समकालीन जनमत
इंस्टालेशन -किसानों की आत्महत्या -संभावना कला मंच )
ख़बर

मोदी सरकार का अंतिम बजट 2019-20 : देश के किसानों से ठगी

अखिल भारतीय किसान महासभा ने मोदी सरकार द्वारा आज पेश किए गए अंतरिम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों को देश के किसानों के साथ एक ठगी करार दिया है।

किसान महासभा के राष्ट्रीय महासाचिव कामरेड राजराम सिंह ने कहा कि किसानों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति, उपज की लागत में C2+50℅मुनाफा के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य और उस पर किसानों की फसलों के खरीद की गारंटी के साथ ही किसानों को मिलने वाली सुविधाओं के दायरे में बटाईदारों और ठेके पर खेती करने वाले किसानों को शामिल करने जैसे सबसे महत्वपूर्ण सवालों पर मोदी सरकार का बजट खामोश है।

उन्होंने कहा कि 5 एकड़ तक के किसानों को उनके खाते में वार्षिक 6000 रुपए की सहायता आत्महत्या के लिए मजबूर किसानों के साथ खुला मजाक है। जबकि तेलंगाना व उड़ीसा जैसे राज्य इससे कहीं ज्यादा सहायता पहले से ही किसानों को दे रहे हैं। यही नहीं यह मात्र चुनावी जुमला भी है क्योंकि मोदी सरकार अपने इतने कम कार्यकाल में इसे लागू भी नहीं कर पाएगी।

इस स्कीम को किसान पेंशन या बृद्धावस्था पेंशन के अतिरिक्त घोषित न कर मोदी सरकार ने इसे पेंशन पाने वाले किसानों की पेंशन पर भी खतरा खड़ा कर दिया है जिसकी पात्रता की शर्तों में लिखा होता कि उसे कोई पेंशन या सरकारी सहायता न मिलती हो।

किसान महासभा ने कहा कि इस सहायता के दायरे से देश की लगभग 60 प्रतिशत खेती करने वाले बटाईदार और ठेके की खेती वाले गरीब किसान बाहर कर दिए गए हैं।

बजट में खेती की लागत को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। देश की खेती की जमीन की संरक्षा का भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है जो भविष्य में देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भारी खतरा है।

बजट गौरक्षा कानून के कारण कृषि अर्थव्यवस्था को हुए भारी नुकसान और आवारा व जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा के सवाल पर भी मौन है।

कुल मिलाकर मोदी सरकसर का अंतिम बजट किसानों के लिए एक जुमला और कॉरपोरेट खेती व कारपोरेट डेयरी फार्मिग के लिए रास्ता खोलने वाला है। इससे कृषि संकट काम होने के बजाए बढ़ेगा।

Related posts

3 comments

Comments are closed.

Fearlessly expressing peoples opinion