नित्यानंद गायेन
हिमा दास ने इतिहास रचा, 5 दिनों में हिमा दास ने जीता चौथा गोल्ड मेडल. यह वाक्य मेरा नहीं है. अख़बार की हेडलाइन है. वाकई आज पूरे देश को हिमा पर गर्व करना चाहिए और कर भी रहे हैं. इतनी कम उम्र में हिमा दास ने जो कीर्तिमान रचा है उसके पीछे उनकी मेहनत और खेल के प्रति उनका समर्पण तो है ही किन्तु इसमें उनके माता-पिता और कोच का भी अमूल्य योगदान है.
अब जब असम भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है और 50 लाख से अधिक लोग पानी से घिरे हुए हैं. ऐसे में हिमा ने अपने वेतन का आधा हिस्सा मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया. हिमा इंडियन आयल में नौकरी करती हैं.
पदक जीतने की खबर हर जगह है पर इस खबर की जानकारी कितनी जगह छपी है? इतना ही नहीं हिमा ने ट्वीट कर असम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए सहायता की अपील भी की है. विज्ञापन और आईपीएल क्रिकेट खेल कर करोड़ो कमाने वाले कितने क्रिकेटरों ने ऐसा कुछ किया है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
हिमा दास ने यह साबित कर दिया है कि यदि सच्ची लगन और मेहनत के साथ सही प्रशिक्षण और सहयोग मिले तो मुश्किल कुछ भी नहीं.
इस बात को प्रतिकूल परिस्थितियों में अन्य महिला खिलाड़ियों नेे भी साबित किया है कि लगन और मेहनत के बूते पर पुरुष प्रधान समाज में भी तमाम रिकार्ड तोड़े और बनाये जा सकते हैं. दूती चंद इसका एक वर्तमान उदाहरण है.
मेरी लीला राव ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला थी. कभी हम लोग स्कूल में पीटी उषा के बारे में पढ़े थे.
देश के तमाम गाँवों, कस्बों और छोटे शहरों में ऐसी कई हिमा दास होंगी जो अवसर न मिल पाने के कारण आज भी गुमशुदगी का जीवन जी रहीं हैं, यहाँ यह ज़ोर देकर कहना होगा कि केवल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे सरकारी नारों से स्थितियाँ नहीं बदलेंगी बल्कि नीतियों को समाज के हर हिस्से तक क्रियात्मक स्तर पर ले जाना होगा। ऐसे में मीडिया को भी अपनी वृहत्तर भूमिका की पहचान करनी होगी।
आज भारत की कई लड़कियाँ खेल-कूद में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं. कर्णम मल्लेश्वरी, कुंजारानी देवी,सानिया मिर्ज़ा,मैरी कॉम,गीता फोगट,पीवी संधू,साइना नेहवाल, अंजली भागवत,मिताली राज,दूती चन्द,हिमा दास आदि कई नाम हैं जिन्होंने पुरुष प्रधान समाज में पुरुष खेलों में उनके दबदबे को तोड़ते हुए इतिहास रचा है. यह यात्रा अब लगातर जारी है. इनमें से कुछ लोगों पर तो फिल्म भी बन चुकी हैं.
क्रिकेट,कबड्डी और हॉकी को छोड़ कर बाकी सभी खेल में खिलाड़ियों की एकल उपलब्धि रहती है.एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम महिला हैं कमलजीत संधु.
ओलम्पिक खेलों (भारोत्तोलन, सिडनी) में पदक जीतने लेने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी का नाम हैं. उसी तरह शतरंज में ग्रैण्ड मास्टर प्रथम महिला विजेता का नाम है भाग्यश्री थिप्से. आज ये नाम कितनों को याद है?
(नित्यानंद गायेन दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक ‘ दिल्ली की सेल्फी ’ के कार्यकारी संपादक हैं और कवि भी हैं। इनके तीन कविता संग्रह ‘ अपने हिस्से का प्रेम (2011) ’, ‘ तुम्हारा कवि (2018)’,‘ इस तरह ढह जाता है एक देश (2018) ’ प्रकाशित हो चुके है.)
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