नई दिल्ली. लेखकों, बुद्धिजीवियों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर छापेमारी और कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंज़ाल्विस की गिरफ्तारी के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बुधवार को छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड आदि राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए. इन विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में नागरिक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हुए.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ भवन पर वामपंथी संगठनों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका गया. सुभाष चौराहा सिविल लाइंस में दमन विरोधी मंच की तरफ से प्रतिवाद सभा व जुलूस निकाला गया.
दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के सामने प्रदर्शन किया गया.
पटना
आम लोगों के लिए लड़ने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, लेखकों व वकीलों की गिरफ्तारी-छापेमारी के खिलाफ पटना के कारगिल चौक पर नागरिक समुदाय ने प्रतिवाद सभा आयोजित की. प्रतिवाद सभा में पटना शहर के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी, शिक्षक, राजनीतिकर्मी, संस्कृर्तिकर्मी, छात्र-नौजवान आदि शामिल हुए. प्रतिवाद सभा ने एक स्वर में कल देश के 10 प्रतिष्ठित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी व उनके घरों पर छापेमारी की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसा लग रहा है देश नए दौर के आपातकाल से गुजर रहा है. लेकिन इस मोदी आपातकाल का भी वही हश्र होगा जो 1975 के आपातकाल का हुआ था. देश की जनता इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. प्रतिवाद सभा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी 10 लोगों को 6 सितंबर तक नजरबंद रखने के आदेश को नाकाफी बताया गया और कहा गया कि इस मामले में बिना शर्त सभी की अविलंब रिहाई होनी चाहिए.
प्रतिवाद सभा को मुख्य रूप से समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय, पटना नगर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डाॅ. सत्यजीत, प्रसिद्ध नाट्यकर्मी जावेद अख्तर व तनवीर अख्तर, पटना विश्वविद्यालय की पूर्व शिक्षिका प्रो. भारती एस कुमार, पीयूसीएल की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पटना विवि की इतिहास की शिक्षिका प्रो. डेजी नारायण, पटना विवि के शिक्षक प्रो. शंकर आशीष दत्त, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के अशोक प्रियदर्शी, सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश, चिकित्सक डाॅ. शकील, नाट्यकर्मी रंजीत वर्मा, सर्वहारा जनमुक्ति के अजय कुमार, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, एसयूसीआईसी के जितेन्द्र कुमार, ऐपवा की सरोज चौबे, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर आदि ने संबोधित किया. प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता प्रो. डीएम दिवाकर ने की जबकि संचालन भाकपा-माले के अभ्युदय ने की.
इस मौके पर पूर्व शिक्षक प्रो. संतोष कुमार, पटना विवि के जाने माने शिक्षक प्रो. रमाशंकर आर्य, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, लेखक अवधेश प्रीत, तारकेश्वर ओझा, नरेन्द्र कुमार, इंसाफ मंच के राजाराम, इनौस के नवीन कुमार, आइसा के मोख्तार, कोरस की समता राय, पटना जसम के राजेश कमल, अनिता सिन्हा, अनीश अंकुर, अक्षय कुमार, एआईपीएफ के संतोष सहर, मोना झा, पटना वीमेन्स काॅलेज की शिक्षिका रीचा आदि बड़ी संख्या में पटना शहर के नागरिक उपस्थित थे.
बिहार में मुजफ्फरपुर सहित कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए.
लखनऊ
लखनऊ के साामाजिक संगठनों, जन संगठनों और बुद्धिजीवियों व लेखकों ने हजरतगंज स्थित अम्बेडकर प्रतिमा पर धरना दिया और प्रदर्शन किया. इस अवसर पर हुई सभा की अध्यक्षता नदीम हसनैन ने की तथा संचालन एपवा की जिला संयोजिका मीना सिंह ने किया. धरना -सभा को इप्टा के राकेश, जसम के कौशल किशोर,, एडवा की मधु गर्ग, पीयूसीएल की वन्दना मिश्र, पत्रकार नवीन जोशी, कवि व पत्रकार अजय सिंह, माले के कामरेड रमेश सिंह सेंगर, कार्ड के अतहर हुसैन आदि ने संबोधित किया और गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते है हुए थोपे गए झूठे मुकदमों को वापस लेने और सभी गिरफ्तार लोगों को रिहा करने की मांग की. धरने में प्रमुख रूप से अरुंधति धुरू, नाइश हसन, ओ पी सिंह, शकील सिद्दीकी, सुभाष राय, भगवान स्वरूप् कटियार, नलिन रंजन सिंह, राजीव यादव, सुशीला पूरी, सीमा राना, अनुपम यादव, आनंद सिंह, प्रेमनाथ राय, के के शुक्ला, आदियोग आदि मौजूद थे।
वाराणसी
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तारी को लेकर बुधवार को यहाँ कचहरी स्थित अंबेडकर पार्क में प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया जिसमें शहर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूर संगठनकर्ताओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी के सदस्य कॉ. मनीष ने कहा कि आज फासीवाद की आहट नहीं सुनाई दे रही बल्कि फासीवाद आ चुका है। जनता के जनवादी और नागरिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। उन्होंने माओवादी-नक्सली बताकर जनपक्षधर बुद्धिजीवियों-कवियों –कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ जबर्दस्त प्रतिरोध आंदोलन संगठित किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि आगामी 5 सितंबर को राज्यव्यापी आह्वान के तहत सभी मसलों पर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे और इसी क्रम में बनारस में भी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।
इंसाफ मंच के संयोजक अमान अख्तर ने कहा कि जो लड़ाई सरकार ने छेड़ी है उसे अंतिम साँस तक लड़ा जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश प्रताप ने कहा कि गिरफ्तारियाँ दर्शाती हैं कि सत्ता में बैठे लोग आलोचना और जनतांत्रिक आवाज हर हाल में दबा देना चाहते हैं। एनएपीएम से जुड़े सतीश सिंह ने कहा कि जो साथी दलितों-आदिवासियों की आवाज बनकर उभरे हैं, उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। सत्ता में बैठे लोग आंदोलनकारियों को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रोफेसर महेश विक्रम ने कहा कि ऐसी घटनाओं पर तात्कालिक प्रतिवाद बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह आज की जरूरत है कि हम योजनाबद्ध तरीके से प्रतिरोध को संगठित करें। फादर आनंद ने कहा कि मुंबई और देश के अन्य शहर के साथियों की गिरफ्तारी और सर्च वारंट की खबर सुनकर मन बहुत दुखी हो गया है। भीमा कोरेगाँव की घटना को लेकर लगातार झूठ फैलाया जा रहा है। ये साजिशन जनता के दिमाग में जहर भर रहे हैं और जनता के हक के लिए लड़ने वालों को नक्सली बता रहे हैं।
भगत सिंह छात्र मोर्चा के शैलेंद्र ने कहा कि पिछली बार के चुनावों भाजपा ने जो मोटा पैसा पूँजीपतियों से लिया था, अब वे हिसाब रहे हैं कि सरकार ने उनके हितों के लिए क्या किया। उन्होंने कहा कि चुनावी दल पैसा पूँजापतियों से लेंगे और काम जनता का करेंगे, यह कैसे होगा।
इतिहास के विदार्थी और युवा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि आप लोग इस भ्रम में न रहे कि हमारे देश में जर्मनी जैसा फासीवाद आएगा और तितली कट मूँछों वाला कोई उसका नेतृत्व करेगा। हमारे यहाँ का फासीवाद बिल्कुल अलहदा होगा। उन्होंने कहा कि आज जनता की चेतना का स्तर पहले हमेशा के मुकाबले काफी उन्नत है।
बैठक में प्रमुख रूप से कमलेश, सरताज अहमद, सागर, सरिता पटेल, जगधारी, प्रज्ञा पाठक, दधिबल यादव अशोक राम, प्रमोद कुमार, पर्यावरण कार्यकर्ता, रवि शेखर, महेश विक्रम सिंह, फादर आनंद, रामजनम सिंह, सतीश सिंह, सिद्धार्थ, सुरेश प्रताप सिंह, दयाशंकर पटेल, फजलुर्रहमान अंसारी, अर्चना बौद्ध, सागर गुप्ता, हिमांशु भारतेंदु, संतोष पटेल, संतोष कुमार, पप्पू यादव, राज सिद्दीकी, गोकुल दलित, मूलचंद सोनकर आदि शामिल थे।
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