समकालीन जनमत

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चित्रकला

‘ आ रहा फावड़ा लिए समय का यह किसान , जो तुझे काटकर मुझे पाटकर भर देगा ’

समकालीन जनमत
तुम देखोगे सामने तुम्हारे आँखों के, खलता की खेती हरी तुम्हारी डूबेगी/आ रहा फावड़ा लिए समय का यह किसान, जो तुझे काटकर मुझे पाटकर भर...
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