दिल्ली, 25 नवंबर 2018
जन संस्कृति मंच की दिल्ली- एन सी आर इकाई बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 2 दिसंबर को बाबा साहब की याद में ‘समता मेला’ आयोजित करने जा रही है. इस अवसर पर ‘बाबा साहब के सपनों का भारत’ विषय पर एक परिचर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर एक छोटा पुस्तक मेला भी आयोजित होगा जिसमे सामाजिक मुद्दों से जुड़े प्रकाशनों की प्रदर्शनी होगी. मेले में दिल्ली की चर्चित नाट्य मंडली ‘संगवारी’ ‘उसने कहा था’ और ‘चमारों की गली’ नाम के दो नाटक भी खेलेगी. इन दोनों नाटकों के निर्देशक कपिल शर्मा हैं.
परिचर्चा में युवा आलोचक और दिल्ली विश्विद्यालय के शिक्षक डा. आशुतोष कुमार, उत्तर प्रदेश जन संस्कृति मंच के सचिव और ललितपुर में अध्यापन कर रहे डा. रामायन राम और सामाजिक कार्यकर्ता व मेले के स्थानीय संयोजक सत्य प्रकाश बौद्ध भाग लेंगे.
इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन भी आयोजित होगा जिसमे ब्रजेश यादव, जगदीश सौरभ, टेकचंद, सतबीर श्रमिक और सुनीता अपनी कवितायें सुनायेंगे.
आयोजन के संयोजक और जन संस्कृति मंच के सचिव राम नरेश राम ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि ‘बाबा साहब ने सामाजिक और आर्थिक मुक्ति के लिए जिस भारत का सपना देखा था वह अभी भी अधूरा ही है। उन्होंने न केवल दलित समाज की मुक्ति का सपना देखा था बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज की मुक्ति उनके सपने के केंद्र में थी। इसलिए उनको सिर्फ दलितों के मुक्तिदाता और नेता के रूप में सीमित भी नहीं किया जा सकता । उनके जीवन काल से लेकर अब तक उनके मूल्याङ्कन का सिलसिला लगातार चल रहा है लेकिन समाज में उनके मूल अवदानों की चर्चा को छोड़ उनको केवल प्रतीक तक ही महदूद कर दिया जाता है.’
इस मेले की जरुरत को रेखांकित करते हुए मेले के स्थानीय संयोजक सत्यप्रकाश बौद्ध ने कहा कि ‘बाबा साहब के संघर्षों से हमारा समाज एक हद तक जहाँ बदलाव की ओर कुछ कदम आगे बढ़ा था , नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सीमित करके ऐसा लगता है समाज को वापस पुराने पोंगापंथी और ताकतवर लोगों के हाथों में फिर से सौंपा जा रहा है। शहरी मजदूरों से लेकर ग्रामीण मजदूर और दलित , महिला और अल्पसंख्यक पहचान वाले लोगों के खिलाफ सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर उनके बराबरी और आज़ाद ख्याल की संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में बाबा साहब की व्याख्याएं और उनके सामाजिक राजनीतिक प्रयोगों के निष्कर्षों का पुनर्मूल्यांकन करते हुए उसके सबक को अपनी अपनी निजी और सार्वजनिक जिंदगी में अमल में लाने की जरुरत है.’
मेले की तैयारी से आम जनों में भारी उत्साह है और इसमें दिल्ली के दूसरे कोनों से भी विद्यार्थियों और आम जनों की भागीदारी की संभावना है.
तारीख़: रविवार 2 दिसंबर 2018
समय: दुपहर 1 बजे से
आयोजन स्थल: पॉकेट 10 और बी-2 के बीच वाली रोड, रोहिणी सेक्टर 20, दिल्ली
संपर्क: राम नरेश राम और सत्यप्रकाश बौद्ध (919871309557, 9911643722)
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