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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए हुई स्क्रीनिंग में अपारदर्शिता व भेदभाव के खिलाफ़ प्रदर्शन

इलाहाबाद, 11 जून. आइसा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए हुई स्क्रीनिंग कमेटी में अपारदर्शिता व भेदभाव के खिलाफ आज प्रदर्शन किया और कुलपति को ज्ञापन सौंपा.

ज्ञापन में हिंदी विभाग में 18 जून 2018  को असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की भर्ती के लिए होने वाले साक्षात्कार हेतु जारी योग्यता सूची के संशोधन तथा इस हेतु पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाने की मांग की गई है.

आइसा के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 18 जून को हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर्स, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की भर्ती के लिए योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी की गयी है. इस सूची में बहुत सारे ऐसे उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया है जिनका अकादमिक रिकार्ड उन्नत है और ए पी आई का मानक पूरा करते हैं. जबकि सूची में ऐसे तमाम लोग शामिल हैं जिनका ए पी आई बाहर रह गए उम्मीदवारों से कम है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनका नाम दो बार आया है. कुछ लोगों को एसोसिएट प्रोफेसर के लिए एलिजिबल माना गया है लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर के साक्षात्कार से बाहर कर दिया गया है .

इस भर्ती प्रक्रिया में निम्नलिखित खामियां दिख रही हैं।

1. विश्वविद्यालय द्वारा जारी योग्यता सूची में उम्मीदवारों का व्यक्तिगत ए पी आई स्कोर नहीं बताया गया है. इसको बताते हुए हर उम्मीदवार के सामने उसके फॉर्म की कमियों का भी उल्लेख किया जाय।
विश्वविद्यालय द्वारा स्क्रीनिंग का मानक जारी किया जाय जिसमें यह स्पष्ट किया जाय कि अकादमिक, शोध और अन्य में कितने कितने नंबर दिए गए हैं।

2. सामाजिक श्रेणी के अनुसार ए पी आई की कट ऑफ़ क्या निर्धारित की गयी है. इसको स्पष्ट करते हुए अलग-अलग सूची जारी की जाय और साथ में मिसलेनियस(सामान्य) सूची भी जारी की जाय।

3. अंतिम योग्यता सूची जारी करने से पहले उम्मीदवारों को अपने फॉर्म में छूटे हुए दस्तावेजों को पूरा करने और गलतियों को सुधारने का मौका नहीं दिया गया, जबकि इस प्रक्रिया को लगभग सभी शैक्षणिक संस्थान और विश्वविद्यालय अपनाते हैं. अतः सुधार करने के लिए उम्मीदवारों को एक मौका दिया जाय इसके बाद ही सूची जारी की जाय।

4. जारी सूची में कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके नाम दो-दो बार शामिल किये गए हैं। अतः इससे यह बात पुष्ट होती है कि स्क्रीनिंग या तो हुई ही नहीं है या घोर लापरवाही हुई है। इसको भी ठीक किया जाय।

5. हर तरह के एम. फ़िल को समान माना जाय । ऐसा न करने पर यू जी सी के नियमों का उल्लंघन होगा।

6. स्क्रीनिंग की स्पष्ट गाइड लाइन जारी की जाय क्योंकि आवेदन पत्र के साथ इस संदर्भ का कोई दस्तावेज जारी नहीं किया गया है।

7. कुछ अभ्यर्थियों के ई-लॉकर में यह दिखा रहा है कि उनका डॉक्यूमेंट न तो वेरीफाई किया गया है और न ही रिजेक्ट किया गया है। इससे ऐसा लगता है कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया में लोगों को बिना शामिल किये ही मनमाने ढंग से सूची जारी कर दी गयी।

8. सूची से बाहर किये गए अभ्यर्थियों के फॉर्म स्टेटस में एक समान सूचना लिखी गयी है. इससे ऐसा लगता है कि एक ऑटो जनेरेटेड मैसेज सभी के फॉर्म में अटैच कर दिया गया है। इससे भी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया संदेहास्पद लग रही है।

9. बिना किसी कोरिजेंडम के किस आधार पर दूसरी लिस्ट जारी की गयी है। यह लिस्ट जारी करके विश्वविद्यालय ने स्वतः ही यह मान लिया है कि अपनायी गयी स्क्रीनिंग प्रक्रिया दोषपूर्ण है। इसका मानक भी नहीं बताया गया है।

श्री मौर्य ने कहा कि उक्त पदों पर यह भर्ती प्रक्रिया अपारदर्शी और भेदभावपूर्ण है. हमारी मांग है कि पारदर्शी और निष्पक्ष नयी स्क्रीनिंग सूची जारी किया जाय ताकि योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार का मौका मिल सके. अन्यथा योग्य उम्मीदवार समान अवसर के अधिकार से वंचित हो जायेंगे.

प्रदर्शन व ज्ञापन में असिस्टेंट प्रोफेसर रूपेश सिंह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योतिश्वर मिश्रा पी जी कॉलेज काशी विद्यापीठ ,डॉ रामनरेश राम दिल्ली विश्वविद्यालय, धर्मवीर यादव गगन ,डॉ आशीष कुमार मिश्रा ,डॉक्टर सुनीता कुमारी दिल्ली विश्वविद्यालय ,डॉक्टर संजय कुमार गोरखपुर विश्वविद्यालय, राम बचन यादव सृजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय , डॉ अंशुमान मिश्रा दिल्ली विश्वविद्यालय , डॉ अरुण कुमार पांडे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ,डॉक्टर सप्तर्षि जेएनयू , डॉ.नूर मोहम्मद परवेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय ,अमृता सिंह , के साथ साथ आइसा के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य जिला संयोजक विष्णु प्रभाकर उपाध्याय इलाहाबाद विश्वविद्यालय इकाई के सचिव शाहबाज मलिक आशीष कुमार ऋषिकेश साक्षी राहुल गुप्ता निधि, रंजना समेत दर्जनों छात्र उपस्थित रहे.

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