पटना। आइलाज के बैनर से 18 अप्रैल को पटना उच्च न्यायालय परिसर में ‘ डाॅ. अंबेडकर निर्मित संविधान पर बढ़ते हमले ‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा में मुख्य वक्ता के बतौर माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य शामिल हुए। अन्य वक्ताओं में अधिवक्ता अरूण कुशवाहा, रामजीवन सिंह, राजाराम आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता उदय प्रताप सिंह ने तो संचालन आइलाज की मंजू शर्मा ने किया।
माले महासचिव ने कहा कि भाजपा के कई नेता अब खुलकर संविधान बदलने की बात कह रहे हैं। मोदी जी अपनी पार्टी के वैसे नेताओं पर कार्रवाई नहीं करते बल्कि कहते हैं कि अंबेदकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकता। यह चोर की दाढ़ी में तिनका है। उन्हें कहना चाहिए था कि गोलवरकर भी आज जाएं तो संविधान नहीं बदलेगा। फैजाबाद से उनके निवर्तमान सांसद व लोकसभा 2024 के चुनाव के उम्मीदवार लल्लू सिंह कह रहे थे कि चूंकि भाजपा को संविधान बलदना है और नया संविधान बनाना है इसलिए 400 सीटें चाहिए। सामान्य बहुमत से यह नहीं हो सकता। इसके पहले भाजपा सांसद अनंत हेगड़े भी ऐसा वक्तव्य दे चुके हैं। जाहिर सी बात है कि भाजपा का संकल्प पत्र भारत के संविधान को बदल देने की गहरी साजिश है।
उन्होंने कहा कि अच्छा से अच्छा संविधान भी किन लोगों के हाथों में है, यह महत्वपूर्ण है। भाजपा के शासन में लगातार बढ़ती तानाशाही कोई एक घटना तक सीमित नहीं है बल्कि यह लंबे दौर से गुजरते हुए यहां तक पहुंची। जहां संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करते हुए नागरिकता को धार्मिक आधार पर विभाजित किया जा रहा है। आरक्षण पर हमला किया जा रहा है। इलेक्टोरल बाॅन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जा रही है। चुनाव आयोग की नियुक्ति में संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ा दी गईं.
शायद पहली बार आम चुनाव का केंद्रीय विषय संविधान को बचाना है. और यह अच्छी बात है कि आज संविधान, लोकतंत्र व आरक्षण को बचाने के सवाल पर देश की जनता लड़ रही है और इस बार का चुनाव एक जनांदोलन है। उन्होंने न्यायिक व्यवस्था में दलित-अल्पसंख्यकों-महिलाओं की भागीदारी का मामला उठाया।
अधिवक्ता अरूण कुशवाहा ने कहा कि न केवल विधायिका बल्कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया की संरचना बदलने की जरूरत है. उसमें वंचित तबकों की भागीदारी होनी चाहिए. लेकिन यह तभी सभी संभव होगा जब संविधान बदलेगा।
रामजीवन सिंह ने कहा कि भाजपा की विचारधारा अंबेदकर के विचारों के खिलाफ है। सामाजिक न्याय के खिलाफ है। इसलिए वे संविधान बदलने के लिए बेचैन हैं। उनके पास मनुस्मृति है। उसी को संविधान बनाना चाहते हैं।
अध्यक्षता करते हुए उदय प्रताप सिंह ने कहा कि संविधान बचाने की लड़ाई आज देश की सामूहिक लड़ाई बन गई है। हम सब एक साथ आकर ही संविधान यानी कानून के शासन की रक्षा कर सकते हैं।
अधिवक्ता राजाराम ने कहा कि संविधान को खत्म करने की बात अब कोई हवा हवाई बात नहीं है। इसको इसलिए समाप्त करने की कोशिश हो रही है ताकि दलितों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों केा मिले अधिकार खत्म कर दिए जाएं।
परिचर्चा में कई अधिवक्ताओं ने भी अपनी भागीदारी निभाई और संविधान को बदलने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में केडी यादव, अशोक कुमार, मणिलाल, धीरज कुमार, महेश रजक, गोपाल कृष्ण सहित कई अधिवक्ता उपस्थित थे।