सीएम योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश महिलाओं और दलितों के लिए बुरे सपने में बदल गया है। महिलाओं और दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाते हैं। हाथरस की बलात्कार पीड़िता, एक 19 वर्षीय दलित महिला की उच्च जाति द्वारा हत्या कर दी गई । यूपी पुलिस ने उसके परिवार की इच्छा के विरूद्ध उसके शव का अवैध रूप से अंतिम संस्कार कर दिया। इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यूपी में दलितों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और कैसे संस्थागत भेदभाव होता है।
30 सितंबर को आइसा, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमन एसोसिएशन और अन्य महिला और छात्र संगठन ने यूपी भवन में हाथरस के दलित बलात्कार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। ठीक उसी समय जब प्रदर्शनकारी यूपी भवन पहुंचे, दिल्ली पुलिस ने अपने प्ररूपी तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। आइसा दिल्ली के राज्य सचिव प्रसेनजीत कुमार सहित सभी छात्रों और कार्यकर्ताओं को मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया।
दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों की आवाज़ को रोकने के प्रयासों के बावजूद, पुलिस स्टेशन पर विरोध जारी रहा। आइसा के कार्यकर्ताओं ने अन्य छात्रों के साथ मंदिर मार्ग के परिसर के भीतर भी निरंतर नारे लगाए और प्रदर्श जारी रखा।
प्रदर्शनकारियों ने हाथरस के दलित बलात्कार पीड़िता के गुप्त मध्य रात्रि दाह संस्कार के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी और अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सजा की मांग की। और यह भी कहा कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को भारत की जनता को जवाब देना होगा! यूपी पुलिस को अवैध रूप से पीड़ित के शरीर का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी लेनी होगी!