ज़ेर-ए-बहस घरेलू महिलाओं के श्रम की ‘अनुत्पादकता’ पर एक नज़रसमकालीन जनमतMarch 8, 2020March 8, 2020 by समकालीन जनमतMarch 8, 2020March 8, 20203 3262 आशीष मिश्र औरतें यहाँ नहीं दिखतीं हमारी सामाजिक व्यवस्था का केन्द्र परिवार है। और स्त्री-जीवन का केन्द्र इस परिवार का रसोई घर! इसे यहाँ...
कविता चंदन सिंह की कविताएँ अपने प्राथमिक कार्यभार की ओर लौटती कविताएँ हैंसमकालीन जनमतMarch 31, 2019April 1, 2019 by समकालीन जनमतMarch 31, 2019April 1, 201912737 आशीष मिश्र चन्दन सिंह कविता से प्राथमिक काम लेने वाले कवि हैं। इस दौर में जब कविता के मत्थे ही सारी जिम्मेदारियाँ थोपी जा रही...
कविता प्रतिरोध को बयां करती है कवि कौशल किशोर की “नयी शुरुआत”समकालीन जनमतDecember 2, 2018December 4, 2018 by समकालीन जनमतDecember 2, 2018December 4, 201813749 आशीष मिश्र जब हम जवानी के दौर में परवाज़ भर रहे होते हैं तो उस वक्त देश और समाज को लेकर उसके भीतर मौजूद तमाम हलचलों...