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यूपी मांगे रोज़गार अभियान ने ‘रोज़गार अधिकार घोषणा पत्र ‘ जारी किया

29 दिसम्बर को इलाहाबाद तथा 7 जनवरी को बनारस में होगी रोज़गार महापंचायत

लखनऊ। आज लखनऊ के प्रेस क्लब में यूपी मांगे रोज़गार अभियान ने प्रेसवार्ता आयोजित कर ‘रोज़गार अधिकार घोषणा पत्र ‘ जारी किया गया। इसके साथ ही विभिन्न छात्र-युवा संगठनों के साझा मंच के रूप में खड़े हुए इस अभियान ने बीते 4 महीने से चल रहे इस अभियान के अगले चरण की घोषणा की। आगामी 29 दिसम्बर को इलाहाबाद तथा 7 जनवरी को बनारस में रोज़गार महापंचायत करने का निर्णय लिया गया।

पत्रकार वार्ता में यूपी मांगे रोज़गार अभियान के संयोजक सुनील मौर्य ने कहा कि “उत्तर प्रदेश की सरकार रोज़गार देने में नम्बर एक होने की बात करती है, 70 लाख रोज़गार देने का वादा करके सत्ता में आई योगी सरकार साढ़े चार साल में साढ़े 4 लाख रोज़गार देने का दावा कर रही है जबकि इतना रोज़गार युवाओं को मिला ही नहीं है। लखनऊ की सड़कों पर लगातार बेरोजगार नौजवानों के आंदोलन यह साबित करते हैं कि सरकार रोज़गार देने में, परीक्षा कराने में, आरक्षण लागू करने में विफल हुई है।”

आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन.साईं बालाजी ने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में इस मुश्किल घड़ी में रोज़गार आंदोलन का कारवाँ शुरू करने के लिए ‘यूपी मांगे रोज़गार’ अभियान बधाई का पात्र है।” उन्होंने यह भी कहा कि,” हमारी मांग है कि सरकार यूपीएससी की तर्ज पर हर नौकरी के लिये जॉब कैलेंडर जारी करे। हम विपक्षी दलों से यह अपील करना चाहते हैं कि वे रोज़गार अधिकार घोषणापत्र को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें।”

समाजवादी छात्र सभा के नेता अंकित सिंह बाबू ने कहा कि, “रोज़गार को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने के लिये हम आखिरी समय तक संघर्ष करेंगे। युवा अब एकजुट हो चुके हैं तथा सरकार को पीछे हटना ही होगा।”

आइसा की प्रदेश उपाध्यक्ष चंदा यादव ने कहा कि, “योगी सरकार के दिन पूरे हो चुके हैं इसीलिए वे रोज़गार के लिए आंदोलनरत युवाओं पर लाठीचार्ज कर रही है। इसका जवाब आगामी चुनावों में युवा योगी सरकार की विदाई करके देंगे।”

69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले के खिलाफ चल रहे आंदोलन के नेता अमरेंद्र सिंह ने कहा कि, “यह सरकार सामाजिक न्याय की हर स्तर पर हत्या करने पर तुली हुई है। 69000 शिक्षक भर्ती सिर्फ एक अकेला घोटाला नहीं है ऐसे कई और घोटाले हुए हैं। इनके खिलाफ एक बड़ी एकजुटता से लड़ना है तथा यूपी मांगे रोज़गार इस दिशा में एक अच्छी पहल कर रहा है।”

आइसा लखनऊ जिलाध्यक्ष कॉमरेड प्राची मौर्य ने कहा कि, “एक ओर तो यह सरकार रोज़गार के अवसरों को खत्म कर रही है वहीं दूसरी ओर छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने की योजना नई शिक्षा नीति को भी उसी तेज़ी के साथ लागू कर रही है। यह बेहद चिंताजनक है।”

युवा किसान नेता मारुति मानव ने कहा कि, “किसान आंदोलन अपने संघर्षों के बल पर जीत के मकाम तक पहुंचा। इसी तरह युवाओं को भी कमर कस के डट जाना होगा और इस सरकार को उखाड़ फेंकना होगा।”

प्रेसवार्ता के माध्यम से यह घोषणा की गई कि प्रदेश के विभिन्न जिलों रोज़गार महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।

प्रेस वार्ता को CYSS के नेता अनीत रावत, इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव राजीव गुप्ता, AIYF के नेता नीरज यादव आदि ने भी सम्बोधित किया। प्रेसवार्ता के दौरान आइसा के जिला सचिव आदर्श शाही, अंजली, फरवा, अतुल, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव, हर्षित अवस्थी, वर्तिका आदि मौजूद रहे।

यूपी मांगे रोजगार अभियान द्वारा जारी रोजगार अधिकार घोषणापत्र

केंद्र की मोदी सरकार ने 2 करोड़ प्रतिवर्ष रोज़गार देने और राज्य की योगी सरकार ने पाँच साल में 70 लाख युवाओं को रोज़गार देने का वायदा कर सत्ता हासिल की। लेकिन आंकड़े और खाली पड़े लाखों सरकारी पद इस बात का गवाह हैं कि देश बेरोजगारी दर के मामले में चालीस साल पीछे चला गया है। बेरोजगारी की दर लगभग 10 प्रतिशत से भी ऊपर चली गयी है। यह इसलिए हुआ क्योंकि न ही राज्य की योगी सरकार और न ही केंद्र की मोदी सरकार के पास रोजगार देने की कोई नीति है। बल्कि निजीकरण एवं संस्थाओं को बेचने वाली नीतियाँ , सम्मान व सामाजिक न्याय के साथ रोज़गार की सारी संभावनाओं को ही खत्म कर रहीं हैं।

पिछले छह महीने से यूपी के लखनऊ, इलाहाबाद, बनारस, मऊ, सीतापुर गोरखपुर इत्यादि दर्जनों जिलों में यूपी माँगे रोज़गार अभियान के तहत कई रोजगार अधिकार सम्मेलन, रोजगार अधिकार यात्रायें एवं लाखों छात्र-युवाओं के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाते हुए 2 दिसंबर को लखनऊ में विधानसभा के समक्ष रोज़गार अधिकार मार्च के माध्यम से इस अभियान ने यूपी में खाली पड़े लगभग 25 लाख सरकारी पदों को अविलंब भरने की मांग सरकार के सामने मजबूती से रखी है।
इस अभियान की अगली कड़ी में हम यूपी चुनाव 2022 के अवसर पर यूपी के युवाओं के तरफ से सरकार और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के समक्ष रोजगार अधिकार घोषणापत्र पेश करना चाहते हैं। ताकि इस चुनाव के अवसर पर युवाओं के समक्ष सत्ता में बैठी भाजपा सरकार अपना हिसाब दे और अन्य पार्टियाँ रोजगार के मसले पर अपनी नीति स्पष्ट करें।

हम चाहते हैं कि-
◆ यूपी सरकार 25 लाख रिक्त पड़े सरकारी पदों को भरने की प्रक्रिया तुरंत घोषित करें !
◆ सभी बेरोजगार नौजवानों को 10 हजार रुपया बेरोजगारी भत्ता मिले !
◆ प्राथमिक शिक्षकों की 3.30 लाख पद रिक्त हैं. नई शिक्षक भर्ती का विज्ञापन तत्काल जारी किया जाए !
◆ 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले की जांच हो, आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द हो !
◆ भर्तियों में सामाजिक न्याय से छेड़छाड़ बंद हो। नौकरियों में सामाजिक न्याय की गारंटी हो!
◆ इंटरव्यू में भेदभाव को देखते हुए इसे खत्म किया जाए अन्यथा क्वालीफाइंग हो!
◆ जिले स्तर पर फैक्ट्रियों -कारखानों को चालू कर नौजवानों को रोजगार मिले !
◆ सभी संविदा कर्मियों को स्थाई नियुक्ति मिले, समान काम के लिए समान वेतन की गारंटी हो !
◆ प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पर्चा लीक/धांधली आदि की जांच कराकर दोषियों को सजा दी जाय !
◆ भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं नियमितता की गारंटी करने हेतु सांस्थानिक बदलाव लाये जाएं !
◆ फार्म का दाम मुफ्त किया जाए !
◆ एडमिट कार्ड को रेल/ बस पास घोषित घोषित किया जाए, परीक्षाओं का सेंटर नजदीक बनाया जाए!
◆ सभी स्वरोज़गारियों के क़र्ज़ अविलंब माफ़ हों !
◆ बैंकों से लिए गए शिक्षा ऋण का ब्याज माफ हो और नौकरी ना मिलने तक वसूली पर रोक लगाया जाए!
◆ निजीकरण पर रोक लगे और रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाय !

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