समकालीन जनमत
ख़बर

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ़ राजनैतिक- सामाजिक संगठनों और जनता को खड़ा होना होगा : गोपीनाथन

सुपौल में एनआरसी  और सिटिज़न एमेंडमेंट बिल के खिलाफ़ जन संवाद

सुपौल . छह दिसंबर को सुपौल (बिहार) के पब्लिक लाइब्रेरी एन्ड क्लब, महावीर चौक में एनआरसी  और सिटिज़न एमेंडमेंट बिल (CAB) के खिलाफ़ जन संवाद का आयोजन किया गया.

जन संवाद में कोशी की बाढ़-आपदा से पीड़ित लोगों पर एन आर सी और नागरिकता संशोधन बिल के प्रभाव सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा सम्पन्न हुई.

इस जन-संवाद में मुख्य वक्ता- कन्नन गोपीनाथन के अलावा एआईपीएफ के दिल्ली-एनसीआर के संयोजक मनोज सिंह, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय सचिव पंकज सिंह के अलावा अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया और एनआरसी के अलावा CAB के द्वारा वर्तमान सरकार के मंसूबों को उपस्थित जनता के साथ समझने-समझाने की कोशिश की. सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हर हाल में इन दोनों असंवैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ प्रतिरोधी जन समर्थन को इकट्ठा करना बेहद जरूरी है.

एआईपीएफ दिल्ली के संयोजक मनोज सिंह ने इस पूरी प्रक्रिया को एक खास धर्म से जुड़े लोगों के खिलाफ़ नफरत पैदा करने की कोशिशों के अलावा आम ग़रीब लोगों के खिलाफ़ एक साज़िश बताया. उन्होंने डिटेंशन कैम्पों में भेजे गए लोगों के नारकीय जीवन और वहां हुई मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि बदलावकारी संघर्षशील संगठनों के एकत्रित प्रतिरोध बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय सचिव पंकज सिंह ने फ़ासीवादी सरकार के इस इस प्रयास का पुरज़ोर विरोध करते हुए कहा कि यह प्रयास दरअसल ग़रीब विरोधी है. जो व्यक्ति भारत की धरती पर जन्म लेकर पला बढ़ा, इस देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसकी नागरिकता किसी सरकार के काले प्रयासों से छीना नहीं जा सकता. उन्होंने असम में ज़ारी एनआरसी लिस्ट का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह सरकार और उनके मंत्री अपने इस कुत्सित प्रयास में ख़ुद घिर गए. बिहार के कोशी इलाक़े के मुश्किल हालात का जिक्र करते हुए कहा कि जब हर दो सालों में कोशी के कछार पर बसने वालों का पता कोशी नदी के दिशा बदलते ही बदल जाती है तो उनके कौन से दस्तावेज़ सरकार मानेगी। उन्होंने सरकार के इस प्रयास से पूरी तरह संगठित असहयोग का आह्वान किया.

मुख्य वक्ता कन्नन गोपीनाथन ने तो आगे बढ़कर इस बात पर ज़ोर दिया कि घुसपैठिया साबित करने की ज़िम्मेदारी सरकार की है ना कि जनता को ख़ुद को नागरिक साबित करने की। कन्नन ने भी इस प्रयास को ग़रीब और महिला विरोधी बताया, जिनके पास सभी दस्तावेज़ होने की गारंटी नहीं होती. कन्नन ने एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल को जितना मुस्लिम विरोधी बताया उतना ही हिन्दू विरोधी भी बताया। इस संदर्भ में उन्होंने भी असम में ज़ारी एनआरसी लिस्ट का जिक्र किया जिसमें बहुसंख्यक हिंदुओं के नाम शामिल हैं. उन्होंने उपस्थित जनता के बीच इस बात को समझाने की कोशिश की एनआरसी के अलावा तात्कालिक बड़ी समस्या नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ़ राजनैतिक, सामाजिक संगठनों और आम जन को क्यों खड़ा हो जाना चाहिये. उन्होंने बताया कि किस तरह बीजेपी सरकार मुस्लिमों के साथ-साथ बहुसंख्यक हिंदुओं को इस काले प्रयास के द्वारा मुश्किल में डाल रही है. जिन हिंदुओं के नाम एनआरसी लिस्ट में आएगा, उन्हें पहले ख़ुद को रिफ्यूजी साबित करना होगा फिर CAB के बहाने उन्हें पुनः नागरिकता के लिये अपील करना होगा. इस पूरे प्रक्रिया को कन्नन ने सिर्फ एक राजनैतिक करतब बताया, जिसमें देश हित की कोई बात नहीं.

उन्होंने इन ग़रीब विरोधी प्रयासों के खिलाफ़ जबरदस्त प्रतिरोध खड़ा करने की तत्काल जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अमीर लोग तो किसी ना किसी तरह दस्तावेज़ जुटा लेंगे लेकिन बड़ी मुश्किल आम ग़रीब मुस्लिमों और हिंदुओं को ही होने वाली है.

इस कार्यक्रम का आयोजन कोशी नव निर्माण मंच, ए आई पी एफ, ट्रेड यूनियन सीटू, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, बिहार राज्य किसान सभा, बिहार राज्य खेत मजदूर सभा, लोहिया विचार मंच, भाकपा माले, राजद ने सामूहिक रूप से किया.

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion