कवितागोरख पाण्डेय की ग़ज़ल ‘ रफ़्ता-रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है ’ by समकालीन जनमतJanuary 29, 2021January 29, 202101230 Share00 समकालीन जनमत पर आज सुनिये जनकवि गोरख पाण्डेय(1945-29 जनवरी 1989) के स्मृति दिवस पर उनकी लिखी ग़ज़ल ‘रफ़्ता रफ़्ता नज़रबंदी का जादू घटता जाए है’ वीडियो सम्पादन और आवाज़: उमा राग तस्वीरें: साभार आमिर और गूगल