कविताचंद्र की कविताएँ बोलती भी हैं और भेद भी खोलती हैं by समकालीन जनमतMay 2, 20200480 Share10 “चंद्र मेरी आज तक की जानकारी में पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो खेती-बाड़ी में, मजूरी में पिसते अंतिम आदमी का जीवन जीते हुए पढ़ना-लिखना व कविताएँ करना चाहते हैं।”- कुमार मुकुल मजदूर दिवस के अवसर पर आशुतोष कुमार द्वारा चंद्र की कविताओं का पाठ