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प्रेस कान्फ्रेन्स में फिल्म निर्देशकों ने कहा : मुद्दा आधारित फिल्मों के लिए प्रतिरोध का सिनेमा जैसे आयोजन महत्वपूर्ण हैं
आज निर्देशक मैक्सिन विलियम्सन, बलाका घोष और प्रभाष ने प्रेस कान्फे्रन्स के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यह कहा कि किसान आत्महत्या, बेरोजगारी, सामाजिक-आर्थिक समस्याओं आदि पर अच्छी फिल्में बनाई जा रही हैं, पर अभी भी फिल्मों के वितरण का जो तंत्र है मुंबई और बालीवुड केंद्रित है। मुद्दा आधारित फिल्मों को यह व्यावसायिक तंत्र को महत्व नहीं देता, इसके बावजूद ऐसी फिल्में बन रही है। यूट्यूब के जमाने में दर्शकों की कमी से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए निर्देशकों ने कहा कि यूट्यूब या नेटफ्लिक्स आदि पर दिखाई जाने वाली फिल्में भी एक तरह से व्यवसाय को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। वे भी व्यवसाय को महत्व देते हैं, मुद्दे को नहीं। ऐसी स्थिति में मुद्दा आधारित फिल्मों को दिखाए जाने और जनता तक पहुंचाने का जरिया प्रतिरोध का सिनेमा जैसे फिल्मोत्सव ही हो सकते हैं। ऐसे आयोजन बेहद महत्वपूर्ण हैं।