पटना। पांच राज्यों में होने वाला चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। यूपी, उत्तराखंड व पंजाब में हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी. यूपी में समाजवादी पार्टी से भाकपा-माले की बातचीत चल रही है और हमें उम्मीद है कि यूपी को योगी राज के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए एक व्यापक गठबंधन बनेगा.
यह बातें आज पटना में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही. संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा व अमर तथा फुलवारी विधायक गोपाल रविदास उपस्थित थे.
माले महासचिव ने कहा कि यूपी में बदलाव की आकांक्षा दिख रही है. बिहार में आकर जहां मामला फंसा था और हम जीतते-जीतते रह गए थे, उससे यूपी ने बहुत कुछ सीखा है और इस बार भाजपा को कोई मौका नहीं मिलने वाला है. योगी राज को खत्म करना वहां का मुद्दा बन रहा है. रोजगार बड़ा मुद्दा है. योगी राज में जिस प्रकार से दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों पर दमन किए गए और वहां पुलिस राज कायम किया गया, उसके खिलाफ वहां की जनता लोकतंत्र के पक्ष में अपना फैसला सुनाएगी. चुनाव आंदोलन में तब्दील होगा.
यही माहौल उतराखंड में है. पंजाब के चुनाव में किसान आंदोलन की आवाज चुनाव में सुनी जाएगी. किसानों के मुद्दों के साथ-साथ दलित-मजदूर, माइक्रोफाइनांस की महिलाओं, भूमिहीन गरीबों के सवाल जबरदस्त तरीके से मुद्दे बने हैं. वहां सरकार की ओर से घोषणाएं हुई हैं, लेकिन जमीन पर काम कम हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पंजाब को बदनाम करने से वहां के लोग बेहद दुखी हैं. पीएम की सुरक्षा में चूक कैसे हुई, इसका जवाब एसपीजी, केंद्र सरकार, अमित शाह व डोभाल साहब को देना है, लेकिन इसे पंजाब पर थोपा जा रहा है. प्रधानमंत्री का बयान बचकाना बयान था. इससे साफ है कि किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री खुद मुद्दा बनना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हरिद्वार सहित देश के कई इलाकों में आयोजित धर्म संसद व हिंदू धर्म के बने नए ठेकेदार पूरे देश व आम हिंदू समाज के लिए खतरनाक हैं. हिंदू धर्म में समाज सुधार आंदोलन के एक बड़े नाम विवेकानंद का आज जन्म दिन है. आज उससे ठीक उलट धर्म के ये नए ठेकेदार समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. दुखद यह है कि सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है. कोर्ट की ओर से अनदेखी की जा रही है, लेकिन जनता के स्तर पर इस नफरत के अभियान के खिलाफ एक मजबूत जनादेश आएगा.
बिहार में नीतीश जी के कुछ पास बचा नहीं. उनके सारे नारे खत्म व फ्लाॅप साबित हुए है. अब वे समाज सुधार यात्रा पर निकले हुए हैं. लेकिन इनका गठबंधन समाज को तोड़ने व एकता को खत्म करने वाले, शांति की जगह नफरत का माहौल बनाने वाले आरएसएस के साथ-साथ है. आरएसएस के साथ रहकर नीतीश जी किस समाज सुधार की बात कर रहे हैं. पंचायत में व्यापक पैमाने पर पुलिस जुल्म दिखा. लोगों पर नियंत्रण करना, बच्चों, महिलाओं, दलितों के अधिकार को लगातार खत्म करना कौन सा सुधार है?
नीति आयोग ने भी नीतीश सरकार के विकास के दावे को झूठा व मजाक साबित किया है. सच्चाई यह है कि सबसे ज्यादा गरीब बिहार में है और डबल इंजन के बावजूद बिहार आर्थिक पिछड़ापन का शिकार है. बिहार के विकास व लोकतंत्र के एजेंडे पर हमारी लड़ाई जारी है.
एमएलसी चुनाव पर बात हो रही है. इस चुनाव में हम चाहेंगे कि एनडीए के खिलाफ महागठबंधन के पक्ष में मजबूत चुनाव परिणाम सामने आए. इसके आगे विधायक कोटे वाली व राज्यसभा की सीटों पर भी चुनाव होंगे. हमारी पूरी कोशिश होगी कि बिहार से एनडीए के खिलाफ मजबूत आवाज उठे.