मोदी सरकार ने ख़तरनाक और विभाजक, सांप्रदायिक और असंवैधानिक ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019’ को पार्लियामेंट के रास्ते पास करवा लिया। फिर पूरे देश में एनआरसी कराने का प्रस्ताव किया। पूरे देश में लोग इस विभाजक सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं और पूरी बहादुरी के साथ सरकारी दमन का सामना कर रहे हैं।
देश के छात्रों-युवाओं ने अगली कतार से इस विरोध करते हुए देश को आगाह किया कि एनआरसी-सीएए हमारे देश के संविधान में प्रतिष्ठापित लोकतांत्रिक और समावेशी के लिए खतरा है। गुवाहाटी, कॉटन कॉलेज और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी के जनसमूह को लामबंद करने से लेकर बंगाल, बिहार, दिल्ली, हैदराबाद, केरल, और उत्तर प्रदेश के व्यापक विरोध प्रदर्शन करने तक देश का अधिकांश हिस्सा हमारे संविधान की रक्षा में खड़ा हुआ है।
जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों को पुलिस के बर्बर दमन से गुज़रना पड़ा। भाजपा शासित राज्यों विशेषकर यूपी और असम विरोध करने वालों का दमन और गिरफ्तारी लगातार बढ़ती गई है।
असंवैधानिक सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ़ छात्रों के संघर्ष को अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए देश भर के 80 से अधिक छात्र, संगठनों ने YINCC के बैनर तले ‘नेशनल यंग इंडिया को-आर्डिनेशन एंड कंपेन’ के तहत ‘यूंथ इंडिया अगेंस्ट CAA-NRC-NPR’ के नाम से एक साझा संघर्ष मंच लांच किया।
इस साझा मंच को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 24 दिसंबर को प्रेस कान्फ्रेंस करके औपचारिक रूप से लांच किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने बताया कि देश के विभिन्न यूनिवर्सिटी के कई छात्र संगठन लगातार इस सरकार के खिलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में हम लोगों को आंदोलनरत छात्रों/ संगठनों/ यूनियनों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर एक समन्वय विकसित करने और इसके क्षेत्र और प्रभाव को बढ़ाने की बहुत ज़रूरत महसूस हो रही थी।
अतः 50 से अधिक छात्र और युवा संगठन जिसमें छात्र यूनियन, सरकारी और निजी यूनिवर्सिटी के आईआईटी संस्थान के स्टूडेंट-यूथ मूवमेंट, राज्य विश्वविद्यालय, नागरिक समाज, और दूसरे लोग भारतीय संविधान को बचाने के लिए एकजुट होकर एक साथ आए हैं। इसी संदर्भ में आज हम यहाँ ये प्रेस कान्फ्रेंस करके बताना चाहते हैं कि हम हर मुमकिन तरीके से सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ़ संयुक्त अभियान के लिए छात्र-युवा नेतृत्व मिलकर ‘यूथ इंडिया अगेंस्ट CAA-NRC-NPR’ नामक एक मंच लांच कर रहे है।
हमारा स्पष्ट मानना है कि ‘सीएए’ न सिर्फ़ मुस्लिम विरोधी है बल्कि सांप्रदायिक और बाँटने वाला भी है। जबकि अखिल भारतीय एनआरसी मुस्लिमों और भारत के गरीबों और वंचितों समेत करोड़ों लोगों को नागरिकता से बेदख़ल करके उनके नागरिक अधिकारों को छीन लेगी। यह हर समुदाय के गरीब और हाशिए के लोगों को अधिकारविहीन करके उन्हें असुरक्षा के रसातल में फेंक देगी। और एनआरसी के पहले कदम के तौर पर केंद्रीय सरकार राष्ट्रीय पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) ला रही है। एनपीआर कोई सामान्य जनगणना भर नहीं है, ये नागरिकों को ‘डाउटफुल’ या ‘अवैध नागरिक’ घोषित करने की ओर बढ़ा पहला कदम है।
‘यंग इंडिया अगेंस्ट CAA-NRC-NPR’ में शामिल 80 से अधिक संगठन/ यूनियन और छात्र
इस साझा मंच में एम्स स्टूडेंट यूनियन, एआईएसएफ, आइसा, ऑल आदिवासी असम स्टूडेंट यूनियन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा, ऑल इंडिया रेलवे अप्रेंटिस एसोसिएशन, एएमयू वूमेन्स कॉलेज स्टूडेंट, एएमयूएसयू, अनहद गुजरात, अशोक यूनिवर्सिटी स्टूडेंट गवर्नमेंट दिल्ली, भानू स्टूडेंट यूनियन, भारतीय दलित महिला आंदोलन, भारतीय मनरेगा मजदूर यूनियन, भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन, भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा राजस्थान, सीआरजेडी बिहार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन पंजाब, डिब्रूगढ़ स्टूडेंट्स यूनियन, डीएमके स्टूडेंट विंग, डीएसएफ, फातिमा शेख स्टडी सर्कल, एफटीआईआई स्टूडेंट यूनियन पुणे, ग्लोबल यंग ग्रीन, गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट द्वारका, आईआईएमसी स्टूडेंट फी-हाइक मूवमेंट, आईआईटी बांबे जस्टिस ग्रुप, आईआईटी गांधी नगर स्टूडेंट्स, जामिया गर्ल्स स्टूडेंट्स, जामिया मिलिया इस्लामिया स्टूडेंट्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, झारखंड उलगुलान मंच, जेएनयूएसयू, कन्नन गोपीनाथन (रिटायर्ड आईएएस ऑफीसर), क्रांतिवीर भगत सिंह ब्रिगेड अहमदानगर, लॉ स्टूडेंट नेटवर्क (फोरम ऑफ ऑल एनएलयूएस), लोकायत पुणे, माध्यमिक प्रतियोगी मंच, महाराष्ट्र लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, महाराष्ट्र स्टूडेंट्स यूनियन, एनएसीडीओआर, एनएपीएम, निरमा यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स गुजरात, एनएसयूआई, पटना स्टूडेंट यूनियन – कल्चरल सेक्रेटरी, प्रोग्रेसिव डॉक्टर्स एसोसिएशन, पीआरएसयू, पीयूएसए स्टूडेंट्स यूनियन, राजीव गांधी स्टूडेंट्स यूनियन प्रेसीडेंट अरुणाचल प्रदेश, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी रिसर्च स्कॉलर्स फोरम अरुणाचल प्रदेश, आरवाईए, समाजवादी युवाजन सभा, सशीकांत सेंथिल (रिजाइंड आईएएस ऑफिसर), स्त्री मुक्ति संग्राम समिति, स्टूडेंट फॉर चेंज बीएचयू आईआईटी, स्टूडेंट्स कलेक्टिव आईआईटी दिल्ली, स्टूडेंट्स काउंसिल ऑफ जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल दिल्ली, स्वराज फॉर इंडिया, तेजपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल, द ग्रेट भीम आर्मी, टीआईएसएस मुंबई स्टूडेंट यूनियन प्रेसीडेंट, यूपी एग्रीकल्चरल स्टूडेंट एक्शन कमेटी-सौरभ, युवक क्रांति दल महाराष्ट्र, एसएफआई।
बता दें कि पिछले वर्ष दिसंबर 2018 में देश के छात्रों और युवाओं ने मोदी सरकार के शिक्षा-विरोधी, रोजगार-विरोधी, युवा विरोधी नीतियों और हमलों के खिलाफ़ एक संयुक्त बैनर तले एकजुट होकर निर्णयात्मक आंदोलन लांच किया था, बड़ी संख्या में छात्र-युवा संस्थान आंदोलन और यूनियनों ने एकजुट होकर ‘यंग इंडिया नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमिटी (YINCC)’ लांच किया था। जिसके तहत देश भर के हजारों छात्रों ने दिल्ली की गलियों में मार्च निकालकर शिक्षा, रोज़गार अभिव्यक्ति की आजादी की मांग की थी।
सरकार को रजिस्टर बनाना ही है तो बेरोजगारों का रजिस्टर बनाए, बदहाल स्कूलों के रजिस्टर बनाए
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी छात्र संघ प्रतिनिधि ने कहा- “पूरे देश के एनआरसी का मसला असम से अलग है। त्रिपुरा के आदिवासी माइनोरिटी हैं। बंग्लादेश बनने के बाद असम में सबसे ज्यादा बंग्लादेशी लोग देखे गए। इससे हमारी पहचान, हमारी संस्कृति के सामने एक ख़तरा उत्पन्न हो गया। वहां बड़ा प्रोटेस्ट हुआ है, चार लोग मरे हैं। मरने वालों में एक दसवी में पढ़ने वाला छात्र भी है और दूसरे समुदाय के लोग भी। मीडिया असम के स्टूडेंट मूवमेंट को नहीं कवर करता। मैं मीडिया से अपील करती हूँ कि वो असम मूवमेंट को भी देश के लोगों के सामने रखे।”
आरवाईए के प्रतिनिधि नीरज ने कहा- “हमारा संगठन इस कमेटी के साथ है। हम सरकार से कहते हैं कि वो नागरिकता रजिस्टर न बनाए। अगर उसे रजिस्टर बनाना ही है तो बेरोज़गारों के रजिस्टर बनाए। देश के बदहाल स्कूलों के रजिस्टर बनाए। न्यू इंडिया बनाने के लिए ये यंग इंडिया का आंदोलन है।”
भीम आर्मी छात्र संगठन के प्रतिनिधि ने कहा- “ इसे सिर्फ़ मुसलमान विरोधी नज़र से मत देखिए। ये बहुजनविरोधी है। एनआरसी लागू हुआ तो देश के 50 प्रतिशत लोग बाहर होंगे। हम बहुजनों के पास जमीन जायदाद के कागज नहीं हैं। हम बंग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान की अंबैसी के सामने धरना प्रदर्शन देंगे। हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि हमने देश को बंद किया था। और अगर सरकार जल्द से जल्द ये संविधान विरोधी, बहुजनविरोधी एनआरसी और सीएए को वापिस नहीं लेती है तो हम दूसरा भारत बंद करेंगे।”
तेजपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल के राहुल छेत्री ने बताया- “ पूर्वोत्तर के सभी विश्वविद्यालयों की ओर से हम सरकार की हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं। मौजूदा सीएए असम अकॉर्ड का वायलेशन करता है। मोदी सरकार जब असम में आई थी तो हमने उनको गमछा दिया था। वो गमछा हमारा मान सम्मान और स्वाभिमान होता है। लेकिन मोदी ने उस गमछे का मान नहीं रखा, उन्होंने असम के लोगों के साथ धोखा किया है। अब हम मोदी से वो अपना गमछा वापिस लेना चाहते हैं। असम की आवाज़ पूरे देश में ले जाइए। असम की सुबह और शाम में मंदिर का घंटा और अज़ान दोनो शामिल हैं।”
जामिया मिलिया इस्लामिया स्टूडेंट ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चंदन ने कहा “ जामिया में दो दिन 13, और 15 दिसंबर को पुलिस आई। सरकार और पुलिस ने मिलकर इसे कम्युनलाइज करने का प्रयास किया। लेकिन इसके लिए उन्होंने गलत लोगों को चुन लिए। मोदी जी से बस इतना कहना चाहूँगा गर कपड़े पर जाएंगे तो सारी निक्कर टीम तिहाड़ में होगी। यंग इंडिया ने सभी छात्रों औऱ छात्र संगठनों को सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ़ संयुक्त संघर्ष के लिए एक मंच पर लाया इसके लिए वो बधाई के पात्र हैं।”
एनएसयूआई के नितीश ने बताया कि पुलिस की लाठीचार्ज में उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया है। “लेकिन हम सभी साथी मिलकर तह तक लड़ेंगे जब तक कि वो उस बिल को वापिस नहीं ले लेते।”
एसएफआई के प्रतिनिधि ने कहा- “शांतिपूर्ण विरोध कैंसिल कर दिए जाते हैं। आखिर मोदी जी जेएनयू और जामिया के छात्रों से क्यों इतना डर रहे हैं? वो छात्रों के मूवमेंट से क्यों डर रहे हैं? मोदी को मजबूर कर दिया गया है कि वो एनआरसी वापिस लें। जबकि एनआरसी उनके घोषणापत्र कामें था। ये संविधान की बुनियाद के खिलाफ़ है। लेकिन सीएए लागू होगा तो एनआरसी लागू होगा। जो हिंदू राष्ट्र के उनके मंसबे को पूरा करेगा। आजीविका और शिक्षा स्वास्थ्य जैसे रोजमर्रा की चीजों से ध्यान भटकाकर हिंदू-मुस्लिम में बांट रहा है।”
एएमयूएसयू प्रेसीडेंट मेमूना ने कहा- “ एनआरसी पर प्रधानमंत्री मोदी का जो बयान आया है वो हमारे प्रोटेस्ट के बाद आया है। बिना विपक्ष और विरोध के, बिना द्वंद और विचार के लोकतंत्र नहीं होता। यदि विचारों बातों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है विरोधियों को पकड़ना और यूनिवर्सिटी में घुसना लोकतंत्र के खिलाफ़ है। पार्लियामेंट से सब कुछ नहीं हो सकता। सरकार के खिलाफ़ हमें सड़कों पर संघर्ष लगातार करना ही होगा।”
असम प्रोटेस्ट में भाग लेने के चलते जर्मन छात्र को सरकार ने वापिस भेजा
आइसा अध्यक्ष कंवलप्रीत कौर ने कहा- “ जर्मन छात्र जैकब लिंडेथल, जोकि आईआईटी मद्रास में भौतिक विज्ञान से मास्टर की पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें कैंपस में हो रहे सीएए-एनआरसी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद तुरंत देश छोड़ने को कहा गया है। ये तानाशाही की हद है। मोदी के कपड़े वाले बयान के बाद सारे छात्र आंदोलन को एक साथ लाने की कोशिश है। देश भर में जितने भी छात्र मूवमेंट चल रहे हैं वो एक साथ आकर इस संघर्ष को गति देंगे। हम संविधान और पंथनिरपेक्षता के साथ खड़े हैं। हम कोआर्डिनेटिव रूप में सारे विश्वविद्यालय में बड़े कार्यक्रम लेंगे।”
स्वराज इंडिया स्टूडेंट यूनियन प्रतिनिधि ने कहा- “ ये एक्ट आदिवासियों के खिलाफ़ काम करेगा। विशेषकर 5वीं 6वीं अनुसूची से जो छूट मिली है उस पर। सीएए संविधान के आर्टिकल 15 का उल्लंघन है। इतिहास गवाह है जब भी यंग-स्टूडेंट एक साथ आते हैं सरकार गिर जाती है।”
डीएमके सिटूडेंट विंग प्रतिनिधि ने कहा- “ मैं सीएए-एनआरसी-सीपीआर के खिलाफ़ छात्रों के सॉलीडैरिटी में आया हूँ। ये छात्रों के अधिकारों के खिलाफ़ है। ये भेदभाव करने वाला कानून है।
आज विरोध और विचार की अभिव्यक्ति को दबाया जा रहा है। पुडुचेरी यूनिवर्सिटी के गोल्डमेडलिस्ट छात्रा रबीहा अब्दुरहीम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आतिथ्य वाली दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने से रोका गया। बता दें कि रबीहा ने एनआरसी-सीएए के विरुद्ध छात्र संघर्ष के सॉलीडिरिटी में गेल्ड मेडल लेने से इन्कार कर दिया था। जबकि जर्मन छात्र जैकब लिंडेथल को प्रोटेस्ट में भाग लेने के चलते देश छोड़ने को कहा गया है। हमारी पार्टी डीएमके छात्र-युवा के साथ खड़ा है। और हम आखिरी दम तक संविधान और हमारे अधिकारों के लिए लड़ेंगे।”
निरमा यूनिवर्सिटी स्टूडेंट गुजरात के प्रतिनिधि अभिषेक ने कहा- “गुजरात की भूल गुजरात ही सुधारेगा, ये आवाज़ हमारे यहाँ उठ रही है। हमें गांधी अंबेडकर नेहरू और अबुल कलाम अजाद वाला भारत चाहिए, सावरकर और गोडसे वाला हिंदू राष्ट्र नहीं। गुजरात में एनआरसी-सीएए के खिलाफ़ विरोध करने वाले छात्रों की शिनाख्त की जा रही है, सबका डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। हमारे और तमाम छात्रों के घर पुलिस गई। बताने के लए कि प्रोटेस्ट नहीं करना है।”
समाजवादी युवजन सभा के मोहम्मद निसार ख़ान ने कहा- “हम इस संगठन औऱ आंदोलन के साथ हैं। हम लोग सभी छात्र आंदोलन में साथ रहे हैं। हमारे यहां यूपी में 15 युवा सपा कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस द्वारा गोली मारी गई । और डीसीपी पूरी बेशर्मी से कह रहा कि इन्हें क्रॉस फायरिंग में गोली लगी है। यूपी पुलिस बर्बरतापूर्ण दमन अभियान चला रही है। प्रोटेस्ट में शामिल रहे आंदोलनकारियों की बड़ी बड़ी फोटो फ्रेम करके चौराहे पर वांटेड के तौर पर लगाई जा रही है। पर हमें इससे घबराना नहीं हैं। हमारे नेता अखिलेश जी कहते हैं हमें पीछे नहीं हटना है, सड़क पर ही डटे रहना है।”
महाराष्ट्र स्डूडेंट यूनियन की ओर से सावित्रीबाई फुले कॉलेज के कमलाधर ने कहा- “ हम लोगों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत की है, उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि वो महाराष्ट्र में एनआरसी लागू नहीं करेंगे।”
निजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेशनल कोर्स करने वाले छात्र भी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ़ आंदोलन में
अशोका यूनिवर्सिटी स्टूडेंट फोरम के प्रतिनिधि ने कहा- हम लोगो सं कहा जाता है कि तुम लोग प्रोफेशनल कोर्स करने वालों को स्टूडेंट एक्टिव पॉलटिक्स में नहीं जाना चाहिए। एक्टिव स्टूडेंट पोलिटिक्स जेएनयू के इतिहास, सोशियोलॉजी और लिटरेचर पढ़ने वाले छात्रों के लिए होती है। मैं बिना किसी डिबेट में पड़े सिर्फ़ ये कहना चाहता हूँ कि आज जब हमारे देश और संविधान पर हमला हो रहा है तो हम प्रोफेशनल कोर्स वाले छात्र कैसे चुप बैठ सकते हैं। हमारा संविधान हमें शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट की आज्ञा देता है लेकिन प्रोटेस्ट करने पर हमारे कॉलेज के 4 प्रोफेसर को हिरासत में ले लिया गया है। कश्मीरी छात्रों को चुन चुनकर टारगेट किया गया है। दिल्ली पुलिस के जो वीडियो मिले हैं उसमें वो पब्लिक और निजी संपत्ति को नुसान पहुंचाते हुए देखे जा सकते हैं। उन्होंने पूरे देश में 144 लगाया और इंटरनेट बंद कर रखा है।
एडहॉक टीचर एसोसिएशन की ओर से लक्ष्मण यादव ने कहा- “ हमारा प्रधानमंत्री झूठ बोल रहा है। पिछले 6 सालों से हम इनके झूठ को ही एक्सपोज करते आए हैं। वो बर्बाद बैंक, शिक्षा और रोजगार के मुद्दे छोड़कर अपनी संघी एजेंडे को लागू करने में लगे हुए हैं। छात्रों और मुस्लिम तबके के अलावा एक तीसरा तबका वैचारिक सांस्कृतिक आंदोलन कर रहा है। पूरी लड़ाई संविधान बचाने की लड़ाई है। उस साथी ने सही कहा आज हमें एनआरयू (नेशनल रजिस्टर ऑफ अनइंपलायमेंट) की ज़रूरत है एनआरसी नहीं।”
एआईएसएफ के जॉर्ज ने कहा- “ हमें छात्रों के बीच एक बड़े संगठन की ज़रूरत महसूस हुई जो एकजुट होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ़ लड़ सके। ये बिल लोगों को अधिकार विहीन, घर विहीन कर देगा।”
दिल्ली पुलिस घायल प्रदर्शनकारियों ने मेडिकल सेवाएं नहीं देने दे रही ।
प्रोग्रेसिव डॉक्टर्स एसोसिएशन, डीवाईएफआई और मेडिकल असिस्टेंस की ओर से बोलते हुए हरजीत सिंह भट्टी ने कहा- “हम लोग एनआरसी-सीएए के खिलाफ़ हैं । ये भारत की छवि के उलट असमानता और भेदभाव करता है। जो भी चेतना संपन्न लोग हैं, इसके खिलाफ़ हैं। और इसके खिलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस ज़्यादती कर रही है। पुलिस ने आरएसएस की खानी निक्कर पहन ली है। अतः हम लोगों ने 4 एंबुलेंस का इंतजाम किया और योजना बनाई कि हम प्रोटेस्ट साइट पर जाकर पुलिस के बर्बरतापूर्ण दमन से घायल होने वाले लोगों को फर्स्ट एड और मेडिकल सहायता मुहैया करवाएंगे। हमारी 30 डॉक्टर और हेल्थकेयर प्रोफेशनल वोलंटियर्स की टीम है। 20 दिसंबर को दिल्ली गेट पर हुए पुलिसिया हमले के बाद पुलिस ने 40-50 घायल लोगों को हिरासत में लेकर दरियागंज थाने में बंद कर रखा था। पीड़ितों को मेडिकल सहायता देने के लिए जब हम दरियागंज थाने पहुंचे तो एसएचओ दरियागंज ने कहा यहां से भाग जाओ। दंगाइयों को क्यों ट्रीटमेंट देना चाहते हो। फिर हमने कई लॉयर्स और लोकल नेताओं को बुलाकर दरियागंज पुलिस पर दबाव बनाय तब दरियागंज पुलिस ने हमें पीड़ितों के इलाज़ की आज्ञा दी। हमने देखा वहां 40 से ज़्यादा लोग हिरासत में थे। उनमें 8 नाबालिग (14-17 वर्ष) भी थे। उनमें से दो घायल थे, उन्हें चोट लगी थी। एक 55 वर्षीय व्यक्ति को चोट के चलते पेट और घुटने में दर्द था। इसी तरह जब असम भवन के सामने प्रोटेस्ट कर रहे लोगों को मेडिकल सहायता देने के लिए हम उस प्रोटेस्ट साइट पर पहुंचे तो दिल्ली पुलिस ने हमारे 2 टीम मेंबर को गिरफ्तार कर लिया और हमारे डॉक्टरों को प्रताड़ित किया गया और अंबुलेंस छोड़कर भाग जाने को कहा गया। ये दिल्ली पुलिस का अमानवीय और भयावह व्यवहार है। जबकि जेनेवा कन्वेंशंन का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि पीड़ितों को मेडिकल सहायता दी जानी चाहिए चाहे युद्ध ही क्यों न चल रहा हो।”
प्रेस कान्फ्रेंस की आखिर में यंग इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी की ओर से एन. साई बालाजी द्वारा बताया गया कि हम नये साल के पहले दिन को इस देश के लोगो के गरिमा और अधिकारों के लिए संघर्ष वर्ष की शुरुआत के तौर पर लेंगे। 1 जनवरी नए साल पर हम संविधान बचाने की प्रतिज्ञा लेंगे और नारा देंगे, – “नए साल का संकल्प- संविधान बचाओ।” जबकि 26 जनवरी को जिस देन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था उस दिन हम विरोध मार्च निकालेंगे।