भागलपुर। ऐपवा की जिला अध्यक्ष व भाकपा-माले की नगर कमिटी सदस्य रहीं कामरेड उषा शर्मा की प्रथम बरसी पर 23 अप्रैल को स्थानीय पेंशनर समाज भवन में स्मृति सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत, सभा कक्ष में मौजूद ऐपवा, ऐक्टू व पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर दो मिनट मौन के साथ उन्हें श्रद्धांजलि देने से हुई। पिछले वर्ष उनके निधन के समय लॉकडाउन की वजह से सामूहिक तौर पर शोक-संवेदना व्यक्त कर पाना सम्भव नहीं हो सका था। कार्यक्रम के दौरान उन्हें याद कर कई महिलाएं भावुक हो उठीं। इस अवसर पर उनके जीवन-संघर्ष की संक्षिप्त परिचय वाला एक बुलेटिन भी जारी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ऐपवा की जिला सचिव रेणु देवी ने की। भाकपा-माले के नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने कामरेड उषा शर्मा की संक्षिप्त परिचय वाला बुलेटिन का पाठ करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया।
ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस के शर्मा, भाकपा-माले के जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, पूर्व नगर सचिव सुरेश प्रसाद साह, ऐपवा की जिला उपाध्यक्ष प्रतिमा सिंह व आशा देवी, जिला सह सचिव कंचन देवी, राधा देवी व स्मिता, ऐक्टू के जिला उपाध्यक्ष अरुणाभ शेखर व अभिलाषा स्मृति (कामरेड उषा की पुत्री) ने कार्यक्रम में उनके साथ की यादों व अपने अनुभवों को साझा करते हुए संवेदना जाहिर कर अपने उदगार व्यक्त किए।
नेतृत्वकारियों ने कामरेड उषा शर्मा को एक कर्मठ, निर्भीक व संवेदनशील महिला नेत्री बताया। उनके संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लेते हुए वक्ताओं ने कहा कि कामरेड उषा शर्मा महिला अधिकारों के प्रति बहुत सजग थी। महिलाओं पर होने वाले अत्याचार-अन्याय के खिलाफ उन्होंने कई निर्णायक लड़ाइयों का नेतृत्व किया। महिलाओं की बेखौफ आजादी और बराबरी के अधिकार के लिए जारी संघर्ष के प्रति जीवंत प्रतिबद्धता ने उन्हें गरीब-मजदूर और कामकाजी महिलाओं के बीच स्थापित किया था। अंधविश्वास से सम्बंधित महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों व दहेज अपराध के खिलाफ उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी और पीड़िता की रक्षा कर उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग किया।
वक्ताओं ने आगे कहा कि सत्ता वर्ग आज नए सिरे से महिलाओं पर अंकुश लगाने के लिए आक्रामक हो उठी है। महिलाओं सहित आम लोगों पर अत्याचार बढ़े है। सत्ता वर्ग ने समाज के अंदर एक खास किस्म के धार्मिक लम्पटों को जन्म दिया है जो खाने-पीने से लेकर कपड़ा पहनने तक के मामले में हस्तक्षेप कर रहा है। सरकार, प्रशासन और यहां तक कि कोर्ट भी इनके साथ खड़ा दिखता है। महिलाओं पर हिंसा और यौन अपराध में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। भाजपा-आरएसएस के लोग साम्प्रदायिक उन्माद-उत्पात के जरिए भय का माहौल बना रहे है। महिलाएं और समाज का कमजोर वर्ग, खासकर वंचित व अल्पसंख्यक समूह इसका सॉफ्ट टारगेट है। इसके खिलाफ हमें एकजुट होने की जरूरत है। हम सब को मिलकर अपनी पार्टी, अपने संगठन को और अधिक मजबूत करना होगा। बढ़ते फासीवादी खतरों के खिलाफ अपनी लड़ाई को और अधिक तेज करना व अपनी वर्गीय एकता को मजबूत करना ही कामरेड उषा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम के सांगठनिक सत्र में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे के पर्यवेक्षण में भागलपुर ऐपवा की जिला कमिटी का पुनर्गठन किया गया। उपाध्यक्ष आशा देवी को जिला अध्यक्ष बनाया गया और कार्यकारिणी सदस्य मनोरमा देवी को जिला उपाध्यक्ष। साथ ही पूनम देवी (रसोइया संघ की संयोजक), स्मिता (शिक्षिका) व कारी देवी (असंगठित मजदूर) को ऐपवा की जिला कमिटी में शामिल किया गया।
कार्यक्रम में प्रमिला देवी, रिंकू देवी, पूजा देवी, शिखा देवी, बुधनी देवी, संगीता, देवी, पुतुल देवी, पूनम देवी, फूलन देवी, बेबी देवी, मुन्नी देवी, सजनी देवी, बेचनी देवी, वीणा देवी, माला देवी, कंचन देवी, ऐक्टू के सुभाष कुमार, अमर कुमार, चंचल पंडित, राजेश कुमार दास, प्रवीण कुमार पंकज, अमित गुप्ता, पूर्व कर्मचारी नेता योगेंद्र सिंह, अधिवक्ता रमाशंकर कुमार सिंह, अंशिका श्रेयस, अशंक, नूतन, सपना, कोमल, नेहा, अनुष्का, सोमराज, आदि सहित ऐक्टू से जुड़ी करीब सौ महिलाएं शामिल हुईं।