प्रयागराज, 27 जनवरी
रोशन बाग़ स्थित मंसूर पार्क में धरने पर बैठे लोगों के खिलाफ करेली व खुल्दाबाद थाने द्वारा 149 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत नोटिस दिए जाने पर शहर के अधिवक्ताओं ने सवाल उठाते हुए विरोध प्रदर्शन करके एडीएम सिटी प्रयागराज को ज्ञापन सौंपा ।
हाई कोर्ट के वकील शुरुआत से ही लगातार सी ए ए, एन आर सी, एन पी आर के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे । पहले भी अधिवक्ताओं ने इसके खिलाफ हड़ताल आयोजित की थी और 200 वकीलों ने धारा 144 तोड़ते हुए 21 जनवरी को हाईकोर्ट से सिविल लाइन्स तक प्रदर्शन मार्च निकाला था । के पी ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट टी पी सिंह ने रोशन बाग में आकर आंदोलन को समर्थन दिया था।
ज्ञापन में CAA-NRC-NPR विरोधी अधिवक्ता मंच ने कहा कि रोशन बाग़ के मंसूर पार्क में CAA NRC NPR के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों के खिलाफ थाना करेली व खुल्दाबाद से दिनांक 22.01.2020 को धरना समाप्त करने हेतु नोटिस भेजी गई है । यह धरना किसी भी लिहाज़ से गैरकानूनी नहीं है। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। धारा 144 भी इस अधिकार का हनन नहीं कर सकती। धारा 144 का प्रयोग नागरिकों को मिले इस संवैधानिक अधिकार का हनन करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने के लिए किया जाना अन्यायपूर्ण, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने इंटरनेट बंदी और धारा 144 पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि धारा 144 का इस्तेमाल लोगों की अभिव्यक्ति, मतभिन्नता रखने और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रदर्शन के अधिकार का दमन करने के लिए कभी नहीं किया जा सकता। धारा 144 लागू किये जाने की परिस्थितियों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धारा 144 नागरिकों के मौलिक अधिकारों में कोई कटौती न करे और जब तक अपरिहार्य न हो धारा 144 का उपयोग नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के इस दिशा निर्देश के अनुसार धारा 144 के अंतर्गत दिया गया आदेश, यदि कोई हो, अनौचित्यपूर्ण है। ऐसा कोई आदेश किसी को भी नहीं दिया या दिखाया गया जो कि धारा 134 के अंतर्गत अनिवार्य है।
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वकीलों ने अपने प्रदर्शन में इस बात पर भी जोर दिया कि यह धरना एक पार्क के अंदर ऐसी जगह पर हो रहा है, जहां किसी को किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो रही है, न ही इससे यातायात बाधित हो रहा है।
साथ ही साथ ऐसा कोई नियम नहीं है कि कोर्ट में मामला विचाराधीन रहने पर कोई शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन नहीं कर सकता। बल्कि इस संदर्भ में पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता पर भी संदेह जाहिर करते हुए कहा कि क्योंकि उनके तर्क ‘कोर्ट में मामला विचाराधीन होने’ और ‘धारा 144’ लागू होने के बावजूद CAA NRC NPR के पक्ष में लगातार शहर और प्रदेश में जुलूस निकल रहे हैं, रैलियां की जा रही हैं, लेकिन उनमें से किसी के पास भी ऐसी कोई नोटिस नहीं भेजी गई है।
नोटिस में यह कहना कि पुलिस के संज्ञान में आया है कि मंसूर पार्क के धरने में ‘कुछ असामाजिक तत्व घुस गए हैं’, यह सरासर ग़लत है, और यह वक्तव्य शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चला रहे लोगों को अपमानित करने वाला है और एक जायज लोकतांत्रिक आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है। वकीलों ने नोटिस में लिखी इस बात की निन्दा और पुरजोर विरोध किया।
इस मंशा के तहत ही धरने को सुचारू रूप से चलाने वाले साथियों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही भी पुलिस द्वारा शुरू की जा चुकी है। दिनांक 26-1-2020 को इस आंदोलन में शामिल दो लोगों के खिलाफ खुल्दाबाद थाने के अंदर बिना किसी जांच के धारा 354,323,504,506 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है, जो कि अन्यायपूर्ण है।
अपने ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने कहा कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है और हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान, आदि के आधार पर विभेद करने वाला कोई कानून या नीति देश मे नही लागू की जा सकती किंतु वर्तमान नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 धर्म के आधार पर विभेदकारी है अतः असंवैधानिक है। इसीलिए देशभर की जनता इसके खिलाफ आंदोलनरत है। लोकतांत्रिक आंदोलन किसी लोकतंत्र की मजबूती की निशानी होती है और लोकतंत्र हमेशा इनसे मजबूत होता है किंतु जनांदोलनों का पुलिस के द्वारा दमन निश्चित ही लोकतंत्र को कमजोर करता है।
मंसूर पार्क में शांतिपूर्वक धरने पर बैठे लोगों के खिलाफ पहले एफआईआर दर्ज करना और फिर नोटिस भेज कर सामान्य लोगों में दहशत पैदा करना, फिर बगैर जांच किए फर्जी मुकदमे दर्ज करना सरासर असंवैधनिक और गैरकानूनी है।
इस संदर्भ में प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने करेली व खुल्दाबाद थाने द्वारा भेजी गई नोटिसों को रद्द करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में पुलिस को बेजा हस्तक्षेप से बाज आने की माँग की ताकि शांति कायम रहे। साथ ही शांतिपूर्ण तरीके से धरने में शामिल लोगों पर बिना किसी जांच के फर्जी मुकदमे दर्ज करने का गैरकानूनी काम तत्काल रोकने की माँग की गई।
आज हुए प्रदर्शन व ज्ञापन में एड. फ़रमान अली नकवी, के के राय, राजवेंद्र सिंह, माता प्रसाद पाल, सीमा आजाद, रमेश यादव, विश्वविजय, काशान सिद्दकी, लाल जी यादव, संतोष यादव, संदीप गौतम,प्रमोद गुप्ता, सईद अहमद सिद्दकी,इमरान, आशुतोष त्रिपाठी, राकेश यादव, घनश्याम मौर्य, आर के गौतम, अनंत गुप्ता अली अहमद, मुंशी लाल बिंद, जफर अहमद, मो.शौबा, मो.फहीम, शमशुल, धीरेन्द्र यादव, महाप्रसाद ,मुकेश गौतम, अली अकबर अंसारी,क़मर उज़ जमां, शाहिद अख्तर, गुफरान अहमद, नफीस अहमद खान, असद हामिद, वसी अहमद,रियाजत अली सिद्दकी, बी यू जमन, नौशाद खान, संतोष सिंह,सुनील मौर्य, नागरिक समाज के ओ डी सिंह, शाह आलम, आशीष मित्तल, आनंद मालवीय, डॉ कमल उसरी, अमित समेत दर्जनों अधिवक्ता शामिल हुए।