समकालीन जनमत

Tag : उर्दू

साहित्य-संस्कृति

नहीं रहे जनपक्षधर, जुझारू जर्नलिस्ट और हिंदी—उर्दू—पंजाबी अदब के शैदाई अमरीक

समकालीन जनमत
स्मृतिशेष : लेखक—पत्रकार अमरीक तुम देश छोड़ने का कह रहे थे, दोस्त ! ये क्या किया, तुमने तो दुनिया ही… —ज़ाहिद ख़ान जनपक्षधर, जुझारू जर्नलिस्ट...
भाषा

उर्दू की क्लास : जामिया “यूनिवर्सिटी” कहना कितना मुनासिब ?

समकालीन जनमत
( युवा पत्रकार और साहित्यप्रेमी महताब आलम  की श्रृंखला ‘उर्दू की क्लास’ की तीसरी क़िस्त में जामिया के मायने के बहाने उर्दू भाषा के पेच-ओ-ख़म...
भाषा

उर्दू की क्लास : नुक़्ते के हेर फेर से “ख़ुदा” “जुदा” हो जाता है

समकालीन जनमत
( छापाखाने के आविष्कार के बाद तमाम चीज़ें  काग़ज़ के पन्नों में छपकर किताब की शक्ल में आने से भाषा एक नयी चाल में ढलने...
जनमत

नफरत के खिलाफ अदब का प्रोटेस्ट है ‘मै मुहाजिर नहीं हूं ’ – शारिब रुदौलवी

समकालीन जनमत
कथाकार-उपन्यासकार बादशाह हुसैन रिजवी के उपन्यास ‘मै मुहाजिर नहीं हूं’ के उर्दू संस्करण का 9 जून को यूपी प्रेस क्लब में विमोचन हुआ. इस उपन्यास...
स्मृति

ज़माना नाक़ाबिले-बर्दाश्त है…

समकालीन जनमत
मंटो की लगभग प्रत्येक कहानी दारूण यथार्थ से आंख मिलाने का साहस रखती है। ऐसी गूँज पैदा करती है कि वह मानवता के पक्ष में...
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