समकालीन जनमत

Category : पुस्तक

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सविता भार्गव के कविता संग्रह ‘थमी हुई बारिश में दोपहर’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण मैं चुप रहकर समय को चीख़ में बदल देती हूँ.. कवि सविता भार्गव अपने एकांत में निवास करती हैं। एकांत ही उनका प्रकाश...
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श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह ‘सुख को भी दुःख होता है’ की पुस्तक समीक्षा

पवन करण इन दिनों मर्जियों का शासन है….. मेरा भोजन, मेरे कपड़े मेरी आस्था पर भारी है ….उनकी मर्जी कवि श्रुति कुशवाहा के कविता संग्रह...
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ज्योति रीता के कविता संग्रह ‘अतिरिक्त दरवाज़ा’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण   स्त्रियों को तो बिगड़ना ही था, स्त्रियों ने बिगड़ने में बहुत वक्त़ लगा दिया.. स्त्री कितनी दूर तक होती है? खुद को...
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पिंजरे में बंद चीनी पूंजीवाद

गोपाल प्रधान
चीन के किसी भी सावधान पर्यवेक्षक से यह तथ्य छूट नहीं सकता कि वह इस समय आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है । साथ...
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संजीव कौशल के कविता संग्रह ‘फूल तारों के डाकिए हैं’ की पुस्तक समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण आदमी के अपराध औरत की भेंट चाहते हैं यह सबक वह पिट-पिटकर सीख रही है- संजीव कौशल की कविता की स्त्रियों से (...
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नस्ली पूंजीवाद का विरोध

गोपाल प्रधान
2023 में प्लूटो प्रेस से सलीम वाली और अनवर मोताला के संपादन में नेविल अलेक्जेंडर की किताब ‘ अगेंस्ट रेशियल कैपिटलिज्म : सेलेक्टेड राइटिंग्स ’...
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रूपम मिश्र के काव्य संग्रह ‘एक जीवन अलग से’ की समीक्षा

समकालीन जनमत
पवन करण एक अभुआता समाज कायनात की सारी बुलबुलों की गर्दन मरोड़ रहा है….! रुपम मिश्र की कविताएँ हिंदी कविता की समृद्धि की सूचक हैं।...
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‘गीली मिट्टी पर पंजों के निशान’: विडंबनाओं को कविता की ताकत बनाता कवि

उमा राग
 कुमार मुकुल ‘गंगा सहला रही है मस्जिद को आहिस्ते आहिस्ते । सरकार ने अब वुजू के लिए साफ़ पानी की सप्लाई करवा दी है’ ‘एक...
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भारत का स्वाधीनता संग्राम और अमेरिका

गोपाल प्रधान
2014 में आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से सीमा सोही की किताब ‘इकोज आफ़ म्युटिनी: रेस, सर्विलान्स, ऐंड इंडियन एन्टीकोलोनियलिज्म इन नार्थ अमेरिका’ का प्रकाशन हुआ ।...
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बाल साहित्य पर संजीदा बातें

समकालीन जनमत
लाल्टू अच्छी बात यह है कि टाटा ट्रस्ट के पराग इनीशिएटिव द्वारा प्रकाशित इस किताब का नाम ‘…ऐन इंडियन स्टोरी ‘ रखा गया है, और...
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ज़ीरो माइल अयोध्या

अयोध्या, पिछले दिनों हुए लोकसभा के आम चुनाव के परिणाम आने के बाद, फिर से चर्चा में आ गया। पिछले सात दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक...
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स्त्री-पुरुष संबंध पर विमर्श का एक और आयाम

समकालीन जनमत
आलोक कुमार श्रीवास्तव   उपन्यास, साहित्य की एक प्रमुख विधा है। इसमें समय-समय पर नये-नये प्रयोग होते रहते हैं और इन प्रयोगों की विशेषताओं के...
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कला में प्रतिरोध

गोपाल प्रधान
  2023 में लेफ़्टवर्ड से ब्रह्म प्रकाश की किताब ‘ बाडी आन द बैरीकेड्स: लाइफ़, आर्ट ऐंड रेजिस्टेन्स इन कनटेम्पोरेरी इंडिया ’ का प्रकाशन हुआ।...
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राज्यसत्ता के दमन-उत्पीड़न-अन्याय के बीच प्रेम की पीर का आख्यान

समकालीन जनमत
आलोक  बच्चों के लिए सबसे आरामदेह जगह होती है – माँ की गोद। कभी किसी बच्चे को उसकी माँ की गोद से जबरन अलग करने...
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विनय सौरभ का कविता संग्रह ‘बख़्तियारपुर’ स्मृतियों के माध्यम से वर्तमान को परखने की एक सफल कोशिश है

समकालीन जनमत
प्रज्ञा गुप्ता   आज के समय में जब संबंधों की उष्मा के मायने कम हो रहे हैं; हमारी संवेदना के लिए घटनाएं मात्र एक खबर...
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चंचल चौहान की आलोचना पुस्तक ‘ साहित्य का दलित सौन्दर्यशास्त्र ’ पर हुई विचारगोष्ठी

समकालीन जनमत
जनवादी लेखक संघ और दलित लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में 8 जून को कनॉट प्लेस दिल्ली स्थित आंबेडकर सभागार में चंचल चौहान लिखित आलोचना...
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चुनाव के छल-प्रपंच: मतदाताओं की सोच बदलने का कारोबार!

पुस्तक- चुनाव के छल प्रपंच लेखक – हरजिंदर (प्रतिष्ठित पत्रकार, समाज के गंभीर मुद्दों को उजागर करने के लिए प्रयासरत) प्रकाशन – नवारुण क्या आने...
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उम्मीद की रौशनी दिखाती कविताएँ

दीना नाथ मौर्य ‘सहसा कुछ नहीं होता’ बसंत त्रिपाठी का ज्ञानपीठ से प्रकाशित संग्रह है. ‘स्वप्न से बाहर, सन्नाटे का स्वेटर, हम चल रहे हैं....
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किताब पर बातचीत: पहाड़गाथा

इलाहाबाद, शहर के मेयो हाॅल स्थिति अंजुमन ए रूहे अदब के सभागार में किताब पर बातचीत  के अंतर्गत ‘पहाड़गाथा’ उपन्यास पर बातचीत आयोजित की गयी।  शुरुआत...
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