गोरख स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर 28 जनवरी को कालिदास रंगालय परिसर में कोरस ने कृष्णा सोबती को समर्पित करते हुए गोरख संगीत और महिला कवियों के काव्य पाठ का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत गोरख के गीतों से हुई।
गीतों में मुख्य रूप से ‘एक दिन राजा मरलें, गुलमियां, पैसा, नेह के पाती, रफ़्ता- रफ़्ता’ शामिल थे। जिसकी प्रस्तुति कोरस की समता राय, मात्सी शरण, रिया, रुनझुन, प्रीती सिन्हा, अपराजिता सिन्हा, तूलिका भारती, नंदिनी, चांदनी ने किया। हारमोनियम पर आसिफ और ढोलक पर धीरज दास थे । पूरे कार्यक्रम रिकॉर्डिंग नीतीश , अविनाश, राजीव और उज्ज्वल ने की.
कविताओं की शुरुआत रिया ने अपनी कविता ‘चलो आज भी’ से की। क्रमशः मात्सी शरण, मिरहन तनवीर, नग़मा तनवीर, अंजू, रुनझुन, रेशमा प्रसाद, मीरा मिश्रा, ऋचा, प्रतिभा वर्मा, राखी सिंह, ज्योति स्पर्श, आराधना ने अपनी कविताओं का पाठ किया।इस कविता पाठ के ज़रिये कई महिलाएं जो लिखती तो थी पर उसे कभी इस तरह नहीं सुनाया, पहली बार अपनी कविताओं को लोगों के सामने पढ़ा.
नयी लड़कियों में रुनझुन, रिया, मिरहन ,मात्सी ने कविता पढ़ी. कविता पाठ में हिंदी,उर्दू और अंग्रेजी भाषा में कविता पढ़ी गयी. आज इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा ने कहा कि आज सुनाई गई कविताओं को सुन कर बहुत ताकत मिली और ये कवितायें आत्मा तक पहुँची। साथ ही उन्होंने कहा कि गोरख की कविताओं ने जनता को जीवन संघषों के बारे में शिक्षित किया है। कार्यक्रम का संचालन समता राय ने किया, और इसका समापन गोरख के गीत ‘जनता के आवे पलटनिया’ से हुआ।
बतौर श्रोता सुमंत ,रंजीत वर्मा,शशांक मुकुट शेखर, राजेश कमल, शशि यादव, अनीता सिन्हा, राखी मेहता, अनय मेहता, नसीम अंसारी, मुर्तजा अली,अभ्युदय , अमायरा, साइना कार्डो, आदि शामिल थे
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