्बन्ध में जल्दी ही राज्यपाल से मुलाकात कर व राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अवगत कराया जायेगा.