समकालीन जनमत

Author : समकालीन जनमत

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साहित्य-संस्कृति

‘ शैक्षिक दखल ’ का ‘मेरे जीवन में पुस्तकालय ’ : पुस्तकालयों से आत्मीय संवाद

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पवन चौहान ‘शैक्षिक दखल’-उस पत्रिका का नाम है जो शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर बहुत ही सुंदर तरीके के साथ बेबाकी से बात करती है।...
ख़बर

आजमगढ़ हवाई अड्डा : खिरिया बाग के किसान-मजदूर आंदोलन को मिला कई दलों का साथ 

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लखनऊ। आजमगढ़ में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लेकर दारुल शफा ए ब्लॉक कॉमन हॉल, लखनऊ में आज सर्वदलीय बैठक...
ख़बर

भूस्खलन/भूधंसाव से जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में लेकिन सरकार बनी हुई है मूकदर्शक

जोशीमठ में पिछले एक साल से अधिक समय से भूस्खलन/भू धंसाव की परिघटना हो रही है जिससे जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी...
जनमत

नोटबंदी : सरकार और रिजर्व बैंक को असहमति के आदेश को जरूर पढ़ना चाहिए

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( यह संपादकीय “द इंडियन एक्सप्रेस” में प्रकाशित हुई है। समकालीन जनमत के पाठकों के लिए दिनेश अस्थाना ने इसका हिंदी अनुवाद किया है )...
जनमत

बेतिया में पर्चाधारी महिलाओं पर गोलीबारी की घटना के दोषियों पर कठोर कार्रवाई करे सरकार-एनएपीएम 

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पटना। जन आंदोलनो का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने 24 दिसम्बर को बेतिया जिले के नौतन प्रखण्ड, थाना जगदीशपुर के नकटी पटेरवा में पर्चाधारी  महिलाओं पर...
ख़बर

छत्तीसगढ़ में धर्म के नाम पर आदिवासियों के बीच मतभेद भड़काने वालों पर कार्यवाही हो -एआईपीएफ

समकालीन जनमत
रायपुर। ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम ( ए आई पी एफ ) छत्तीसगढ़ तथा ऑल इंडिया लायर एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज ) छत्तीसगढ़ की एक संयुक्त जांच...
कविता

‘ कविता, जीवन का उत्सव है/कविता थकने का नहीं/ लड़ने का नाम है ‘

आशाराम जागरथ, उमेश पंकज और भगवान स्वरूप कटियार का कविता पाठ  लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम), लखनऊ की ओर से ‘सृजन हमारे समय में’ श्रृंखला...
शिक्षा

एक दीवार पत्रिका का सफर

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प्रकाश चन्द नानकमत्ता पब्लिक स्कूल   दीवार पत्रिका उस वक़्त नन्हीं सी थी। उसका जन्म हुए कुछ दिन ही हुए थे। समझदार भी नहीं थी।...
सिनेमा

शासकवर्गीय प्रचार के विपरीत जनसामान्य के जीवन की वास्तविक तस्वीर दिखा गया पटना फिल्मोत्सव

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‘ मट्टों की साइकिल’ के प्रदर्शन के साथ तेरहवें पटना फिल्मोत्सव का पर्दा गिरा पटना। ‘प्रतिरोध का सिनेमा : पटना फिल्मोत्सव’ फिल्म के क्षेत्र में सक्रिय...
सिनेमा

पटना फिल्मोत्सव : फिल्मों ने मानवीय सौहार्द, संवेदना और जीवन रक्षा के गंभीर सवालों को उठाया

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पटना। सवालों से घिरे हुए हमारे समाज और देश में सत्ताधारी राजनीति प्रायः उनके हल नहीं तलाशती, बल्कि उन्हें और उलझाती है। समस्याओं को और...
सिनेमा

फासीवादी ताकतों को हराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए : लाल्टू

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रेणु की फिल्म ‘संवदिया’ से उठा 13वें पटना फिल्मोत्सव का पर्दा पटना। ‘‘हमारे मुल्क में जब नफरत के लंबरदार नंगा नाच रहे हैं, हर कहीं...
ख़बर

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने 400% फीस वृद्धि, छात्रसंघ बहाली को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का घेराव किया

नई दिल्ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में छात्रसंघ बहाली,कुलपति की अवैध नियुक्ति तथा 400% बढ़े हुए शुल्क के विरोध में पिछले 97 दिनों से आमरण अनशन...
पुस्तक

सुरेश काँटक की कहानियाँ : बर्बर होती व्यवस्था का “आनावरण ”

समकालीन जनमत
  भोजपुर की धरती सामंतवाद विरोधी किसान आंदोलन के लिए ख्यात है। वहीं, यह हिंदी कथा जगत में अपनी त्रयी के लिए भी जानी जाती...
साहित्य-संस्कृति

उपन्यास ‘कर्बला दर कर्बला’ पूरे देश की कथा है

पटना। कालिदास रंगालय में नौ दिसम्बर को 1980 के दशक के भागलपुर पर केंद्रित गौरीनाथ के उपन्यास ‘कर्बला दर कर्बला’ पर हिरावल की ओर से...
ख़बर

पार्टी के 11 वें महाधिवेशन को जनान्दोलनों के उत्सव में बदल दें : दीपंकर भट्टाचार्य

पटना। भाकपा-माले के पटना में होने वाले 11 वें महाधिवेशन और 15 फरवरी 2023 को गांधी मैदान में आयोजित लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली की तैयारी के...
ख़बर

चिरियाबेड़ा गाँव में आदिवासियों पर हिंसा करने वाले सुरक्षा बल के जवानों पर कार्रवाई की मांग

समकालीन जनमत
झारखंड जनाधिकार महासभा ने चिरियाबेड़ा गाँव में सर्च अभियान के दौरान सुरक्षा बल के जवानों द्वारा आदिवासियों से साथ हिंसा और नाबालिक लड़की के साथ...
सिनेमा

‘कंतारा’ जमीन की लड़ाई और हिस्सेदारी की एक मिथ कथा         

   जनार्दन  कंतारा कन्नड़ भाषा की फिल्म है, जो 30 सितंबर 2022 को देश और विदेश में रिलीज हुई। कन्नड़ भाषा के अलावा यह फिल्म...
साहित्य-संस्कृति

मुक्तिबोध पूँजीवादी समाज की जड़ को पकड़ने वाले कवि हैं :  डॉ. वंदना चौबे

 “मुक्तिबोध की रचनाधर्मिता और हमारा समय” पर संगोष्ठी वाराणसीः प्रलेस की बनारस इकाई की सचिव और आर्य महिला पीजी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर डॉ. वंदना...
साहित्य-संस्कृति

बहुजन समाज के नायक साहित्य के इतिहास से बाहर क्यों ?

  लखनऊ में ” सन्तराम बी ए: प्रतिनिधि विचार ” का लोकार्पण लखनऊ। सन्तराम बी ए फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित डा.महेश प्रजापति की पुस्तक ” सन्तराम...
पुस्तक

सांदीनो की बेटियाँ : समाज की मुक्ति के लिए लड़ी स्त्रियों की संघर्ष गाथा

  अरविंद शेखर   स्त्रियां मानव इतिहास का निर्माण कैसे करती हैं। ‘सांदीनो की बेटियां’ किताब इसी का अहम दस्तावेज है। मारग्रेट रांडाल की इस...
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