2.4 C
New York
December 8, 2023
समकालीन जनमत
ज़ेर-ए-बहस

गोटाबाया राजपक्षे के स्वीमिंग पूल से निकलता लोकतांत्रिक श्रीलंका

जयप्रकाश नारायण


आज गोटाबाया राजपक्षे का स्विमिंग पूल देखा । उछलते कूदते किलकारियां मारते नौजवानों के हुजूम को स्विमिंग पूल से लेकर राजमहल के शयन कक्ष तक चहल कदमी करते, किलकारियां भरते, उछलते कूदते और मनुष्यता के सर्वोच्च उत्सव में शामिल लोगों को देखकर लगा कि जन शक्ति क्या होती है।
आज के कुछ वर्ष पहले जो श्रीलंकाई सेना तमिलों के नरसंहार, मानवाधिकारों की हत्या और खून की होलियां खेलने में दक्ष थी, आज वह असहाय सी खड़ी इस उत्सव को देख रही है । उसे अपना पक्ष तय करने में अभी कुछ वक्त लगेगा, क्योंकि श्रीलंकाई सेना के चेहरे पर तमिलों के खून के दाग लगे हैं। फैज के शब्दों में कहें तो” खून के धब्बे मिटेंगे कितनी बरसातों के बाद।”
लेकिन श्रीलंका की जनता ने  21वीं सदी की प्रथम चौथाई में जो कर दिखाया है वह मनुष्यता के लिए सुबह के हवा के झोंके जैसा है। जिस दौर में दुनिया में गोटाबाया राजपक्षे की तरह के हत्यारे तानाशाह  जनता के ऊपर कुंडली मारकर बैठे हों, उस दौर में आज के श्रीलंका में घट रही घटनाओं को सही अर्थों में नई सुबह कहा जायेगा ।
बर्बर जुल्म और महंगाई बेरोजगारी के बोझ तले कराह रही श्रीलंकाई जनता कब तक धार्मिक और सिंहली राष्ट्रवाद का झुनझुना बजाती रहती। लगता है श्रीलंका परिवर्तन के नए चौराहे पर खड़ा है, जहां से उम्मीद है कि संपूर्ण श्रीलंकाई जनता के लिए सुनहरा  भविष्य दस्तक दे रहा है।
यह दौर तानाशाहों का दौर है, जो बीसवीं सदी के तानाशाहों से सर्वथा भिन्न है। यह चुनावी रास्ते से आयी हुई तानाशाही है। जिसे इलेक्टोरल आटोक्रेसी कहते हैं।
 इस तानाशाही के पीछे नवउदारवाद की वैचारिकी है। बाजार की हृदयहीनता है। कारपोरेट लूट वाली संगठित शक्तियां हैं। जन समर्थन और जनादेश प्राप्त होने का दावा है।
इसलिए इनकी आक्रामकता और नृशंसता  बहुत ही भयानक है। इसके हथियार विभाजन कारी हैं। इसने धर्म, नस्ल, रंग, भाषा, क्षेत्र के जहर बुझे औजारों से  जनता को बांट रखा है।
यह तानाशाहियां नए-नए रूप धारण कर मनुष्यता के विकास यात्रा को रोक देने की घोषणा कर रही हैं। शायद वे सोचते होंगे कि वे पृथ्वी के आखिरी बादशाह है। इनके बाद दुनिया का अस्तित्व नहीं रहेगा।
ये तानाशाह मनुष्य पर अपना शाश्वत शासन चाहते हैं। लेकिन मनुष्य तो मनुष्य है। इसीलिए उसे मनुष्य कहते ही हैं कि वह रोज नित नई खूबसूरत दुनिया का सपना देखता है। देखता ही नहीं है, उसके लिए वह यत्न भी करता है । प्रयोग करता है। जोखिम उठाता है और अंततोगत्वा सफल होकर मनुष्यता का परचम और ऊंचाई पर ले जाकर फहरा देता है।
ऐसे समय में जो पूंजी के क्रीत दास हैं, वे मनुष्यता की विकास यात्रा और इतिहास के अंत की घोषणा करते हुए अट्टहास कर रहे हैैं, उनके लिए श्रीलंका से बुरी खबरें आ रही हैं।
लेकिन विश्व मेहनतकश जनगण के लिए यह सुखद है। इसलिए कि विश्व साम्राज्यवाद की जकड़न के बीच एक छोटे से पहाड़ी देश श्रीलंका से ऐसी उत्साहजनक खबरें आ रही हैं। जहां अभी कुछ दशक पहले जनता आपस में बेहद बुरी तरह से बँटी हुई थी। जहां धर्म और धार्मिक राष्ट्रवाद के नाम पर  उन्मादी नफरत का खूनी खेल चल रहा था।
अंतहीन आंतरिक युद्ध में उलझे हुए देश की आवाम अचानक कैसे हाथ से हाथ बांधे शांति का गीत गाते हुए राजमहल पर चढ़ कर स्वतंत्रता बंधुत्व का उत्सव मना रही है।

जो हाथ 21वीं सदी की शुरुआत में एक दूसरे का गला दबा रहे थे, कत्ल कर रहे थे, गोलियां और बम फेंक रहे थे, वही आज एकता के फौलादी बंधन में बंध चुके हैं।

जनता को आपसी लड़ाई में उलझाकर पूंजी का अंबार खड़ा करने के कारपोरेट घरानों के मंसूबे चकनाचूर होते हुए दिख रहे हैं।
जो श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु बुद्ध की शिक्षा को धता बताते हुए तमिलों के नरसंहार का आवाहन कर रहे थे, आज हुजूम के आगे आगे उत्सव की अगुवाई कर रहे हैं और “सर्वे भवंतु सुखिनः”का उद्घोष कर रहे हैं ।
 श्रीलंका इतिहास का इकलौता उदाहरण नहीं है ।इतिहास में मनुष्यता ने कई दौर में ऐसे महान उत्सव देखे हैं । मनुष्यता की जिजीविषा देखी है। तारीख ने मनुष्य के अंदर दबी छिपी अपार ऊर्जा और साहस की शक्ति  देखी है ।
अतीत में हमने अनेकों बार अपने पूर्वजों को मनुष्यता की ऊंचाई छूते देखा है। अट्ठारहवीं सदी के अंत में फ्रांसीसी बादशाह लुई 17 वें को परिवार सहित जनता के कोप का भाजन बनना पड़ा था। लेकिन वह सिर्फ विध्वंस नहीं था। यह मनुष्यता की नई यात्रा थी । जिससे स्वतंत्रता समानता बंधुत्व का नया मंत्र विश्व आकाश में गूंज उठा। मनुष्यता पिछले ढाई सदी से इस मंत्र के आलोक में तीव्र गति से दौड़ रही है।
1789 के बाद सभ्यता के नए दौर शुरू हुए हैं। मनुष्य की रचनात्मकत मेधा और प्रयोगधर्मिता ने  कुलांचे भरना शुरू किया। दुनिया के रीति रिवाज संबंध व्यवहार जीवन प्रणालियां सब  कुछ उलट पलट गईं।
जन पहल कदमी से हुए परिवर्तन सत्ता के लिए षड्यंत्र नहीं होते। यह राज प्रासादों के अंदर हुए तख्ता पलट भर नहीं होते ।
यहां से मनुष्यता की नई यात्रा शुरू होती है। सर्वथा नई मंजिल की यात्रा । जो नये तरह का मनुष्य गढ़ती है। जिसकी संवेदनाएं सरोकार और लक्ष्य भिन्न होते हैं।
यह इतिहास में बार-बार होता रहा है और आदमी आगे भी नये नई ऐतिहासिक यात्राओं पर निकलेगा।
हे बुद्ध महान के आदर्शों पर चलने वाले देश! तुमने कितने नरसंहार देखें । अपनों का खून देखा।अपनों से घृणा की। बर्बरता और क्रूरता की सीमाएं लांघते हुए नफरत की अंधी राह पर चलते रहे और लाशों के ढेर पर  से गुजरते रहे ।
नागरिकों की लाश पर बैठे हुए तानाशाह राज महलों की अय्याशी, षडयंत्र और बर्बरता को देश के लिए जायज ठहराते रहे।
 ओ श्रीलंकाई बंधुओं! आप ने उन्हें कंधे पर बिठाया। उन्हें अपना नायक और उद्धारक समझा। आपने इनके द्वारा तमिल भाइयों के कत्ले आम को भी जायज समझा । नरसंहारों पर खुशियां मनाई।
   लेकिन मेरे उपमहाद्वीपीय दोस्तो! तुम्हें नहीं पता था कि दो भाइयों के बीच में खींची गई विभाजन रेखा कितनी क्रूर और बर्बर होगी,जो तुम्हें चौतरफा विध्वंस के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर देगी । तुम्हारा सुख-चैन,रोटी रोजगार सब कुछ छीन लेगी ।
   यही नहीं,तुम्हारे पूर्वजों द्वारा कुर्बानी देकर हासिल किए गये लोकतंत्र के ताने-बाने का ध्वंस कर देगी। देश की एकता और आपसी भाईचारा, आत्मीयता छीन लेगी। मुल्क के सुख शांति और समृद्धि को नष्ट कर देगी।
    तुम्हारे सबसे बड़े आदर्श “अहिंसा परमो धर्म:” की धज्जियां उड़ा देगी । याद रखो मेरे उपमहाद्वीप के भाइयों! इतिहास के पन्नों पर पड़े हुए खून की छींटे तुम्हारे विचलन की गवाही देते रहेंगे ।
     लेकिन अंततोगत्वा कारपोरेट पूंजी की लूट की हवस ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी, जहां  तुम्हें लगा कि तुम भटक गए थे । तुम फिसल गए थे । तुमने मनुष्यता और भाईचारा से संबंध तोड़ लिया था। इसलिए तुमने अपने चौतरफा बर्बादी के अनुभव से समझ लिया है कि गलत मार्ग पर निकल पड़े थे, जो बुद्ध का मार्ग नहीं था। अहिंसा का मार्ग नहीं था । त्याग बलिदान और आत्मा निरीक्षण का रास्ता नहीं था।
       लेकिन तुमने आत्मनिरीक्षण किया। जब भूख और रोजगार हीनता ने तुम्हारे देश को जकड़ लिया, जब महंगाई ने तुम्हारा सुख चैन छीन लिया, तुम्हारे बच्चों व परिवार का भविष्य अंधकार की तरफ जाने लगा, तो तुमने फिर बुद्ध के मार्ग को अपनाया है । अपनी कमजोरियों और गलतियों को लेकरआत्म निरीक्षण और आत्मसंघर्ष किया । पिछले कई महीने से तुम इसी आत्मसंघर्ष से गुजर रहे थे।
     मेरे दक्षिण भारतीय उपमहाद्वीप के सहोदर भाइयों, तुमने एक रास्ता दिखाया है। लंबे समय से लोकतंत्र के नाम पर चल रहे तानाशाही और पूंजी की लूट के शासन के खिलाफ संघर्ष की मशाल किस राह से आगे बढ़ेगी, इस राह को तुमने दुनिया के समक्ष रोशन किया  है। इसलिए आज तुम विश्व जन-गण के अग्रणी मार्गदर्शक हो।
जारशाही के खिलाफ रूसी मजदूरों ने 1917 के अक्टूबर में क्रांति का सर्वथा नया मॉडल दुनिया के सामने रखा था। मजदूर वर्ग की अगुवाई में क्रांति के नायकों ने दुनिया को एक रोशनी दी थी। जिस पर बीसवीं सदी में  स्वतंत्रता समानता बंधुत्व और न्याय चाहने वाला मानव समाज आगे बढ़ता रहा।

अक्टूबर क्रांति ने 70 वर्षों तक दुनिया को नई रोशनी दिखाई। लेकिन औपनिवेशिक युग के समाप्त होने तथा वित्तीय पूंजी के प्रसार के साथ साम्राज्यवादी हमले का प्रतिरोध और मुकम्मल विकल्प न दे पाने के कारण वह यात्रा रास्ते में ठहर गई ।

लेकिन 30 वर्षों बाद श्रीलंकाई जनगण ने उपनिवेशोत्तर  दुनिया को एक सर्वथा नयी जन गोलबंदी और जन पहल कदमी का मार्ग प्रसस्त किया है । यह 22वीं सदी में मनुष्य के लिए एक नई उम्मीद और रोशनी लेकर आया है ।
इस जन क्रांति का गति विज्ञान क्या होगा, मैं नहीं जानता। लेकिन चुनावी तानाशाही और नस्ली धार्मिक विभाजनकारी राजनीति के इक्कीसवीं सदी के नए फासीवादी निजाम के खिलाफ श्रीलंकाई जनता का संघर्ष विश्व में बढ़ रहे दक्षिणपंथी हमले का एक नया जवाब ढूंढेगा और कारपोरेट जकड़न के नाउम्मीदी के दौर में उम्मीद की नई किरण की रोशनी लेकर आया है।
आज जरूरत है विश्व के समस्त लोकतांत्रिक जनगण को श्रीलंकाई जनता के साथ में खड़ा होने की। मुझे उम्मीद है कि वैश्विक लोकतांत्रिक जनगण निश्चय ही अपनी इस जिम्मेदारी को निभायेगा । जिससे श्रीलंकाई जनता इस संघर्ष में विजयी होकर अपने देश के लोकतांत्रिक भविष्य का भाग्य विधाता बन सकें।
इसके साथ ही विश्व में न्याय लोकतंत्र के लिए लड़ रहे नागरिकों के लिए प्रेरणादायी रोशनी बन सकेगी ।

Related posts

Fearlessly expressing peoples opinion

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy