2.4 C
New York
December 8, 2023
समकालीन जनमत
ज़ेर-ए-बहस

क्या चुनाव आयोग ने ‘आचार संहिता’ सिर्फ विपक्ष के लिए लगाया है ?

चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित करने के साथ ही चुनावी आचार संहिता भी लग गई है। सवाल उठता है कि ये आचार संहिता किसके लिए है? सबके लिए या सिर्फ विपक्षी दलों के लिए? चुनाव आयोग द्वारा 2019 लोकसभा चुनाव की तारीख घोषित होने वाले दिन के पूर्वाद्ध तक नरेंद्र मोदी द्वारा युद्धस्तर पर किये गए उद्घाटन और शिलान्यास चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर पहले ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर चुके हैं। इसके अलावा रही सही कसर भाजपा और मोदी सरकार द्वारा लगातार उड़ाई जा रही आचार संहिता पर चुनाव आयोग की शर्मनाक चुप्पी और विपक्षी दलों पर शेर की तरह गुर्राने वाला आचरण लोकतंत्र के लिए खतरनाक़ है।
चुनाव आयोग ने राफेल घोटाले पर लिखी गई ‘द हिन्दू’ के संपादक एन. राम की किताब के लोकार्पण पर रोक लगाते हुए इसकी प्रतियां जब्त कर लीं। लेकिन आचार संहिता के दौरान ही मोदी सरकार का गुणगान करता नमो टीवी चैनल धड़ल्ले से प्रसारित हो रहा है, सरकार कह रही है कि ये विज्ञापन चैनल है इसलिए इसे प्रसारण की मंजूरी लेने की ज़रूरत नहीं। और चुनाव आयोग के कान में जूँ नहीं रेंगता। विज्ञापन चैनल कोई मुफ्त में तो प्रसारित नहीं होता होगा। इसे कौन चला रहा है और इसका खर्चा किसके खाते में जोड़ा जाएगा इन सबपर चुनाव आयोग चुप है।
 दिल्ली समेत तमाम शहरों में सड़कों पर ‘राष्ट्र रहेगा’ रहेगा के टैगलाइन के साथ राष्ट्रवाद को तेल पिलाता दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के होर्डिंग्स लगे हुए हैं। कई बस स्टैंडों पर सेना के साथ नरेंद्र मोदी के होर्डिंग्स लगे हुए हैं। रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर टँगे डिजिटल स्क्रीन पर सेना का शौर्य दिखाया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ चुनावी मंचों पर सेना को मोदी की सेना बताकर मोदी को देश (नेशन) सिद्ध कर रहे हैं। ओडिशा में फोन करके लोगों को मोदी के भाषण सुनाए जा रहे हैं। फोन करके पीएम मोदी के भाषण सुनाना चुनाव के नियमों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। इस बाबत बीजेडी ने आयोग से शिकायत की है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोटों में गांधी को छापने की तर्ज पर ‘एयर इंडिया’ टिकटों में मोदी को छाप रहा है। रेलवे विभाग ‘मैं भी चौकीदार’ कप में यात्रियों को चाय पिला रहा है और चुनाव आयोग कह रहा है ऑल इज राइट।
50 प्रतिशत वीवीपैट गिनती करने के विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए चुनाव आयोग हलफ़नामा दायर करके कहता है कि 50 प्रतिशत वीवीपैट की गिनती करने पर चुनाव परिणाम घोषित करने में पांच दिन और लग जाएंगे। तो सवाल उठता है कि चुनाव आयोग के लिए क्या ज्यादा मायने रखता है मतदाता का लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली में विश्वास स्थापित करना या फिर 5 दिन पहले परिणाम घोषित करना ?
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से लगातार ईवीएम पर सवाल उठे हैं, नागरिकों का भरोसा ईवीएम से उठा है उसके बाद क्या चुनाव आयोग का उत्तरदायित्व नहीं बनता है कि वो वीवीपैट की गिनती करवाकर फिर चुनाव परिणाम घोषित करें भले ही इसमें 5 दिन या 15 दिन ज्यादा लगते हैं तो लगें।
वहीं दूसरी ओर न्यूज चैनलों, अखबारों, गूगल सर्च इंजन और वेब पोर्टल पर विज्ञापनों से लेकर तमाम दूसरे तरह के संसाधनों पर भाजपा और मोदी सरकार द्वारा लगातार अरबों रुपए फूंका जा रहा है । ये पैसे कहां से आ रहे हैं, इनका सोर्स क्या है, चुनाव आयोग द्वारा तय की जा रही। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रधानमंत्री की फोटो लगी घड़ियां और सूटकेस बांटे गए हैं। जबकि इससे पहले 1 अप्रैल को चुनाव आयोग ने ‘मिशन शक्ति’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है।
आयोग ने यह फैसला इस मामले पर बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया था। कमेटी के मुताबिक, इस मामले में मास मीडिया के गलत इस्तेमाल से जुड़े एमसीसी के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र को संबोधित करते हुए बताया था, “भारत ने तीन मिनट में अंतरिक्ष में लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में सैटेलाइट को मार गिराया। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है।’ मोदी के इस संबोधन को विपक्षी दलों ने आचार संहिता का उल्लंघन बताया था और चुनाव आयोग में शिकायत की थी। जिसे खारिज करते हुए चुनाव आयोग ने मोदी को सत्ता में होने का विशेष फायदा दिया है ।

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy