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कौन खा गया हमारा राशन? झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के राशन कार्डधारियों का सरकार से सवाल

27 अगस्त 2019,  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के 11 गावों के सैकड़ों राशन कार्डधारियों ने पिछले दो सालों में कई महीनों का राशन न मिलने के विरोध में ज़िला उपायुक्त के कार्यालय के समक्ष धरना किया.

चक्रधरपुर प्रखंड के बाईपी गाँव के जॉन कायम ने कहा, “हमारे गाँव के किसी भी कार्डधारी को सितम्बर-दिसम्बर 2018 का राशन नहीं मिला है. हमने कई बार आपूर्ति पदाधिकारी, ज़िला शिकायत निवारण पदाधिकारी (DGRO), उपायुक्त एवं राज्य खाद्य आयोग को भी शिकायत की है. पास के गाँव कुपुई के केलाराम माझी ने कहा, “हम लोगों को भी उन महीनों का राशन नहीं मिला है, एवं हमारे गाँव के 81 कार्डधारियों ने कहा है कि जब तक पिछला बकाया राशन नहीं मिल जाएगा, वे अन्य महीनों का राशन नहीं लेंगे”. अन्य कई गावों (जैसे खुंटपानी प्रखंड का उलिराजबसा, बड़ा बंकुआ, ओंकोलकुटी व सोनुआ का पोड़ाहाट) के लोगों ने भी कहा कि उन्हें भी कई महीनों का राशन नहीं मिला है.

खाद्य सुरक्षा कानून के अनुसार सभी शिकायतों का एक महीने में निवारण किया जाना है. धरने में उपस्थित अनेक कार्डधारियों ने कहा कि पिछले एक साल में लगातार शिकायत करने के बावज़ूद भी उनकी समस्याओं का निवारण नहीं हुआ है. कुपुई के ग्रामीणों के कहा कि प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और डीलर ने उनके नाम पर उनका हस्ताक्षर व अंगूठे के निशानों को फ़र्ज़ी तरीके से लगाकर रिपोर्ट बना दिया है कि उन्हें सितम्बर 2018 का राशन मिल गया है. DGRO ने उनको यह भी धमकी दी कि उनके राशन कार्डों को रद्द कर दिया जाएगा अगर वे सितम्बर-दिसम्बर 2018 ले अलावा अन्य महीनों का राशन नहीं ले लेते हैं.

खूंटपानी प्रखंड के उलिराजाबसा के लोगों ने कहा कि उन्हें 2016 में तीन महीने, 2017 में एक और 2018 में चार महीनों का राशन नहीं मिला. उनके कई बार शिकायत करने के बाद ज़िला में सुनवाई की गयी. लेकिन सुनवाई में निर्णय दिया गया कि केवल 2018 का राशन दिया जाएगा. 2016 और 2017 पुरानी बात बोली गयी. गाँव के बुज़ुर्ग सुनिया जोजो ने बोला, “उनको शर्म नहीं आती है, गरीबों का राशन खाने में”.

सोनुआ के पोड़ाहाट गाँव की बिरेन दिग्गी की दिसम्बर 2018 में भूख से मौत हो गयी थी. उन्हें चार महीनों का राशन नहीं मिला था. उसी गाँव से आई कौशल्या दिग्गी ने धरने में कहा कि कई बार शिकायत करने के बावज़ूद भी गाँव के किसी को आज तक सितम्बर-दिसम्बर 2018 का राशन नहीं मिला है. चाईबासा सदर के प्रखंड के लुपुंगगुटु गाँव के कार्डधारियों ने बताया कि डीलर द्वारा पॉस मशीन में उनका आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण करवा दिया जाता है लेकिन राशन नहीं दिया जाता.

ज्ञापन

मानकी तुबिद जो इन मुद्दों पर चाईबासा में काम करते हैं, ने कहा कि यह समस्या केवल कुछ गाँव तक सीमित नहीं है. ज़िले के अनेक गावों में ऐसी समस्या है. डीलरों का कहना है कि उन्हें खाद्यान्न्न आवंटित नहीं किया जाता है जबकि प्रशासन कहता है कि डीलरों को ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार अनाज आवंटित किया जाता है. ज़्यादातर गावों में साल में कम-से-कम 1-2 महीने का राशन नहीं बांटा जाता है. तो सवाल यह है कि “हमारा राशन कहाँ जा रहा है?”. चाईबासा में जन वितरण प्रणाली में हो रही चोरी से सरकार के इस दावे का खोखलापन पता चलता है कि आधार से चोरी कम हुई है.

जब से जन वितरण प्रणाली में आधार अनिवार्य किया गया है, तब से कार्डधारियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई योग्य परिवारों का राशनकार्ड रद्द कर दिया गया है. एक भी डीलर द्वारा अपवाद पंजी का संधारण नहीं किया जाता है जिससे वैसे कार्डधारियों को राशन दिया जाना है जिनका पॉस मशीन में उँगली के निशान काम न करे.

धरने के अंत में प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिलने गया लेकिन उनकी व्यस्तता के कारण नहीं मिल पाया. वे उपायुक्त के OSD से मिले. OSD ने माना कि ज़िले के अनेक गावों में यह समस्या हो रही है. लेकिन उसने यह भी कहा कि अगर डीलर को उन महीनों का अनाज आवंटित ही नहीं किया गया, तो कार्डधारियों को कभी भी बकाया राशन नहीं मिल जाएगा. उन्हें बकाया राशन भूल जाना चाहिए. विभाग द्वारा डीलर को ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार राशन आवंटित किया जाता है. जब उन्हें यह बोला गया कि इसका मतलब है कि अनाज की चोरी हो रही है, वे चुप रहे. लोगों ने उपायुक्त को संलग्न मांग पत्र दिया व निम्न मांगे की:

· सभी गाँवों में 2016, 2017 व 2018 का बकाया खाद्यान्न तुरंत कार्डधारियों को वितरित किया जाए.
· सभी योग्य परिवार जिनका राशन कार्ड रद्द किया गया, उन्हें तुरंत नया कार्ड निर्गत किया जाए.
· राशन चोरी के लिए ज़िम्मेवार राशन डीलरों का लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाए एवं सभी ज़िम्मेवार पदाधिकारियों पर उचित दंडात्मक कार्यवाई की जाए.
· जन वितरण प्रणाली से आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था (पॉस मशीन) हटाई जाए.

धरने के अंत में लोगों द्वारा ज़िला शिकायत निवारण पदाधिकारी और ज़िला आपूर्ति पदाधिकारी का पुतला दहन किया गया.

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