सीमा आज़ाद
रोशन बाग़, इलाहाबाद, 29 जनवरी
इलाहाबाद के रोशन बाग़ के मंसूर अली पार्क में CAA NRC NPR के विरोध में जारी धरने का आज 16 वां दिन था। धरने को खत्म करने के लिए पुलिस प्रशासन कई तरीके अख्तियार कर रहा है। वालंटियर के खिलाफ थानों से नोटिस भेजी जाने लगी है, अनुमान है कि लगभग 100 लोगों के पास ऐसी नोटिस भेजी जा चुकी है।
मजेदार ये है कि इसमें एक ऐसे आयकर अधिकारी का भी नाम है, जो कभी धरने में नहीं आए हैं। कुछ लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे लिखे गए हैं, कभी कभी पुलिस फोर्स इतनी अधिक आ जाती है कि लगता है, अब कुछ हो जाएगा, लेकिन कुछ देर बाद सब शांत हो जाता है।
26 जनवरी को धरने के दो वालंटियर के खिलाफ खुल्दाबाद थाने की पुलिस ने धारा 354, 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। एक अपुष्ट खबर ये भी आ रही है कि एक वॉलंटियर के खिलाफ हरा पेड़ काटने का मुकदमा भी उसी दिन दर्ज किया गया है। उसके बाद 27-1-2020 को अचानक खबर मिली कि मंसूर अली पार्क में भारी तादात में पुलिस आ गई है, सभी जल्दी पहुंचे। कुछ दिन पहले ही हम सब ने मिलकर “CAA NRC NPR विरोधी अधिवक्ता मंच” का गठन कर लिया है। उसके वॉट्सएप ग्रुप में ये सूचना आई, और फिर बहुत सारे अधिवक्ताओं के मंसूर पार्क पहुंचने की खबर, और कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य होने की खबर भी आ गई। मैं पीयूसीएल के अधिवक्ता साथियों के साथ हाई कोर्ट में थी, जहां उत्तर प्रदेश में 19 दिसंबर के बाद पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ दाखिल पीयूसीएल की याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इसलिए हम सब वहां नहीं जा सके। आज रोशन बाग़ जाने पर पता लगा और इस बात का अंदाज़ा लगा कि लोगों ने मजबूत होकर इस आंदोलन को शुरू किया, लेकिन इस आंदोलन ने लोगों को और भी मजबूत बना दिया। औरतों ने कल पुलिस आने की घटना के बारे में बताते हुए बताया कि सूचना पाकर इतनी औरतें आ गईं थीं कि तिल रखने की जगह भी नहीं बची। पार्क में मौजूद और अड़ोस-पड़ोस में मौजूद लोगों ने धड़ाधड़ लोगों को फोन किया और औरतें चूल्हे पर सब्जी, घर में मेहमान, पड़ोस में छोटे बच्चे, घर के ढेरों काम छोड़ कर पार्क में कुछ मिनटों में ही पहुंचने लगीं, थोड़ी ही देर में औरतों की तादात इतनी बढ़ गई कि पुलिस फोर्स को पार्क से बाहर निकलना पड़ा।
दरअसल यह एक और जोर आजमाइश थी, जिसमें प्रदर्शनकारी औरतें फिर से भारी पड़ीं।
आज जबकि शहर में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्य और केंद्रीय मंत्री गंगा यात्रा के नाटक में शामिल होने आ रहे हैं तब फिर से मंसूर अली पार्क रोशनबाग में यही असफल कोशिश दोहराई गई। आज भी उसे पीछे हटना पड़ा और फिर से बहादुर महिलाओं से पंद्रह मिनट के भीतर पूरा पार्क भर गया। जनकवि निर्मोही के गीत गूंजने लगे और हवाओं में नारे तैरते हुए लोगों के घरों तक पहुंचने लगे ।