अनिमेष फाउण्डेशन की ओर से कविता पर चर्चा और कविता पाठ
लखनऊ। अनिमेष फाउंडेशन लखनऊ की ओर से फ्लाइंग ऑफिसर अनिमेष श्रीवास्तव की स्मृति में ‘आज की कविता के स्वर’ एवम कविता पाठ का आयोजन किया गया । अनुराग पुस्तकालय लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हरी चरण प्रकाश ने की । उन्होंने अपने वक्तव्य में कविता के समय संदर्भों को व्याख्यायित किया और कहा की कविता गतिमान रहती है जो समय के साथ बदलती रहती है।
युवा कवि एवं आलोचक अनिल त्रिपाठी ने ‘आज की कविता के स्वर’ पर अपने विचार रखते हुए कहा कि नब्बे के दशक के पहले की कविता और आज की कविता में एक गहरा फर्क दिखाई पड़ता है। इस दौर की कविता को समकालीन कविता के नाम से जाना गया है। यह दौर है जब सोवियत संघ का विघटन तथा बाबरी मस्जिद घ्वंस जैसी घटनाएं घटित हुईं। नवउदारवाद के मूल्य स्थापित किये गये। इस दौर में कविता के विषय भी बदले। पर्यावरण, बाजारवाद, साम्प्रदायिकता आदि पर कविताएं लिखी गयीं।
उन्होंने मुक्तिबोध का हवाला देते हुए कहा की आज की कविता आत्मचेतस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है। उन्होंने आगे कहा की साहित्य में विचारधारा जितना दिखाई न दे उतना अच्छा है। उनका कहना था कि कविता या किसी रचना में विचारधारा पानी में घुली चीनी की तरह होनी चाहिए। जो बाहर से दिखे नहीं लेकिन जब उसे पीया जाय तो स्वाद सें पता चले कि वह मात्र पानी नहीं है।
इस मौके पर कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। युवा कवि अमन त्रिपाठी ने ‘इसी शहर में’ नामक कविता सुनाकर श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया । वहीं, ज्ञान प्रकाश चैबे ने ‘रोटी चाँद और सूरज’ के साथ साथ ‘समय’ और ‘आखिरी लोकल’ जैसी कविताएं सुनाकर समय की महत्ता को उजागर किया। अगले कवि के रूप में डॉक्टर स्कन्द शुक्ल ने ‘तेंदुआ’, और ‘जूते’ जैसी कविताओं का पाठ किया। फैजाबाद से आये कवि विशाल श्रीवास्तव ने अपनी कविता ‘बस्ता’ सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इसमें बच्चों के मनोविज्ञान को कविता में उकेरा गया।
दिल्ली से पधारे पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने अपनी दो गजले सुनाई जो आज की सत्ता पर चोट करने वाली थीं। इस अवसर पर अनिल त्रिपाठी ने भी अपने संग्रह से तीन कविताओं का पाठ किया।
कविता पाठ के बाद हुई बातचीत में हिस्सा लेते हुए कवि व आलोचक कौशल किशोर ने कहा कि रचनाकार अपने समय को रचता है। कविता सुनकर उस पर राय देना मुश्किल काम है। फिर भी यहां पढ़ी गयी कविताएं समय को संबोधित करती है। कवियों के पास अपनी बात कहने के उपकरण अलग जरूर है पर वे आज के समय की कविताएं हैं। उषा राय ने कविता पाठ में कवयित्रियों के न शामिल होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि कविताएं संवेदिदत करती हैं। आशीष कुमार सिंह ने भी इन कवियों की कविताओ पर अपने विचार रखे ।
संचालन कथाकार दीपक श्रीवास्तव ने किया । अंत में अशोक चंद जी ने अनिमेष फाउंडेशन की तरफ से सभी को धन्यवाद दिया । इस अवसर पर कथाकार प्रताप दीक्षित, अनिल कुमार श्रीवास्तव, सत्यम, डॉक्टर शरदेन्दु मुकर्जी, गोपाल नारायण श्रीवास्तव, नूर आलम, माधव महेश, दिव्य रंजन पाठक, आनंद, विमला, उग्र नाथ नागरिक, शुभम, रंजीत पाण्डेय, धनञ्जय, बन्धु कुशावर्ती आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।