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आरा में चुनाव झूठ बनाम सच की लड़ाई है : जिग्नेश

बेरोजगारी के लिए मोदी-नीतीश जिम्मेवार, चुनाव में इन्हें मिलेगा जवाब: एन. साईं बाला जी

आरा (बिहार). ‘‘संघर्ष और शहादत की एक लंबी विरासत सीपीआई-एमएल की है। बिहार और इस मुल्क की जनता ने इसे देखा है। इसने देश की जनता को ऐसे सांसद और विधायक दिए हैं, जो अपने आप को केवल संसद और विधानसभा में कैद नहीं करते, बल्कि जो मुल्क की जो शोषित-पीड़ित, गरीब-वंचित जनता के आंदोलनों और लड़ाई के साथ रहते हैं। ये वे लोग हैं जिनका किसान, मजदूरों और गरीब-मजलूमों की पीड़ा के साथ गहरा रिश्ता है, जो जनता के संघर्षों और आंदोलनों से उभरकर आए हैं। आरा से भाकपा-माले के उम्मीदवार राजू यादव ऐसे ही साथी हैं, जिनका जनता के संघर्ष के साथ गहराई से जुड़े हैं, ईमानदार और साफ छवि के हैं।’’

आज आरा में दलित और लोकतांत्रिक आंदोलनों के चर्चित नेता और गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरा संसदीय क्षेत्र से भाकपा-माले और महागठबंधन समर्थित प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए।

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि आरा में यह चुनाव झूठ बनाम सच की लड़ाई है। एक तरफ भाजपा है जो हिंदू-मुसलमान कर रही है, जबकि दूसरी ओर राजू यादव हैं जो किसान-मजदूर, नौजवान और गरीब के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जिग्नेश मेवाणी ने बताया कि भाकपा-माले की जो समझ रही है उसी समझ के साथ उन्होंने भी चुनाव लड़ा था और चुनाव में विजय के दूसरे ही दिन जिला कलेक्टर को सड़क के सवाल पर यह कह दिया था कि वे सड़क की लड़ाई को नहीं छोड़ेंगे।

जिग्नेश ने कहा कि आज बिहार और हमारा मुल्क एक गंभीर संकट से गुजर रहा है। आज की परिस्थिति में जितनी भी जनपक्षधर ताकतें हैं, चाहे वो गांधीवादी हों, वामपंथी हों, अंबेडकरपंथी हों या किसी विचाराधारा से न भी जुड़ी हुई हों, लेकिन जो संविधान को मानती हों, उनका इस वक्त एक लक्ष्य ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी लोकतंत्र की कल्पना की गई है, पर पिछले पांच साल में उसके बजाय सांप्रदायिकता का माहौल और मनुवाद का राज कायम किये जाने के फासीवादी दृश्य हमने देखे हैं। चुनाव के वक्त ये मंदिर बनाम मस्जिद, श्मसान बनाम कब्रिस्तान, भारत बनाम पाकिस्तान पर कुछ ज्यादा ही उतर आते हैं, ऐसे वक्त में सारे प्रगतिशील लोगों की यह भूमिका होनी चाहिए कि जितना ही वे ऐसे मुद्दे छेड़ें उतना ही शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, भ्रष्टाचार, किसानों की आत्महत्या और खास तौर पर बेरोजगार युवा के असली सवाल की बात की जाए। मोदी जी ने प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने की मांग पूरा तो नहीं ही किया, पहले से तय 24 लाख नौकरियां भी नहीं दीं, उसमें क्या तकलीफ थी? मोदी ने इस देश के साठ-सत्तर करोड़ युवाओं के साथ छलावा किया है।

जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि इसीलिए इस चुनाव में जो जनता के असली मुद्दे हैं, उसको केंद्रित करते हुए जो ताकतें हमारे लोकतंत्र और संविधान को बचाने की दिशा में चुनाव लड़ रही हैं, उनका वे समर्थन कर रहे हैं। वे गरीब-वंचित तबके की जितनी भी जनता से मिलेंगे, उन सबसे अपील करेंगे कि राजू यादव को आरा सीट से जीता कर पार्लियामेंट में भेजें, क्योंकि यही वो लोग हैं, जो किसान, मजदूर और गरीब की आवाज बनेंगे।

जिग्नेश मेवाणी ने अपने खिलाफ भाजपा द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का करारा जवाब देते हुए कहा कि जब गुजरात के अंदर बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के निहत्थे और बेगूनाह मजदूरों को मारा-पीटा-घसीटा जा रहा था, तो उन्होंने और हार्दिक पटेल ने शांति की अपील की थी। उन्होंने याद दिलाया कि निर्दलीय विधायक होने के बावजूद सीपीआई और भाकपा-माले की रैली में उन्होंने खुद गुजरातियों की तरफ से माफी मांगी थी। यह सब कुछ उस समय मीडिया में भी आया था, लेकिन गिरिराज सिंह ने ट्विट किया है कि जिग्नेश यूपी-बिहार के मजदूरों के खिलाफ बोल रहे थे, जबकि हकीकत ठीक विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि वे गिरिराज को कानूनी नोटिस भेजेंगे कि क्यों न उन पर मानहानि का केस दर्ज किया जाए?

जिग्नेश ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, रामविलास पासवान, गिरिराज सिंह आदि ने गुजरात में शांति की अपील क्यों नहीं की? आखिर ये सब चुप्पी क्यों साधे रहे? गिरिराज सिंह ने तब मोदी को पत्र क्यों नहीं लिखा कि वे गुजरात में शांति कायम करें? तब क्या भाजपा के ये सारे चौकीदार सो रहे थे या मंजीरे बजा रहे थे?

एक प्रश्न के जवाब में जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि वे किसी के ‘पोस्टर ब्वाॅय’ नहीं, बल्कि किसान, मजदूर, गरीब-मजलूम जनता के लिए लड़ने वालों के साथ हैं, इंसानियत की लड़ाई लड़ने वाले ईमानदार और प्रतिबद्ध लोगों के साथ खड़े हैं।

प्रेस कान्फ्रेन्स को संबोधित करते हुए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन साई बाला जी ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी पर न नीतीश बात कर रहे हैं, न मोदी, अमित शाह या गिरिराज सिंह। इनसे सवाल पूछना चाहिए कि इनके पास बेरोजगारों के लिए क्या नीति है? उन्होंने कहा कि भीषण बेरोजगारी की स्थिति नीतीश और मोदी के रहते ही पैदा हुई है? लेकिन ये रोजगार के बजाए जनता का धन फर्जी विज्ञापनबाजी पर खर्च कर रहे हैं। झूठ और नफरत की राजनीति कर रहे हैं। जेएनयू हो या गुजरात- हर जगह सवाल पूछने वालों को देशद्रोही बता रहे हैं। जेएनयू में एमबीए की फीस 12 लाख कर दी गई है और ये चौकीदार होने का नाटक कर रहे हैं, जबकि गरीब और आम लोगों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश की जा रही है। इसका जवाब इस चुनाव में जनता को देना होगा।

इस मौके पर भाकपा-माले प्रत्याशी राजू यादव ने कहा कि उन्हें महागठबंधन का पूरा समर्थन मिल रहा है, उन्होंने भाकपा-माले के नेतृत्व में शिक्षा, सिंचाई, फसलों के वाजिब मूल्य, रोजगार और बढ़ते हुए अपराध आदि के सवालों पर जो संघर्ष चलाए हैं, उसकी वजह से हर तबके का उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है।

प्रेस कान्फ्रेंस में भाकपा-माले के तरारी विधायक और अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता का. सुदामा प्रसाद और केंद्रीय कमिटी सदस्य मनोज मंजिल भी मौजूद थे।

आज जिग्नेश मेवाणी, एन साई बाला जी और राजू यादव ने आरा शहर के गोला मुहल्ला, मगहिया टोला, बहिरो, जवाहरटोला, श्रीटोला, धरहरा, अबरपुल, मौलाबाग, अंबेडकर छात्रावास, मौलाबाग और कतिरा में जनसभाओं को भी संबोधित किया और राजू यादव के पक्ष में मतदान की अपील की।

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