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ऑल इंडिया पीपल्स फ़ोरम की राष्ट्रीय परिषद की बैठक दुर्ग में संपन्न

 

  • केन्द्र सरकार के कश्मीर संबंधी असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक निर्णयों के ख़िलाफ़ जन प्रतिरोध अभियान चलाने का फैसला
  • 2 अक्टूबर को होगा देश भर में ‘गांधी जी को जानिए’ कार्यक्रम

18 अगस्त, दुर्ग

ऑल इंडिया पीपल्स फोरम की राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक दुर्ग में संपन्न हुई. बैठक में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

बैठक में तय हुआ कि अगले एक माह सतत रूप से जम्मू-कश्मीर संबंधी केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक निर्णयों के खिलाफ जन प्रतिरोध अभियान चलाया जाएगा.

बैठक में 2 अक्टूबर को देश भर में ‘गांधीजी को जानो’ कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया, ताकि गांधी जी के राष्ट्रीय एकजुटता, हिन्दू मुस्लिम एकता, विकास की अवधारणा, तथा देश के बंटवारे का विरोध संबंधी विचारों को जन जन तक पहुंचाया जा सके.
राष्ट्रीय परिषद ने नागरिकता संबंधी जनसंख्या रजिस्टर करने हेतु 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच स्थानीय रजिस्टार के माध्यम से देश भर में घर घर जाकर गणना करने संबंधी 31 जुलाई को गृह मंत्रालय द्वारा निकाली गई अधिसूचना का विरोध करने का निर्णय लिया गया. नागरिकता संशोधन कानून के साथ ये प्रक्रिया धर्म के आधार पर नागरिकता की परिभाषा की ओर ले जाता है, जिसका भारत के हर नागरिक को विरोध करना चाहिए.

राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बस्तर समस्या के हल के लिए तुरंत राजनीतिक संवाद शुरू करने , कश्मीर को जेल में परिवर्तित करने, 370 और 35A हटाने, किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति, एवं किसानों को लाभकारी मूल्य की गारंटी संबंधी कानूनों को संसद में पारित कराने, आने वाले सभी चुनाव ई वी एम हटाकर मत पत्र से कराने, 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 कोड पर आधारित श्रमिक-विरोधी कॉर्पोरेट-मुखी कानून बनाने, लगातार धीमी पड़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था और लगातार बढ़ती बेरोजगारी, मद्रास हाई कोर्ट के एक जज द्वारा मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के एक टीचर पर यौन उत्पीड़न के मामले में किए गए सांप्रदायिक टिप्पणी, वन अधिकार कानून की आड़ में 1 करोड़ आदिवासियों को जंगल से खदेड़ देने, 600 रेल्वे स्टेशनों तथा 5 हवाई अड्डों का निजीकरण करने, बस्तर में सभी निरपराध आदिवासी बंदियों को रिहा करने, काले कानूनों के तहत गिरफतार सभी राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा करने, देश में बाढ़ और सुखाड़ के परिणाम स्वरूप पैदा होने वाले अन्न संकट, मूल्य वृद्दि और काला बाजारी जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किये गये.

राष्ट्रीय परिषद ने निर्णय लिया कि उक्त मुद्दों पर ऑल इंडिया पीपल्स फोरम द्वारा पुस्तिकाएं प्रकाशित की जाएंगी तथा बड़े पैमाने पर पर्चे वितरित किए जाएंगे.
यह भी निर्णय लिया गया कि भविष्य में ऑल इंडिया पीपल्स फोरम के व्यक्तिगत सदस्य भी बनाए जाएंगे.
राष्ट्रीय परिषद में प्रमुख तौर पर वरिष्ठ पत्रकार जॉन दयाल, पूर्व विधायक ,समाजवादी नेता डाॅ सुनीलम, मानव अधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप, महिला संगठन एपवा की सचिव कविता कृष्णन और राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव, कर्नाटक के दलित और वामपंथी चिंतक डाॅ लक्ष्मीनारायण, बैंगलोर से आई अधिवक्ता अवनी चोकसी, किसान महासभा के नेता प्रेम सिंह गहलावत, विप्लवी किसान संदेश पत्रिका के सम्पादक पुरुषोत्तम शर्मा, इन्साफ़ मंच के नियाज अहमद, रिहाई मंच के मोहम्मद सलीम, भुवनेश्वर से ऐ आई सी सी टी यू के महेंद्र परिदा, दिल्ली से नदीम, डाॅ शंभू श्रीवास्तव, झारखंड से अनिल अंसुमन ,जावेद इस्लाम ,देवकीनंदन ,छत्तीसगढ़ के अखिलेश एडगर और संघर्ष मोर्चा के ललित सुरजन एवं महेंद्र मिश्रा, बंगाल से अमलान और अबु रिदा, और ऐ आई सी सी टी यू के बृजेंद्र तिवारी प्रमुख शामिल रहे. बैठक के बाद ‘बदलते भारत में संविधान और जन अधिकारों पर हमला – हमारा हस्तक्षेप और विकल्प’ विषय पर आम सभा हुई.

(बृजेंद्र तिवारी, ऑल इंडिया पीपल्स फोरम की ओर से जारी)

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