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घंटाघर पर महिला संगठनों ने मनाया महिला दिवस

लखनऊ. अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा), जनवादी महिला एसोसिएशन (एडवा), महिला फेडरेशन आदि महिला संगठनों ने घंटाघर पर आंदोलनरत महिलाओं के साथ मिलकर महिला दिवस मनाया। महिलाओं ने मार्च निकाला। मोदी-योगी सरकार की निरंकुशता के खिलाफ नारे लगाये।

महिलाओं ने हाथों में बैनर ले रखा था, जिस  पर लिखा था ‘निकल पड़ी हैं औरतें अब न वापस जायेंगी/संविधान, लोकतंत्र और भाईचारा बचायेंगी।’ इसका नेतृत्व एपवा की मीना सिंह, एडवा की मधु गर्ग, महिला फेडरेशन की आशा मिश्र आदि महिला नेता कर रही थीं। इन नेताओं ने तथा सामाजिक कार्यकर्ता वन्दना मिश्र ने सभा को संबोधित भी किया। कवयित्री विमल किशोर ने ‘कारवां चलता रहेगा’ कविता सुनाकर महिलाओं को आन्दोलित किया।

वक्ताओं का कहना था कि संकट और मौसम की मार झेलकर भी हम महिलाएं यहां डटी हैं। वे डटी रहेंगी। सरकार को पीछे हटना पड़ेगा। यह ऐसी सरकार है  जो समाज को बांटना चाहती है। हर मोर्चे पर यह विफल हो चुकी है। उसी को छिपाने के लिए नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, एनपीआर वह लेकर आयी है। जनता के सामने इसका पर्दाफााश हो चुका है। महिलाएं आंदोलन की राह पर है। इसके खिलाफ एक शाहीनबाग नहीं सैकड़ों शाहीनबाग आज उठ खड़े हुए हैं। महिलाओं ने नारा भी लगाया ‘दमन में तेरे दम है कितना, देख लिया है देखेंगे/जेल में तेरे जगह है कितनी, देख लिया है देखेंगे।’

वक्ताओं का यह भी कहना था कि भाजपा-संघ की राजनीति नफरत फैलाने की है। जनता ने इन्हें समझ लिया है। इनके राज में कोई सुरक्षित नहीं है। औरतों का एक तरफ बलात्कार-यौन उत्पीड़न होता है तो दूसरी तरफ यह सरकार बलात्कारियों को बचाने का काम करती है। उत्तर प्रदेश तो बलात्कारियों की शरणस्थली बन गया है। महिलाओं के लिए आज का दिन संघर्ष का दिन ही नहीं संकल्प का दिन है। ऐसी जनविरोधी, स्त्री विरोधी सरकार के खिलाफ महिलाएं डट चुकी हैं। यह नाकबिले बार्दश्त है। प्रदेश की योगी सरकार में दमन चरम पर है। इसे जाना होगा। महिलाओं ने इस संघर्ष का आगाज कर दिया है।

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