Sunday, June 11, 2023
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पहलवानों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन, शहीद स्मारक पर ‘ब्रजभूषण सिंह को जेल भेजो’ नारा गूंजा

लखनऊ। ‘ब्रजभूषण सिंह को जेल भेजो’, ‘महिला खिलाड़ियों संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘औरतों का यह अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ के नारे लखनऊ के शहीद स्मारक पर गूंजे। दिल्ली के जंतर मंतर पर बीते 24 दिन से धरना दे रही महिला पहलवानों के समर्थन में लेखकों, बुद्धिजीवियों, महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर धरना दिया, प्रदर्शन किया और मोमबत्तियां जलाकर खिलाड़ियों के संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया।

इसका आयोजन भारतीय महिला फेडरेशन एडवा, एपवा, साझी दुनिया, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, इप्टा, स्त्री मुक्ति लीग, एसएफआई, डीवाईएफआई, सीटू, किसान सभा, नौजवान भारत सभा, एनएपीएम, एआईडीएसओ, एआईएमएसएस आदि संगठनों ने संयुक्त रूप से किया था। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।

इस अवसर पर हुई सभा में सरकार की निष्क्रियता पर अपना रोष प्रकट किया गया तथा अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर भारत सरकार को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि ‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली सरकार के उदासीन रवैया से हम बहुत हैरान हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ जिसमें एक मुकदमे में पोक्सो के तहत भी मामला है। इसके बाद भी आज तक आरोपी भाजपा सांसद को गिरफ्तार नहीं किया गया है बल्कि आंदोलनरत खिलाड़ियों को पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान किया जा रहा है।

 

वक्ताओं ने कहा कि आरोपी अपने को बेगुनाह बताते हुए टीवी चैनलों पर बयान दे रहा है। हमारे देश के कानून के अनुसार यौन शोषण मामलों में पीड़िता का बयान आरोपी के खिलाफ एक सबूत है और फिर पोक्सो पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है किंतु सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद होने के कारण उसकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। यह कानून के शासन के साथ खिलवाड़ है और महिला खिलाड़ियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

ज्ञापन में के माध्यम से मांग की गई कि ब्रजभूषण सिंह को राजनीतिक संरक्षण देना बंद हो। उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए और समय सीमा में चार्जशीट दाखिल हो। यह भी मांग की गई कि खेल की सभी संस्थाओं में शिकायत कमेटियों का गठन सुनिश्चित किया जाए। धरना स्थल पर महिला खिलाड़ियों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था हो और उन्हें सभी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इस पूरे प्रकरण की जांच सुप्रीम कोर्ट की अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की देखरेख में कराया जाए।

इस धरने में प्रो रूपरेखा वर्मा, मधु गर्ग, आशा मिश्रा, मीना सिंह, कात्यायनी, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, राकेश, कौशल किशोर, नलिन रंजन, दयाशंकर राय, नाइश हसन, विमल किशोर, मंदाकिनी राय, धर्मेंद्र कुमार आलोक कुमार, आदियोग, अतहर हुसैन, दीपक कबीर, ऋषि श्रीवास्तव, रिजवान अली, ऋत्विक दास, केके चतुर्वेदी, सुमन सिंह, सुनीता घोष, बबीता, कुलदीप कुमार आदि शामिल थे। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अविलम्ब कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

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