समकालीन जनमत
स्मृति

पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे चित्रकार राजकुमार सिंह

भूपेन्द्र कुमार अस्थाना

 

कहते हैं कि एक अच्छा कलाकार वही बन सकता है जो एक अच्छा इंसान बन कर जीता है, लोगों के दुख दर्द को समझता है और अपने इंसान होने के उद्देश्य को अच्छे से समझता है। उसके संसार से विदा होने पर उसका व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही लोग सराहते हैं और पीढ़ियों दर पीढ़ियों उस कलाकार की मिसालें दी जाती हैं। उसका जीवन  लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है। इसलिए युगों युगों से लोगों ने सर्वप्रथम इंसान बनने की ही बातें की हैं।

आज हम यहाँ एक ऐसे ही व्यक्ति की बात करने जा रहे हैं जिन्होंने न केवल अपनी कला से बल्कि अपने ऊर्जावान विचारों और अपने व्यक्तित्व से समाज में अपनी एक पहचान स्थापित की। वह ऊर्जावान चित्रकार और विचारक राजकुमार सिंह जी रहे। उनका निधन आज से एक साल पहले 9 जनवरी 2023 को हो गया। वे महज 45 वर्ष के थे। राजकुमार जी पिछले एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे। राजकुमार सिंह का जन्म 01 जनवरी 1978 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सुजानपुर गांव में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वे केवल एक व्यक्ति ही नहीं, बल्कि एक व्यक्तित्व थे जिसे उन्होंने खूब जिया साथ ही लोगों को भी जीने का हौसला दिया। वे पेशे से भले ही एक कला अध्यापक रहे लेकिन उन्होंने उस पेशे के कर्तव्यों को भी बखूबी निभाया। इन्ही कारणों से भी वे औरों से अलग रहे। वे बहुत से लोगों के लिए उम्मीद, संभावना, हौसला और हमेशा एक सहयोगी-संरक्षक की भूमिका में रहे। उन्होंने कला और साहित्य में आम जन मानस के पक्षधर थे। वे जन आंदोलन में भी सक्रिय रहे। उनके ऊर्जावान विचार और कला के प्रति समर्पण लोगों को मार्गदर्शन का कारण बना जिसके कारण राजकुमार सिंह जी पीढ़ियों दर पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे और उनके किए गए योगदान लोगों को हमेशा प्रोत्साहित और प्रेरणा स्वरूप कार्य करेगी।
राजकुमार जी से मेरा जुड़ाव 2017 से हुआ। हालाँकि उनकी संस्था ‘संभावना कला मंच’ से 2010 से ही संपर्क हो  गया था। हमारी एक कलाकृति सम्भावना कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुई थी लेकिन उस प्रदर्शनी में मेरा जाना नहीं हुआ था। मित्रों के माध्यम से वर्क भेज दिया था।  चूँकि गाजीपुर में मेरा ससुराल होने के नाते वहां जब भी जाना हुआ राजकुमार जी से उनके आवास पर अवश्य मिलना होता था और कला एवं तमाम विषयों पर चर्चा होती थी। उसके बाद फोन पर भी बातें होती रहती थी।  उनसे अंतिम मुलाकात 18 जुलाई 2022 को उनके आवास पर हुई थी। उस वक्त वे कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की चपेट में थे। इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद वे कभी कमजोर नहीं दिखे बल्कि वे खुद कहते थे कि जीवन का कोई भरोसा नहीं, यह सब तो लगा ही रहता है। हमें अपने कला कर्म को अपने विचारों के साथ जोड़ते हुए निरंतर सक्रिय रहना है। उनके परम मित्र श्री राकेश दिवाकर ने राजकुमार सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तृत लेख लिखा था जिसे लिखिया ब्लॉग पर प्रकाशित भी किया गया था। इस लेख के माध्यम से राजकुमार जी को बहुत ही नजदीक से जाना जा सकता है ।
राजकुमार सिंह के बारे में राकेश दिवाकर ने अपने लेख में लिखा था कि ‘अरबों खरबों वाली तिलस्मी निलामियों व पुरस्कारों सम्मानों की अकादमिक मायाजाल से इतर जनपक्षीय रचनाशीलता पर यदि बात की जाए तो राजकुमार सिंह के सृजन संघर्ष को देखना महत्वपूर्ण होगा।’ दृढ़निश्चयी और सकारात्मक सोच  के चित्रकार राजकुमार सिंह ने अनेकों  युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे हैं। सिर्फ प्रेरणास्रोत ही नहीं बल्कि समकालीन कला के प्रति जागरूकता पैदा करने वाले व्यक्तित्व रहे। पेशे से एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करते रहे लेकिन उन्होंने अपने विद्यार्थियों को समकालीन कला के प्रति जागरूक किया और एक कला की नई पौध स्थापित की है और अंतिम समय तक प्रयासरत रहे जिसका उदाहरण आज इनके द्वारा पढ़ाये गए बहुत से विद्यार्थी हैं जो आज कला क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं। अमूमन इस प्रकार की जागरूकता इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों और कला के प्रति जागरूक करने वाले शिक्षक नहीं के बराबर हैं। जब भी राजकुमार जी से बात होती थी वे अपने कला छात्रों के बारे में तथा उनकी कलात्मक गतिविधियों के बारे में बड़े ही रोचक ढंग से बताते थे।

राजकुमार सिंह ने कला अध्यापन के साथ साथ कला छात्रों को लेकर 2008 में संभावना कला मंच – कला समूह की स्थापना की और कला प्रदर्शनी व सेमिनार की शुरुआत की। इस तरह अनेकों कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार बना रहा है। उनके प्रयत्न से एक कलात्मक माहौल का निर्माण गाज़ीपुर में हुआ। राजकुमार जी के साथ इनके छात्र और इनकी जीवनसंगिनी सीमा सिंह ने भरपूर सहयोग दिया। इनकी पत्नी सीमा भी राजकुमार जी की तरह सकारात्मक और कलात्मक सोच की महिला हैं। संभावना कला मंच के बारे में संस्थापक  राजकुमार सिंह कहते थे कि “कला के विविध विधाओं में आम जीवन की बातें ही अभिव्यक्त होती हैं। परंतु संकट यह है कि तमाम तरह की कलाएं आम लोगों की पहुँच से बाहर होती हैं। इन्हें आम लोगों की पहुँच के दायरे में आने के उद्देश्य के तहत ही यह अयोजन ग्रामीण इलाके में कला की संभावनाओं की तलाश है। हमारे कला आयोजन का मुख्य अभिप्राय यही है”।

राजकुमार सिंह एक क्रांतिकारी विचारधारा के प्रतिबद्ध चित्रकार के साथ वे एक साहित्यकार, लेखक भी थे। इसके लिए उनके चित्रों, पोस्टर्स और उनके लिखे लेखों से पता चलता है । इस बारे में भी राकेश दिवाकर ने लिखा है कि – ‘राजकुमार सिंह की रचनाशीलता का एक अहम हिस्सा है कविता पोस्टर। कविता पोस्टर जन आंदोलन का एक अहम हिस्सा रहा है। वास्तव में कविता पोस्टर कलाकार की, जन आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की आकांक्षा की अभिव्यक्ति है जिसे राजकुमार सिंह के कविता पोस्टर में देखा जा सकता है।’ राजकुमार के साथ ही संभावना कला मंच के ढेर सारे कलाकारों ने कविता पोस्टर को कलात्मक विस्तार दिया है। राजकुमार सिंह ने बड़ी दक्षता से कला की प्रगतिशील वैचारिकी रचने का प्रयोगधर्मी प्रयास किया है जो अन्य कलाकारों की तुलना में उन्हें खास बनाती है। अवतार सिंह पाश, धूमिल, नागार्जुन, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, केदारनाथ सिंह, वीरेन डंगवाल, बलभद्र, प्रकाश उदय, जैसे लगभग सभी प्रगतिशील व मानवतावादी कवियों की कविताओं पर उन्होंने कविता पोस्टर बनाई है तथा प्रदर्शित किया है।

कविता पोस्टर में कविता की पंक्ति के साथ आकृतियों और दृश्यों का संयोजन चुनौतिभरा काम है। कवि जिस भाव भूमि पर खडा़ है, उस भाव भूमि को समझना और फिर उसे दृश्य रूप में रचना आसान नहीं होता है। उनकी सृजनशीलता के बारे में दिवाकर जी ने लिखा है कि – ‘लूटपाट पर आधारित इस पूंजीवादी व्यवस्था में मौजूद घोर विषमता अन्याय गरीबी दुःख शोषण राजकुमार सिंह को व्यथित करते है। राजकुमार सिंह के चित्र इस शोषण व लूट का प्रतिकार करते हैं व बेहतर समाज बनाने के लिए किए जाने वाले संघर्ष को रूपायित करते हैं। उनके चित्र खुशगवार स्वप्न को अभिव्यक्त करते हैं। आकृतियों की गतिशीलता, आकृति का संयोजन, पृष्ठभूमि में अमूर्तन व मूर्तन का सटीक प्रयोग व विषयानुकूल वर्ण विन्यास, कथ्य को प्रभावशाली ढंग से सम्प्रेषित करते हैं । प्रयोग और विमर्श में राजकुमार की रचनाशीलता सामाजिक बेहतरी की आकांक्षी है। उनकी रचनाशीलता एक नये किस्म की सौन्दर्य शास्त्रीय व्याख्या प्रस्तुत  करती है। यह सौन्दर्यबोध उस तूफान से उपजा है जो बेहतर समाज के निर्माण में लगे सृजनहारों के जेहन में है। यह सौन्दर्यबोध उन विचारको के जेहन में उपजे उस तूफान से उपजा है जो सुंदर संसार की रचना करना चाहते हैं।’

राजकुमार सिंह के निधन की यह उम्र नहीं थी। उन्होंने संभावना कला मंच की स्थापना की। उनमें अनन्त संभावना थी। उनसे कला जगत को  बहुत मिलना था। वे बाजार के नहीं जमीन के थे। उन्होंने ऐसी ही टीम बनाई थी। इसीलिए उनके असमय जाने से कला और साहित्य जगत मर्माहत हो गया। अनेक साहित्यकारों, कलाकारों, कला साथियों तथा उनके छात्रों ने उन्हें मर्मस्पर्शी तरीके से याद किया। मशहूर कथाकार और इतिहासकार सुभाषचंद्र कुशवाहा याद करते हुए कहते है ‘अंततः प्रकृति ने हमसे साथी डॉ राजकुमार सिंह को छीन लिया। असमय। वह लोकरंग के रंग थे। लोकरंग उनसे था। उनके आने से लोकरंग के सैकड़ों कार्यकर्त्ता, दर्शक चहकते थे। वह प्रो मैनेजर पाण्डेय,  प्रो केदारनाथ  सिंह, प्रो चौथीराम यादव, आनंद स्वरूप वर्मा, पंकज बिष्ट, प्रेम कुमार मणि, प्रो दिनेश कुशवाह आदि के साथ मंच को गौरवान्वित करते रहे।  उन्हें मेरे गाँव का बच्चा – बच्चा बेहद प्यार करता था।  लोकरंग की 16 साल  की यात्रा में 11 सालों से वह आते रहे थे।

इस तरह राजकुमार सिंह के निधन पर स्वेता राय, मोहम्मद अजाज, रविकुमार चौरसिया, आशीष त्रिवेदी, राजीव गुप्ता, सुरभि श्रीवास्तव, अभिषेक पंडित, आलोक श्रीवास्तव, कृष्णा गुप्ता आदि कला, रंगकर्म, साहित्य व संस्कृति कर्म से जुड़े लोगों ने उन्हें याद किया और उनके साथ की यादों को साझा किया। राजकुमार सिंह की पहली पुण्यतिथि पर 9 जनवरी को गाजीपुर जो उनकी कर्मभूमि रही है, वहां उनकी याद में स्मृति समारोह का आयोजन किया गया गया है। इस अवसर पर आरा, बिहार के चित्रकार व कला समीक्षक राकेश दिवाकर को मरणोपरांत डा राजकुमार सिंह कला स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ पांच कलाकार संभावना कलारत्न सम्मान से भी सम्मानित होंगे। ये कलाकार हैं: डॉ रामबली प्रजापति (गाजियाबाद), भूपेन्द्र कुमार अस्थाना (लखनऊ), संजीव सिन्हा (आरा, बिहार), अनिल शर्मा (वाराणसी) और श्रीमती मीनाक्षी (कलबुर्गी, कर्नाटक)।

(भूपेन्द्र कुमार अस्थाना चित्रकार, कला लेखक व क्यूरेटर हैं। संपर्क -9452128267, 7011181273)


Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion