लखनऊ। आल इण्डिया स्टूडेंट्स एसोशिएसन (आइसा) ने 31 मई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस के आवाहन पर देश भर में वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग को ले कर उत्तर प्रदेश में प्रतिरोध दिवस मनाया।
आज दुनिया भर के देशों ने अपने यहां जनता का लगभग पूर्ण टीकाकरण कर दिया है। इस रेस में भारत सबसे पीछे रह गया है जिसने अपनी कुल आबादी में सिर्फ 4 प्रतिशत हिस्से को ही टीका उपलब्ध कराया है। देश की अधिक से अधिक आबादी का सही वक्त पर टीकाकरण हो जाना आवश्यक है, और उसके लिए सरकार का उपयुक्त मात्रा में सबको वैक्सीन मुहैया करवाना आवश्यक है जिसमें मोदी सरकार फेल होती हुई दिखाई दे रही है। टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के बावजूद, मोदी सरकार ने वैक्सीन के लिए पर्याप्त ऑर्डर नहीं दिए हैं। वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर के मोदी सरकार के बयानों में एक विरोधाभास है।
नवंबर 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हमें फाइजर से वैक्सीन की जरूरत नहीं है, वहीं कुछ समय बाद अब वह यह कहती हुई दिखाई दी कि फाइजर ने हमको वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं करवाई। इस तरह की बयानबाजी, और फेज़ के अनुसार वैक्सीन वितरण में भी उसकी कमी मोदी सरकार की वैक्सीन को ले कर राष्ट्रीय स्तर पर एक ठोस योजना के अभाव को दर्शाता है और यह दर्शाता है कि मोदी सरकार जनता के स्वास्थ्य को लेकर के संवेदनशील नहीं है। सेंट्रल विस्ता जैसी योजनाओ को लेकर सरकार की संवेदनशीलता महामारी के प्रति उसकी संवेदनहीनता को दर्शाती है।
यहाँ तक कि मोदी व योगी सरकार कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के आंकड़ों को दबाने की कोशिश भी करती हुई दिखाई दी जोकि बेहद निंदनीय है। आइसा कोविड से होने वाली मौतों के आंकड़ों में पारदर्शिता की मांग करता है।
आइसा ने प्रतिरोध दिवस पर मांग की कि सरकार संवेदनहीनता को छोड़ कर लोगों के स्वास्थ्य से खेलना बंद करे। सरकार वैक्सीन को लेकर बयानबाजी न करे व उसकी कमी को जल्द से जल्द पूरा करे, टीकाकरण के लिए सिर्फ ऑनलाइन बाध्यता को ख़त्म कर स्पॉट पंजीकरण की भी व्यवस्था को शुरू करे ताकि टीकाकरण में जटिलता दूर हो और सबको टीका उपलब्ध हो सके!
इन सब मुख्य मांगों के साथ उत्तर प्रदेश आइसा ने लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, बनारस, सहारनपुर समेत कई ज़िलों में ऑनलाइन प्रतिरोध दर्ज कराया।